नई दिल्ली : महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ रहे हैं. इसी के मद्देनजर एक संसदीय पैनल (Parliamentary panel) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय व शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया है कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम (self defence training course ) को बचपन से ही नियमित पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में सभी शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए.
संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि इसी तरह सरकारी कार्यालय समूहों की पहचान करके कामकाजी महिलाओं के लिए इस तरह के प्रशिक्षण के आयोजन की व्यवस्था की जा सकती है. दिल्ली पुलिस को आवासीय कल्याण संघ और निजी कंपनियों को नियमित अंतराल पर अपनी महिला निवासियों / कर्मचारियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरुकता अभियान चलाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
अधिकारियों ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में सेल्फ डिफेंस कोर्स कराने का मामला गृह मंत्रालय से उठाया गया है. बुधवार को जारी एनसीआरबी के 2020 के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,71,503 मामले सामने आए. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल देश भर में रोजाना औसतन 77 रेप के मामले सामने आए.
2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 4,05,326 और 2018 में 3,78,236 थे. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में से 28,046 दुष्कर्म के मामले थे.
पिछले साल दुष्कर्म के सबसे ज्यादा 5,310 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए. इसके बाद 2,769 मामले उत्तर प्रदेश में, 2,339 मामले मध्य प्रदेश में, 2,061 मामले महाराष्ट्र में और 1,657 मामले असम में दर्ज किए गए. आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में दुष्कर्म के 997 मामले दर्ज किए गए हैं.
पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में से, सबसे ज्यादा 1,11,549 ‘पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ की श्रेणी के थे जबकि 62,300 मामले अपहरण के थे.
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 85,392 मामले 'शील भंग करने के लिए हमला' करने के थे तथा 3,741 मामले दुष्कर्म की कोशिश के थे. उसमें बताया गया है कि 2020 के दौरान पूरे देश में तेज़ाब हमले के 105 मामले दर्ज किए गए.
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आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले साल दहेज की वजह से मौत के 6,966 मामले दर्ज किए गए जिनमें 7,045 पीड़िताएं शामिल थीं. राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का जिक्र करते हुए, संसदीय पैनल ने दिल्ली पुलिस को ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान करने और राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के अपराध को रोकने के लिए उनकी मैपिंग का सुझाव दिया.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'गृह मंत्रालय को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत महानगरों में अपराध के आकर्षण के केंद्रों की पहचान और उनकी मैपिंग के लिए सलाह देनी चाहिए.'
महिला पुलिस भर्ती का सुझाव
गौरतलब है कि संसदीय पैनल ने दिल्ली पुलिस में महिलाओं की उपस्थिति बहुत कम होने के कारण गृह मंत्रालय की भी आलोचना की है. पैनल ने गृह मंत्रालय को दिल्ली पुलिस में 33 प्रतिशत महिला कर्मचारियों की भर्ती करने का भी सुझाव दिया है.
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