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सीवीसी के सामने 12 हजार लंबित मामले, संसदीय समिति ने उठाए सवाल

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Published : Mar 29, 2022, 6:31 PM IST

शिकायत मिलने के बाद भी सीवीसी समय पर कार्रवाई नहीं करती है. यह निष्कर्ष संसदीय समिति का है. समिति ने आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्यों लंबित मामलों का निपटारा नहीं किया गया, जबकि कई मामले तीन सालों से लंबित हैं.

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सीवीसी

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों 12 हजार लंबित मामलों का निपटारा नहीं हुआ, जिनमें से कई तीन वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं. संसद में पेश कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिये बजटीय आवंटन का पूरा उपयोग नहीं किये जाने को भी रेखांकित किया गया.

समिति ने सीवीसी से अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा निगरानी को मजबूत बनाने पर खर्च करने को कहा. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस बात को नोट किया कि गंभीर आरोपों सहित सतर्कता से जुड़े 72 मामले तीन महीने की निर्धारित समय-सीमा पार करने के बावजूद अभियोग चलाने के लिहाज से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. समिति ने इस बात पर गंभीर रूप से चिंता जताई कि समय-सीमा के भीतर अभियोग चलाने की मंजूरी नहीं दिया जाना नियमित मामला बन गया है.

समिति ने सिफारिश की कि सरकार संबंधित प्रावधानों में संशोधन करे और सीवीसी को वैसे मामलों में जरूरी कार्रवाई करने के लिये सशक्त करे जहां अभियोग चलाने के लिये मंजूरी देने में उपयुक्त प्राधिकार विफल रहता है. इसमें कहा गया है कि सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से दिसंबर 2020 के दौरान 569 शिकायतें प्राप्त हुईं और 11,693 शिकायतें तीन महीने की निर्धारित अवधि से अधिक समय से लंबित हैं. इनमें से कई शिकायतें तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. समिति ने आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्यों लंबित मामलों का निपटारा नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें : पिछले 31 महीनों में जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्यों के 34 लोगों ने प्रॉपर्टी खरीदी : संसद में गृह राज्य मंत्री

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों 12 हजार लंबित मामलों का निपटारा नहीं हुआ, जिनमें से कई तीन वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं. संसद में पेश कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिये बजटीय आवंटन का पूरा उपयोग नहीं किये जाने को भी रेखांकित किया गया.

समिति ने सीवीसी से अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा निगरानी को मजबूत बनाने पर खर्च करने को कहा. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस बात को नोट किया कि गंभीर आरोपों सहित सतर्कता से जुड़े 72 मामले तीन महीने की निर्धारित समय-सीमा पार करने के बावजूद अभियोग चलाने के लिहाज से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. समिति ने इस बात पर गंभीर रूप से चिंता जताई कि समय-सीमा के भीतर अभियोग चलाने की मंजूरी नहीं दिया जाना नियमित मामला बन गया है.

समिति ने सिफारिश की कि सरकार संबंधित प्रावधानों में संशोधन करे और सीवीसी को वैसे मामलों में जरूरी कार्रवाई करने के लिये सशक्त करे जहां अभियोग चलाने के लिये मंजूरी देने में उपयुक्त प्राधिकार विफल रहता है. इसमें कहा गया है कि सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से दिसंबर 2020 के दौरान 569 शिकायतें प्राप्त हुईं और 11,693 शिकायतें तीन महीने की निर्धारित अवधि से अधिक समय से लंबित हैं. इनमें से कई शिकायतें तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. समिति ने आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्यों लंबित मामलों का निपटारा नहीं हुआ.

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