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माजुली द्वीप को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय : संसदीय पैनल

गृह मामलों के एक संसदीय पैनल (Parliamentary panel) ने बाढ़ से माजुली द्वीप के संरक्षण (Protection of Majuli Island) और ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव (erosion of river Brahmaputra) योजना की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि समृद्ध प्राचीन संस्कृति (rich ancient culture) को संरक्षित करने, आजीविका की रक्षा करने और मानवजनित गतिविधियों के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इस द्वीप पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

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Published : Aug 19, 2021, 5:16 PM IST

माजुली द्वीप
माजुली द्वीप

नई दिल्ली : गृह मामलों के एक संसदीय पैनल (Parliamentary panel) ने बाढ़ से माजुली द्वीप के संरक्षण (Protection of Majuli Island) और ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव (erosion of river Brahmaputra) योजना की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की है. इस परियोजना का काम इसी साल 28 फरवरी तक पूरा किया जाना था, जबकि अब तक इसका 88.31 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका है.

दिलचस्प बात यह है कि माजुली (दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप) फिर से विश्व धरोहर स्थल के टैग (world heritage site tag ) पाने से चूक सकता है, क्योंकि सरकार ने अभी तक यूनेस्को को अपना आवश्यक डोजियर जमा नहीं किया है. ब्रह्मपुत्र बोर्ड (Brahmaputra Board ) माजुली संरक्षण परियोजना (Majuli protection project) की कार्यान्वयन एजेंसी है.

राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा (Rajya Sabha MP Anand Sharma ) की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति का मानना है कि समृद्ध प्राचीन संस्कृति (rich ancient culture) को संरक्षित करने, आजीविका की रक्षा करने और मानवजनित गतिविधियों के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इस द्वीप पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्राकृतिक आपदा जोखिमों (natural disaster risks) को कम करने के अपने विचार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कई विशेषज्ञ समूहों, एजेंसियों के सहयोग के साथ प्रशासकों द्वारा ध्यान केंद्रित करने की मांग करता है.

समिति ने सुझाव दिया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (Development of North Eastern Region) को राज्य सरकार के साथ समन्वय में काम करना चाहिए, ताकि संस्थागत और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से माजुली द्वीप की रक्षा और संरक्षण किया जा सके.

समिति इस बात की भी सराहना करती है कि माजुली संरक्षण योजना से 319.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लाभ होगा.

समिति ने सुझाव दिया है कि उत्तर पूर्वी परिषद (North Eastern Council ) माजुली द्वीपों को कटाव से बचाने और प्राकृतिक आपदा जोखिमों को कम करने के लिए परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का प्रयास करे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 फरवरी, 2021 की समय सीमा पहले ही चूक गई है. इन परियोजनाओं को पूरा करने में धीमी प्रगति को देखते हुए, समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय इस संबंध में उत्तर पूर्वी परिषद के साथ प्राथमिकता के आधार पर मामला उठा सकता है.

पढ़ें - वायु प्रदूषण से ही नहीं बल्कि पौधे के पराग कण से भी बिगड़ सकती है आपकी सेहत : रिसर्च

हालांकि, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच समय पर प्रगति और समन्वय समय-समय पर किया गया था.

मंत्रालय ने कहा, 'परियोजना के पूरा होने के बाद माजुली द्वीप के प्रमुख हिस्सों को कटाव रोधी और प्राकृतिक आपदा जोखिमों को कम करने से बचाया जाएगा.'

इससे अनुमानित जनसंख्या 1,15,000 (कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत) लगभग 319.21 वर्ग किमी के साथ परियोजना से लाभान्वित होने की संभावना है.

मंत्रालय ने बताया, 'उत्तर पूर्वी परिषद परियोजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) और असम राज्य सरकार के साथ लगातार समन्वित प्रयास कर रहा है.'

नई दिल्ली : गृह मामलों के एक संसदीय पैनल (Parliamentary panel) ने बाढ़ से माजुली द्वीप के संरक्षण (Protection of Majuli Island) और ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव (erosion of river Brahmaputra) योजना की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की है. इस परियोजना का काम इसी साल 28 फरवरी तक पूरा किया जाना था, जबकि अब तक इसका 88.31 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका है.

दिलचस्प बात यह है कि माजुली (दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप) फिर से विश्व धरोहर स्थल के टैग (world heritage site tag ) पाने से चूक सकता है, क्योंकि सरकार ने अभी तक यूनेस्को को अपना आवश्यक डोजियर जमा नहीं किया है. ब्रह्मपुत्र बोर्ड (Brahmaputra Board ) माजुली संरक्षण परियोजना (Majuli protection project) की कार्यान्वयन एजेंसी है.

राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा (Rajya Sabha MP Anand Sharma ) की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति का मानना है कि समृद्ध प्राचीन संस्कृति (rich ancient culture) को संरक्षित करने, आजीविका की रक्षा करने और मानवजनित गतिविधियों के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इस द्वीप पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्राकृतिक आपदा जोखिमों (natural disaster risks) को कम करने के अपने विचार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कई विशेषज्ञ समूहों, एजेंसियों के सहयोग के साथ प्रशासकों द्वारा ध्यान केंद्रित करने की मांग करता है.

समिति ने सुझाव दिया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (Development of North Eastern Region) को राज्य सरकार के साथ समन्वय में काम करना चाहिए, ताकि संस्थागत और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से माजुली द्वीप की रक्षा और संरक्षण किया जा सके.

समिति इस बात की भी सराहना करती है कि माजुली संरक्षण योजना से 319.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लाभ होगा.

समिति ने सुझाव दिया है कि उत्तर पूर्वी परिषद (North Eastern Council ) माजुली द्वीपों को कटाव से बचाने और प्राकृतिक आपदा जोखिमों को कम करने के लिए परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का प्रयास करे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 फरवरी, 2021 की समय सीमा पहले ही चूक गई है. इन परियोजनाओं को पूरा करने में धीमी प्रगति को देखते हुए, समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय इस संबंध में उत्तर पूर्वी परिषद के साथ प्राथमिकता के आधार पर मामला उठा सकता है.

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हालांकि, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच समय पर प्रगति और समन्वय समय-समय पर किया गया था.

मंत्रालय ने कहा, 'परियोजना के पूरा होने के बाद माजुली द्वीप के प्रमुख हिस्सों को कटाव रोधी और प्राकृतिक आपदा जोखिमों को कम करने से बचाया जाएगा.'

इससे अनुमानित जनसंख्या 1,15,000 (कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत) लगभग 319.21 वर्ग किमी के साथ परियोजना से लाभान्वित होने की संभावना है.

मंत्रालय ने बताया, 'उत्तर पूर्वी परिषद परियोजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) और असम राज्य सरकार के साथ लगातार समन्वित प्रयास कर रहा है.'

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