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कोरोना की दूसरी लहर : संसदीय समिति की बैठक में सरकार की विफलता पर उठे सवाल - बैठक में कोरोना की दूसरी लहर

गृह मामलों पर संसदीय समिति (parliamentary committee home ministry) की सोमवार को हुई बैठक में विपक्ष के सदस्यों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया. सदस्यों ने कोरोना की दूसरी लहर में सरकार की विफलता पर सवाल उठाए. साथ ही बताया गया कि कोरोना के नए स्वरूपों के मामले 20 जून तक 51 फीसदी तक पहुंच गए.

संसदीय समिति
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Published : Jun 28, 2021, 7:48 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 9:00 PM IST

नई दिल्ली : गृह मामलों पर संसदीय समिति (parliamentary committee home ministry) की सोमवार को हुई बैठक में विपक्ष के सदस्यों ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर को संभालने में सरकार की विफलता को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए.

इस पर कांग्रेस, एआईटीसी और द्रमुक सहित विपक्षी दलों के कई सांसदों ने भी एक संघ स्थापित करने की मांग की है जो विशेष रूप से महामारी की किसी भी संभावित तीसरी लहर से निपट सके.उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद सरकारी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि तीसरी लहर कब आएगी. जबकि अलग-अलग राय और बयान आ रहे हैं. इसलिए, हमने मांग की कि एक ऐसा संघ होना चाहिए जिसमें प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हों जो तीसरी लहर पर स्पष्टता दे सकें. इस बारे में संसदीय समिति के एक सदस्य ने ईटीवी भारत से कहा कि तीसरी लहर पर भ्रम है.

इस अवसर पर सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि मई में कोरोना वायरस के कुल संक्रमण में 10 फीसदी मामले कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी तक पहुंच गए तथा देश में निर्मित दोनों टीके 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' इन स्वरूपों के खिलाफ कारगर हैं, हालांकि असर थोड़ा कम है. एक सूत्र ने यह जानकारी दी.

बैठक में गृह, स्वास्थ्य, आर्थिक मामलों के साथ-साथ उद्योग और श्रम मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान सदस्यों ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के कारण पैदा हुई स्थिति को नियंत्रित करने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है. इस दौरान सरकार कठोर बनी रही.उन्होंने कहा कि करीब दो महीने से ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी थी...इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा.

ये भी पढ़ें - आईटी विवाद पर संसदीय समिति ने गूगल, फेसबुक को भेजा समन

सूत्रों के मुताबिक, टीकों की उपलब्धता के बारे में अधिकारियों ने गृह मामलों की स्थायी समिति को सूचित किया कि इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ खुराक उपलब्ध कराई जाएगी. ये खुराक कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी, जायडस कैडिला का डीएनए टीका और 'बायो ई सबयूनिट' टीके की होंगी.

इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा करते हैं. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन, वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के. राजा रमन उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने समिति के समक्ष कोविड की दूसरी लहर के 'सामाजिक-आर्थिक परिणाम' पर अपनी बात रखी.

कोरोना वायरस के कई चिंताजनक स्वरूपों के बारे में जानकारी साझा करते हुए अधिकारियों ने समिति को बताया कि इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्वरूप शामिल हैं. उन्होंने कहा कि 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 174 जिलों में ये स्वरूप पाए गए हैं. इनके सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात सामने आए हैं.

अधिकारियों द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, कोरोना के चिंताजनक स्वरूपों का अधिक प्रसार होता है, इनकी प्रचंडता और निदान, दवाओं एवं टीकों के संदर्भ में भी बदलाव है. समिति से संबंधित एक सूत्र ने बताया, 'अधिकारियों ने समिति को बताया कि कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के मामले मई में 10.31 फीसदी थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी हो गए.'

