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'डिकॉय मॉडल' से मिल रहा 'न्याय', क्या देशभर में होगा लागू? - कांग्रेस सासंद आनंद शर्मा

देशभर में राजस्थान का डिकॉय मॉडल लागू होना चाहिए. इस संदर्भ में एक संसदीय पैनल ने गृह मंत्रालय को सुझाव भी दिया है. संसदीय समिति सिफारिश की है कि इस तरह के ऑपरेशन पूरे देश में नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने चाहिए.

संसदीय पैनल
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Published : Mar 18, 2021, 9:32 PM IST

नई दिल्ली : संसदीय पैनल ने राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय आपरेशन की तारीफ की है. इतना ही नहीं संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया है कि राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय ऑपरेशन को देशभर में लागू किया जाना चाहिए.

संसदीय समित ने कहा है कि इस मॉडल से पता लगाया जा सकता है कि पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की जा रही है या नहीं.

संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि इस तरह के ऑपरेशन पूरे देश में नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने चाहिए.

डिकॉय ऑपरेशन लाभकारी साबित हुआ है, राजस्थान पुलिस विभाग राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में डिकॉय ऑपरेशन चला रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिकायत सुनी जा रही है या नहीं.

डिकॉय ऑपरेशन के तहत किसी व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए विभाग द्वारा ही भेजा जाता है. राजस्थान में 2018 में 28 और 2019 में 17 डिकॉय ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. इस दौरान कई मामले ऐसे भी आए, जहां एसएचओ ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. इसके एवज में उन अधिकारियों को दंडित किया गया, किसी को मामूली दंड तो किसी को अधिक दंड दिया गया.

इसके अलावा जो पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी का पालन नहीं करते मिले, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 166 A के तहत मामला दर्ज किया गया है. खासकर जो अधिकारी महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचारों पर नियमित कार्रवाई नहीं की.

संसदीय समिति की राय है कि डिकॉय ऑपरेशन जमीनी स्तर के पुलिस अधिकारियों के बीच सतर्कता पैदा करता है, जिससे अधिक मामलों का पंजीकरण होगा.

इस बात पर संज्ञान लेते हुए कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं होते हैं, जिसके चलते पीड़ित न्याय से वंचित हो जाते हैं. इसके अलावा समिति ने इन मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने पर जोर दिया है.

कांग्रेस सासंद आनंद शर्मा की नेतृत्व वाली संसंदीय समिति ने एक रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संदर्भ में एडवाइजरी जारी करनी चाहिए. इतना ही नहीं समिति ने गृह मंत्रालय से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जीरो-एफआईआर को लागू करने की सिफारिश की है.

समिति ने कहा कि गृह मंत्रालय को अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) में जीरो-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान करनी चाहिए.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2017 में हरियाणा में 114 जीरो एफआईआर दर्ज की गई, 2018 में 225 और 2019 में 201.

इसी तरह, राजस्थान में 2017 में 8 जीरो एफआईआर, 2018 में 11 और 2019 में 80 जीरो एफआई दर्ज की गई हैं.

यह भी पढ़ें- असम में बोले पीएम मोदी- कांग्रेस में न नेता है न नीति है और न ही विचारधारा

वहीं महाराष्ट्र में 2017 में 450, 2018 में 604 और 2019 में 402 के साथ अधिकतम जीरो एफआईआर दर्ज की है.

हरियाणा में एफआईआर दर्ज करने में देरी करने पर 18 पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है, इसी तरह राजस्थान में 8 अधिकारी के खिलाफ और महाराष्ट्र में एक अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

समिति ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ आईपीसी के अपराधों जैसे पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, एसिड अटैक, मानव तस्करी के मामले में 2018 से 2019 तक जबरदस्त वृद्धि हुई है.

वहीं 2018 में 854 मानव तस्करी के मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में 2019 में भारी इजाफा देखने को मिला. इस साल मानव तस्करी के 966 मामले दर्ज किए गए.

इसी तरह महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और साइबर अपराध जैस मामले में भी भारी इजाफा देखने को मिला है.

समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ट्रेनों में भी एफआईआर दर्ज करने के लिए सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए.

नई दिल्ली : संसदीय पैनल ने राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय आपरेशन की तारीफ की है. इतना ही नहीं संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया है कि राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय ऑपरेशन को देशभर में लागू किया जाना चाहिए.

संसदीय समित ने कहा है कि इस मॉडल से पता लगाया जा सकता है कि पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की जा रही है या नहीं.

संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि इस तरह के ऑपरेशन पूरे देश में नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने चाहिए.

डिकॉय ऑपरेशन लाभकारी साबित हुआ है, राजस्थान पुलिस विभाग राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में डिकॉय ऑपरेशन चला रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिकायत सुनी जा रही है या नहीं.

डिकॉय ऑपरेशन के तहत किसी व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए विभाग द्वारा ही भेजा जाता है. राजस्थान में 2018 में 28 और 2019 में 17 डिकॉय ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. इस दौरान कई मामले ऐसे भी आए, जहां एसएचओ ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. इसके एवज में उन अधिकारियों को दंडित किया गया, किसी को मामूली दंड तो किसी को अधिक दंड दिया गया.

इसके अलावा जो पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी का पालन नहीं करते मिले, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 166 A के तहत मामला दर्ज किया गया है. खासकर जो अधिकारी महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचारों पर नियमित कार्रवाई नहीं की.

संसदीय समिति की राय है कि डिकॉय ऑपरेशन जमीनी स्तर के पुलिस अधिकारियों के बीच सतर्कता पैदा करता है, जिससे अधिक मामलों का पंजीकरण होगा.

इस बात पर संज्ञान लेते हुए कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं होते हैं, जिसके चलते पीड़ित न्याय से वंचित हो जाते हैं. इसके अलावा समिति ने इन मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने पर जोर दिया है.

कांग्रेस सासंद आनंद शर्मा की नेतृत्व वाली संसंदीय समिति ने एक रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संदर्भ में एडवाइजरी जारी करनी चाहिए. इतना ही नहीं समिति ने गृह मंत्रालय से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जीरो-एफआईआर को लागू करने की सिफारिश की है.

समिति ने कहा कि गृह मंत्रालय को अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) में जीरो-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान करनी चाहिए.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2017 में हरियाणा में 114 जीरो एफआईआर दर्ज की गई, 2018 में 225 और 2019 में 201.

इसी तरह, राजस्थान में 2017 में 8 जीरो एफआईआर, 2018 में 11 और 2019 में 80 जीरो एफआई दर्ज की गई हैं.

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वहीं महाराष्ट्र में 2017 में 450, 2018 में 604 और 2019 में 402 के साथ अधिकतम जीरो एफआईआर दर्ज की है.

हरियाणा में एफआईआर दर्ज करने में देरी करने पर 18 पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है, इसी तरह राजस्थान में 8 अधिकारी के खिलाफ और महाराष्ट्र में एक अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

समिति ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ आईपीसी के अपराधों जैसे पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, एसिड अटैक, मानव तस्करी के मामले में 2018 से 2019 तक जबरदस्त वृद्धि हुई है.

वहीं 2018 में 854 मानव तस्करी के मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में 2019 में भारी इजाफा देखने को मिला. इस साल मानव तस्करी के 966 मामले दर्ज किए गए.

इसी तरह महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और साइबर अपराध जैस मामले में भी भारी इजाफा देखने को मिला है.

समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ट्रेनों में भी एफआईआर दर्ज करने के लिए सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए.

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