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सभी हेल्पलाइन नंबरों को एकीकृत कर काॅमन नंबर जारी करे एमएचए : संसदीय समिति

एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को तीन अंकों का एक सामान्य पैन-इंडिया हेल्पलाइन नंबर बनाने का सुझाव दिया है. समिति ने राज्यों के सभी हेल्पलाइन नंबरों को एकीकृत करके एक नंबर जारी करने का सुझाव दिया है.

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Published : Mar 30, 2021, 6:22 PM IST

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नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा है कि एमएचए को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह देना चाहिए कि वे तीन अंकों के सामान्य पैन-इंडिया हेल्पलाइन नंबर 112 के साथ अपने हेल्पलाइन नंबरों को एकीकृत करें.

समिति का मानना ​​है कि जो महिलाएं संकट में हैं उनके लिए एक सामान्य राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए, जिसके जरिए उन्हें हर तरह की मुसीबत में मदद मिल सके. इससे देश के हर कोने में पहुंचने में मदद मिलेगी.

इससे पहले गृह मंत्रालय ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) हेल्पलाइन नंबर 112 जारी किया है और इसका संचालन हो रहा है. इसके अलावा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.

विदेशी पर्यटकों को भी सहूलियत

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने उल्लेख किया कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की शिकायतों की विभिन्न श्रेणियों के लिए कई हेल्पलाइन नंबरों का उपयोग किया जाता है. जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं.

समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि तीन अंको वाला एक ही हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए. जिसकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समान रूप से पहुंच हो. समिति ने कहा कि यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा जो भारत में रहने के दौरान विभिन्न राज्यों का दौरा करते हैं. यह उन विदेशियों के लिए भी अच्छा होगा जो एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रा और आवागमन करते हैं.

राज्यों के हेल्पलाइन नंबर अलग

समिति ने आगे कहा कि यह हेल्पलाइन नंबर राज्य प्रायोजित सहायता सेवाओं जैसे आश्रयों, वन स्टॉप सेंटर, परामर्श, आपातकालीन परिवहन सहायता और अन्य सुरक्षा उपायों से समग्र रूप से जुड़ा हो सकता है.

आंकड़ों के अनुसार हरियाणा राज्य में 1091 के माध्यम से 2020 तक 94000 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं.

181 के माध्यम से 24525 कॉल मिली. हरियाणा में चाइल्ड हेल्पलाइन के रूप में एक और हेल्पलाइन नंबर 1098 है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में ऐसी तीन संख्याएं हैं जिनमें 112, 1090 और 181 शामिल हैं.

राज्य को 2020 में 1090 के माध्यम से 42,000 कॉल मिली हैं. वहीं राजस्थान में 100, 112 और 090 सहित तीन हेल्पलाइन नंबर हैं.

पश्चिम बंगाल में कोलकाता शहर के लिए स्थापित दो हेल्पलाइन नंबर 112 और 8017100100 है. महाराष्ट्र में 4 नंबर 103, 1090, 1091 और 1512 हैं. तमिलनाडु में तीन नंबर 100, 181 और 1091 हैं.

देर से पहुंचती है मदद

विडंबना यह है कि जब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कम करने में हेल्पलाइन नंबरों की प्रभावकारिता के बारे में पूछा गया तो समिति को एक्शन इंडिया (एक एनजीओ) द्वारा सूचित किया गया कि हेल्पलाइन सहायक नहीं है. क्योंकि वे कम परामर्श सुविधा के साथ जवाब देने के लिए लंबा समय लेते हैं.

समिति की ओर से कहा गया कि यह भी माना जाता है कि कई बार मदद देर से पहुंचती है. समिति को बताया गया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय भी चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 संचालित करता है. जो कि 24/ 7 घंटे चालू है रहता है. यह संकट में बच्चों के लिए एक आपातकालीन है जो उन्हें आपात देखभाल के साथ-साथ दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास सेवा से जोड़ती है.

छूटी काॅल पर हो अध्ययन

समिति को यह भी बताया गया है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय रेलवे प्लेटफार्मों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क स्थापित करके कठिन परिस्थितियों में रेलवे के संपर्क में आने वाले बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिए रेल मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है.

समिति अनुशंसा करती है कि एमएचए को इन हेल्पलाइन नंबरों के कॉल ड्रॉप्स पर एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन करना चाहिए और इन कॉल्स का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख करना चाहिए.

