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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने संबंधी विधेयक की पड़ताल करने वाली समिति में मात्र एक महिला सदस्य - Parliamentary Panel On Raising Legal Age Of Marriage

लड़की की शादी की उम्र बढ़ा कर 21 साल करने वाले विधेयक की पड़ताल करने के लिए गठित संसदीय समिति (Parliamentary Panel On Raising Legal Age Of Marriage) में मात्र एक महिला सांसद है. भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे के नेतृत्व वाली संसद की स्थायी समिति के सदस्यों की सूची राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसके अनुसार समिति के 31 सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला हैं.

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लड़कियों की शादी की उम्र
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Published : Jan 2, 2022, 8:53 PM IST

नई दिल्ली : संसद की उस समिति (Parliamentary Panel On Raising Legal Age Of Marriage) के 31 सदस्यों में मात्र एक महिला सांसद है, जिसे युवतियों के विवाह की कानूनी आयु को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव करने वाले विधेयक की पड़ताल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक का समाज, विशेषकर महिलाओं पर व्यापक प्रभाव होगा. इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और इसे शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा और खेल पर संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा लाये गए इस विधेयक में महिलाओं के विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे के नेतृत्व वाली संसद की स्थायी समिति के सदस्यों की सूची राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसके अनुसार समिति के 31 सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला हैं.

इसके बारे में पूछे जाने पर देव ने कहा कि समिति में और महिला सांसद होतीं तो बेहतर होता. देव ने कहा कि काश समिति में और महिला सांसद होतीं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी हितधारक समूहों की बात सुनी जाए.

संसद में महिला केंद्रित मुद्दों को उठाने वाली एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उस समिति में और अधिक महिला सांसद होनी चाहिए थीं, जो महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी.

उन्होंने कहा कि हालांकि, चेयरमैन के पास व्यक्तियों को समिति में आमंत्रित करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि इसलिए अधिक समावेशी और व्यापक चर्चा के लिए वह अन्य महिला सांसदों को आमंत्रित कर सकते हैं.

जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केंद्र द्वारा महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र बढ़ाई जा रही है.

संपर्क करने पर, जेटली ने कहा कि यदि इस प्रस्तावित कानून की जांच करने वाली समिति में 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं नहीं हों, तो यह उचित नहीं होगा.

जेटली ने कहा, मैं सभी राजनीतिक दलों, विशेष रूप से उनसे अनुरोध करूंगी, जो महिला आरक्षण का समर्थन करते हैं, यदि व्यवस्था अनुमति देता है तो अपने सांसदों को महिला सांसदों से बदल दें या अपने सांसदों को सुझाव दें कि इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विचार-विमर्श करते समय वे महिला सांसदों से परामर्श करें.

विभाग से संबंधित स्थायी समितियां स्थायी होती हैं, जबकि विभिन्न मंत्रालयों के विधेयकों और संबंधित विषयों के लिए समय-समय पर संयुक्त और प्रवर समितियों का गठन किया जाता है. इन समितियों का गठन लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा किया जाता है.

यह भी पढ़ें- लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करेगी सरकार

शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी संसद की स्थायी समिति राज्यसभा प्रशासित एक समिति है. पार्टियां सदन में अपने सदस्यों के संख्या बल के आधार पर सदस्यों को मनोनीत करती हैं.

प्रस्तावित कानून देश के सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार लागू होने के बाद यह मौजूदा विवाह कानून और ‘पर्सनल लॉ’ का स्थान लेगा.

विधेयक को पेश किये जाने का कुछ सदस्यों ने विरोध किया और मांग की कि इसे अधिक जांच पड़ताल के लिए संसद की समिति को भेजा जाए. विधेयक में युवतियों के विवाह के लिए कानूनी उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है, जैसा कि पुरुषों के लिए प्रावधान है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद की उस समिति (Parliamentary Panel On Raising Legal Age Of Marriage) के 31 सदस्यों में मात्र एक महिला सांसद है, जिसे युवतियों के विवाह की कानूनी आयु को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव करने वाले विधेयक की पड़ताल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक का समाज, विशेषकर महिलाओं पर व्यापक प्रभाव होगा. इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और इसे शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा और खेल पर संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा लाये गए इस विधेयक में महिलाओं के विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे के नेतृत्व वाली संसद की स्थायी समिति के सदस्यों की सूची राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसके अनुसार समिति के 31 सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला हैं.

इसके बारे में पूछे जाने पर देव ने कहा कि समिति में और महिला सांसद होतीं तो बेहतर होता. देव ने कहा कि काश समिति में और महिला सांसद होतीं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी हितधारक समूहों की बात सुनी जाए.

संसद में महिला केंद्रित मुद्दों को उठाने वाली एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उस समिति में और अधिक महिला सांसद होनी चाहिए थीं, जो महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी.

उन्होंने कहा कि हालांकि, चेयरमैन के पास व्यक्तियों को समिति में आमंत्रित करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि इसलिए अधिक समावेशी और व्यापक चर्चा के लिए वह अन्य महिला सांसदों को आमंत्रित कर सकते हैं.

जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केंद्र द्वारा महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र बढ़ाई जा रही है.

संपर्क करने पर, जेटली ने कहा कि यदि इस प्रस्तावित कानून की जांच करने वाली समिति में 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं नहीं हों, तो यह उचित नहीं होगा.

जेटली ने कहा, मैं सभी राजनीतिक दलों, विशेष रूप से उनसे अनुरोध करूंगी, जो महिला आरक्षण का समर्थन करते हैं, यदि व्यवस्था अनुमति देता है तो अपने सांसदों को महिला सांसदों से बदल दें या अपने सांसदों को सुझाव दें कि इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विचार-विमर्श करते समय वे महिला सांसदों से परामर्श करें.

विभाग से संबंधित स्थायी समितियां स्थायी होती हैं, जबकि विभिन्न मंत्रालयों के विधेयकों और संबंधित विषयों के लिए समय-समय पर संयुक्त और प्रवर समितियों का गठन किया जाता है. इन समितियों का गठन लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा किया जाता है.

यह भी पढ़ें- लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करेगी सरकार

शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी संसद की स्थायी समिति राज्यसभा प्रशासित एक समिति है. पार्टियां सदन में अपने सदस्यों के संख्या बल के आधार पर सदस्यों को मनोनीत करती हैं.

प्रस्तावित कानून देश के सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार लागू होने के बाद यह मौजूदा विवाह कानून और ‘पर्सनल लॉ’ का स्थान लेगा.

विधेयक को पेश किये जाने का कुछ सदस्यों ने विरोध किया और मांग की कि इसे अधिक जांच पड़ताल के लिए संसद की समिति को भेजा जाए. विधेयक में युवतियों के विवाह के लिए कानूनी उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है, जैसा कि पुरुषों के लिए प्रावधान है.

(पीटीआई-भाषा)

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