सूत्र ने कहा कि आईसीएमआर और 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी' की ओर से इन स्वरूपों के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड के असर को लेकर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि इन स्वरूपों में प्रतिरोधक क्षमता अन्य स्वरूपों के मुकाबले थोड़ा घट जाती है, लेकिन टीके बीमारी के गंभीर स्वरूप में प्रभावी हैं. समिति को सूचित किया गया कि डेल्टा प्लस के असर को लेकर भी इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है.

नई दिल्ली : गृह मामलों पर संसदीय समिति (parliamentary committee home ministry) की सोमवार को हुई बैठक में विपक्ष के सदस्यों ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर को संभालने में सरकार की विफलता को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए.

इस पर कांग्रेस, एआईटीसी और द्रमुक सहित विपक्षी दलों के कई सांसदों ने भी एक संघ स्थापित करने की मांग की है जो विशेष रूप से महामारी की किसी भी संभावित तीसरी लहर से निपट सके.उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद सरकारी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि तीसरी लहर कब आएगी. जबकि अलग-अलग राय और बयान आ रहे हैं. इसलिए, हमने मांग की कि एक ऐसा संघ होना चाहिए जिसमें प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हों जो तीसरी लहर पर स्पष्टता दे सकें. इस बारे में संसदीय समिति के एक सदस्य ने ईटीवी भारत से कहा कि तीसरी लहर पर भ्रम है.

इस अवसर पर सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि मई में कोरोना वायरस के कुल संक्रमण में 10 फीसदी मामले कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी तक पहुंच गए तथा देश में निर्मित दोनों टीके 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' इन स्वरूपों के खिलाफ कारगर हैं, हालांकि असर थोड़ा कम है. एक सूत्र ने यह जानकारी दी.

बैठक में गृह, स्वास्थ्य, आर्थिक मामलों के साथ-साथ उद्योग और श्रम मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान सदस्यों ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के कारण पैदा हुई स्थिति को नियंत्रित करने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है. इस दौरान सरकार कठोर बनी रही.उन्होंने कहा कि करीब दो महीने से ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी थी...इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा.

ये भी पढ़ें - आईटी विवाद पर संसदीय समिति ने गूगल, फेसबुक को भेजा समन

सूत्रों के मुताबिक, टीकों की उपलब्धता के बारे में अधिकारियों ने गृह मामलों की स्थायी समिति को सूचित किया कि इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ खुराक उपलब्ध कराई जाएगी. ये खुराक कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी, जायडस कैडिला का डीएनए टीका और 'बायो ई सबयूनिट' टीके की होंगी.

इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा करते हैं. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन, वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के. राजा रमन उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने समिति के समक्ष कोविड की दूसरी लहर के 'सामाजिक-आर्थिक परिणाम' पर अपनी बात रखी.

कोरोना वायरस के कई चिंताजनक स्वरूपों के बारे में जानकारी साझा करते हुए अधिकारियों ने समिति को बताया कि इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्वरूप शामिल हैं. उन्होंने कहा कि 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 174 जिलों में ये स्वरूप पाए गए हैं. इनके सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात सामने आए हैं.

अधिकारियों द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, कोरोना के चिंताजनक स्वरूपों का अधिक प्रसार होता है, इनकी प्रचंडता और निदान, दवाओं एवं टीकों के संदर्भ में भी बदलाव है. समिति से संबंधित एक सूत्र ने बताया, 'अधिकारियों ने समिति को बताया कि कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के मामले मई में 10.31 फीसदी थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी हो गए.'

सूत्र ने कहा कि आईसीएमआर और 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी' की ओर से इन स्वरूपों के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड के असर को लेकर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि इन स्वरूपों में प्रतिरोधक क्षमता अन्य स्वरूपों के मुकाबले थोड़ा घट जाती है, लेकिन टीके बीमारी के गंभीर स्वरूप में प्रभावी हैं. समिति को सूचित किया गया कि डेल्टा प्लस के असर को लेकर भी इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है.

Last Updated : Jun 28, 2021, 9:00 PM IST
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