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संसदीय समिति ने सभी एम्स केंद्रों में शिक्षा व सेवाओं की गुणवत्ता समान बनाने पर जोर दिया

संसद की एक समिति ने सरकार को नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) को नई दिल्ली की प्रमुख इकाई के समान बनाने के साथ ही सेवाओं और शिक्षा की समान गुणवत्ता बनाए रखने के लिए संकायों (Faculties ) के आदान-प्रदान (Exchange of Faculties ) तथा ‘रोटेशन’ की व्यवहार्यता का पता लगाने की पुरजोर सिफारिश की है.

Parliamentary committee stresses on making quality of education and services equal in all AIIMS centers
संसदीय समिति ने सभी एम्स केंद्रों में शिक्षा व सेवाओं की गुणवत्ता समान बनाने पर जोर दिया
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Published : Dec 22, 2021, 2:21 PM IST

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने सरकार को नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) को नई दिल्ली की प्रमुख इकाई के समान बनाने के साथ ही सेवाओं और शिक्षा की समान गुणवत्ता बनाए रखने के लिए संकायों के आदान-प्रदान (Exchange of Faculties ) तथा ‘रोटेशन’ की व्यवहार्यता का पता लगाने की पुरजोर सिफारिश की है.

‘सभी एम्स संस्थानों की प्रगति की समीक्षा’ संबंधी प्राक्कलन समिति की 12वीं रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि जब सभी नए एम्स संस्थान वर्ष 2012 में संशोधित एम्स अधिनियम 1956 द्वारा संचालित हो रहे हैं, ऐसे में उपकरणों की खरीद के लिए दी गयी वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों तथा विशेषज्ञों तथा पढ़ाई के संदर्भ में कोई अंतर नहीं होना चाहिए.

लोकसभा में पेश की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को कार्यकारी निदेशक को प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के बदले हर नए एम्स संस्थान में निदेशक की नियुक्ति के लिए कानून के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करना चाहिए. समिति ने 65 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को प्रशासनिक पदों पर नियुक्त नहीं करने की भी सलाह दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति एम्स को मेडकिल उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में देखना चाहेगी जो केवल अनुभवी प्रतिभाओं के साथ भौतिक व्यवहार्यता के साथ ही संभव होगा और यह 70 वर्ष की आयु सीमा के साथ व्यवहार्य नहीं लगता है. समिति महसूस करती है कि नए एम्स में निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए मंत्रालय को मौजूदा प्रोफेसरों के लिए करियर के अवसरों तथा नयी प्रतिभा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार समिति पुरजोर सिफारिश करती है कि स्वास्थ्य मंत्रालय नए एम्स की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करे और पीएमएसएसवाई (प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) के उद्देश्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करे, अर्थात देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि करे एवं एम्स कानून के प्रावधान का सख्ती से पालन करे. समिति ने उम्मीद जतायी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय पीएमएसएसवाई के अगले चरण में हर राज्य में एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना के लिए सक्रिय कदम उठाएंगे और इसे 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में शामिल करेंगे.

ये भी पढ़ें- Omicron variant: पीएम मोदी ने बुलाई महत्वपूर्ण बैठक, कल ले सकते हैं अहम फैसला

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति चाहती है कि मंत्रालय अन्य राज्यों के अनुरोधों पर फिर से विचार करे और प्रत्येक राज्य में एम्स जैसी संस्था समयबद्ध तरीके से स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए. समिति ने मंत्रालय से सभी एम्स को निर्देश व दिशानिर्देश जारी करने का भी आग्रह किया है जो एम्स में सभी श्रेणियों के कर्मचारियों को लाभान्वित करने के लिए ऑनलाइन चिकित्सा शिक्षा की खातिर एक व्यापक मॉड्यूल का मसौदा तैयार करें.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने सरकार को नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) को नई दिल्ली की प्रमुख इकाई के समान बनाने के साथ ही सेवाओं और शिक्षा की समान गुणवत्ता बनाए रखने के लिए संकायों के आदान-प्रदान (Exchange of Faculties ) तथा ‘रोटेशन’ की व्यवहार्यता का पता लगाने की पुरजोर सिफारिश की है.

‘सभी एम्स संस्थानों की प्रगति की समीक्षा’ संबंधी प्राक्कलन समिति की 12वीं रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि जब सभी नए एम्स संस्थान वर्ष 2012 में संशोधित एम्स अधिनियम 1956 द्वारा संचालित हो रहे हैं, ऐसे में उपकरणों की खरीद के लिए दी गयी वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों तथा विशेषज्ञों तथा पढ़ाई के संदर्भ में कोई अंतर नहीं होना चाहिए.

लोकसभा में पेश की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को कार्यकारी निदेशक को प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के बदले हर नए एम्स संस्थान में निदेशक की नियुक्ति के लिए कानून के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करना चाहिए. समिति ने 65 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को प्रशासनिक पदों पर नियुक्त नहीं करने की भी सलाह दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति एम्स को मेडकिल उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में देखना चाहेगी जो केवल अनुभवी प्रतिभाओं के साथ भौतिक व्यवहार्यता के साथ ही संभव होगा और यह 70 वर्ष की आयु सीमा के साथ व्यवहार्य नहीं लगता है. समिति महसूस करती है कि नए एम्स में निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए मंत्रालय को मौजूदा प्रोफेसरों के लिए करियर के अवसरों तथा नयी प्रतिभा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार समिति पुरजोर सिफारिश करती है कि स्वास्थ्य मंत्रालय नए एम्स की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करे और पीएमएसएसवाई (प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) के उद्देश्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करे, अर्थात देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि करे एवं एम्स कानून के प्रावधान का सख्ती से पालन करे. समिति ने उम्मीद जतायी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय पीएमएसएसवाई के अगले चरण में हर राज्य में एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना के लिए सक्रिय कदम उठाएंगे और इसे 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में शामिल करेंगे.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति चाहती है कि मंत्रालय अन्य राज्यों के अनुरोधों पर फिर से विचार करे और प्रत्येक राज्य में एम्स जैसी संस्था समयबद्ध तरीके से स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए. समिति ने मंत्रालय से सभी एम्स को निर्देश व दिशानिर्देश जारी करने का भी आग्रह किया है जो एम्स में सभी श्रेणियों के कर्मचारियों को लाभान्वित करने के लिए ऑनलाइन चिकित्सा शिक्षा की खातिर एक व्यापक मॉड्यूल का मसौदा तैयार करें.

(पीटीआई-भाषा)

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