यह भी पढे़ं-नंदीग्राम में उमड़े जनसैलाब पर बोले शाह- बहुत बड़े मार्जिन से जीत रहे शुभेंदु

समिति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए कि संकट काल के लिए प्रतिक्रिया समय कम से कम हो और पीड़ित को समय पर मदद मिल सके.

नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा है कि एमएचए को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह देना चाहिए कि वे तीन अंकों के सामान्य पैन-इंडिया हेल्पलाइन नंबर 112 के साथ अपने हेल्पलाइन नंबरों को एकीकृत करें.

समिति का मानना ​​है कि जो महिलाएं संकट में हैं उनके लिए एक सामान्य राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए, जिसके जरिए उन्हें हर तरह की मुसीबत में मदद मिल सके. इससे देश के हर कोने में पहुंचने में मदद मिलेगी.

इससे पहले गृह मंत्रालय ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) हेल्पलाइन नंबर 112 जारी किया है और इसका संचालन हो रहा है. इसके अलावा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.

विदेशी पर्यटकों को भी सहूलियत

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने उल्लेख किया कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की शिकायतों की विभिन्न श्रेणियों के लिए कई हेल्पलाइन नंबरों का उपयोग किया जाता है. जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं.

समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि तीन अंको वाला एक ही हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए. जिसकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समान रूप से पहुंच हो. समिति ने कहा कि यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा जो भारत में रहने के दौरान विभिन्न राज्यों का दौरा करते हैं. यह उन विदेशियों के लिए भी अच्छा होगा जो एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रा और आवागमन करते हैं.

राज्यों के हेल्पलाइन नंबर अलग

समिति ने आगे कहा कि यह हेल्पलाइन नंबर राज्य प्रायोजित सहायता सेवाओं जैसे आश्रयों, वन स्टॉप सेंटर, परामर्श, आपातकालीन परिवहन सहायता और अन्य सुरक्षा उपायों से समग्र रूप से जुड़ा हो सकता है.

आंकड़ों के अनुसार हरियाणा राज्य में 1091 के माध्यम से 2020 तक 94000 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं.

181 के माध्यम से 24525 कॉल मिली. हरियाणा में चाइल्ड हेल्पलाइन के रूप में एक और हेल्पलाइन नंबर 1098 है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में ऐसी तीन संख्याएं हैं जिनमें 112, 1090 और 181 शामिल हैं.

राज्य को 2020 में 1090 के माध्यम से 42,000 कॉल मिली हैं. वहीं राजस्थान में 100, 112 और 090 सहित तीन हेल्पलाइन नंबर हैं.

पश्चिम बंगाल में कोलकाता शहर के लिए स्थापित दो हेल्पलाइन नंबर 112 और 8017100100 है. महाराष्ट्र में 4 नंबर 103, 1090, 1091 और 1512 हैं. तमिलनाडु में तीन नंबर 100, 181 और 1091 हैं.

देर से पहुंचती है मदद

विडंबना यह है कि जब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कम करने में हेल्पलाइन नंबरों की प्रभावकारिता के बारे में पूछा गया तो समिति को एक्शन इंडिया (एक एनजीओ) द्वारा सूचित किया गया कि हेल्पलाइन सहायक नहीं है. क्योंकि वे कम परामर्श सुविधा के साथ जवाब देने के लिए लंबा समय लेते हैं.

समिति की ओर से कहा गया कि यह भी माना जाता है कि कई बार मदद देर से पहुंचती है. समिति को बताया गया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय भी चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 संचालित करता है. जो कि 24/ 7 घंटे चालू है रहता है. यह संकट में बच्चों के लिए एक आपातकालीन है जो उन्हें आपात देखभाल के साथ-साथ दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास सेवा से जोड़ती है.

छूटी काॅल पर हो अध्ययन

समिति को यह भी बताया गया है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय रेलवे प्लेटफार्मों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क स्थापित करके कठिन परिस्थितियों में रेलवे के संपर्क में आने वाले बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिए रेल मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है.

समिति अनुशंसा करती है कि एमएचए को इन हेल्पलाइन नंबरों के कॉल ड्रॉप्स पर एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन करना चाहिए और इन कॉल्स का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख करना चाहिए.

यह भी पढे़ं-नंदीग्राम में उमड़े जनसैलाब पर बोले शाह- बहुत बड़े मार्जिन से जीत रहे शुभेंदु

समिति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए कि संकट काल के लिए प्रतिक्रिया समय कम से कम हो और पीड़ित को समय पर मदद मिल सके.

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