नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र (parliament winter session) के दूसरे दिन आज 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग की गई. राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (LoP Rajya Sabha Mallikaarjun Kharge) ने सांसदों के निलंबन (Rajya Sabha Members Suspension) पर दोबारा विचार करने की अपील की. हालांकि, सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि फैसला राज्य सभा की समिति ने किया है. निलंबित सांसदों ने अपने व्यवहार पर कोई खेद व्यक्त नहीं किया है, ऐसे में राज्य सभा सांसदों का निलंबन वापस नहीं किया जाएगा.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति नायडू से मुखातिब होते हुए कहा कि हम आपके कार्यालय में 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने का अनुरोध करने आए थे. घटना पिछले मानसून सत्र की है. ऐसे में अब शीतकालीन सत्र में निलंबन का निर्णय कैसे लिया जा सकता है.
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले मानसून सत्र का कड़वा अनुभव आज भी हममें से अधिकांश लोगों को परेशान करता है. उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में जो निराशाजनक व्यवहार हुआ, उसके बाद वे अपेक्षा कर रहे थे कि सदन की प्रमुख हस्तियां कुछ सांसदों के अमर्यादित व्यवहार की निंदा करने के लिए आगे आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
नायडू ने कहा कि सांसदों की तरफ से मिलने वाले आश्वासन से मुझे मामले को ठीक से संभालने में मदद मिलती लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.
इसके बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल शुरू कराया. सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा 12 सांसदों के निलंबन का फैसला रद्द करने का अनुरोध खारिज करने के बाद विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया.
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सांसदों के निलंबन प्रकरण में जोर देकर कहा कि सदन के 12 सदस्यों को मौजूदा शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए निलंबन सदन के नियमों के अनुसार किया गया है. उन्होंने कहा कि सभापति ने सांसदों को निलंबित नहीं किया है. लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह फैसला सदन की ओर से लिया गया है.
सभापति नायडू ने निलंबन पर सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाई गए प्रक्रियात्मक आपत्तियों का जवाब देते हुए विभिन्न पहलुओं की व्याख्या की. राज्यसभा को भंग न होने वाली संस्था (continuing institution) बताते हुए, सभापति नायडू ने कहा कि पिछले मानसून सत्र के अंतिम दिन कुछ सांसदों के अशोभनीय कृत्यों (acts of misconduct) के लिए मौजूदा शीतकालीन सत्र के पहले दिन कार्रवाई करना सही था. उन्होंने दोहराया और कहा कि निर्णय सदन का था न कि सभापति का.
नायडू ने कहा कि सदन की ओर से किए गए निलंबन को अलोकतांत्रिक करार देना सही नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सभापति और सदन को सदस्यों द्वारा अनुशासनहीनता के कृत्यों (acts of indiscipline) के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार है. ऐसा सदन की प्रक्रिया के नियमों के तहत किया जाता है.
बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा से 12 सांसदों को निलंबित (rajya sabha members suspended) कर दिया गया. सांसदों को शीतकालीन सत्र (parliament winter session) की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उन पर संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में अशोभनीय आचरण और सभापति के निर्देशों का उल्लंघन के आरोपों के अलावा संसदीय नियमों की अनदेखी का आरोप है.
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निलंबित किए गए 12 राज्यसभा सांसदों में से एक शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena MP Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि जिला अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में आरोपी का पक्ष भी सुना जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है, लेकिन संसद में निलंबन से पहले हमारा पक्ष नहीं सुना गया.
संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी (Prahlad Joshi Rajya Sabha MP Suspension) के प्रस्ताव के बाद जिन सांसदों को निलंबित किया गया है इनमें कांग्रेस के छह सांसदों के नाम शामिल हैं. तृणमूल, शिवसेना और वाम दलों के दो-दो सांसदों को निलंबित किया गया है.
बता दें कि संसद के मानसून सत्र के दौरान कई मौके ऐसे आए थे, जब संसदीय मर्यादा तार-तार होती दिखी. खुद सभापति नायडू कई मौकों पर क्षुब्ध दिखे थे. राज्य सभा की कार्यवाही के 11वें दिन सरकार के खिलाफ आंदोलित राज्य सभा सदस्य वेल में तख्तियों के साथ घुस कर हंगामा करते रहे. इस पर सभापति वेंकैया नायडू भड़क उठे. उन्होंने कहा कि कोई भी सदस्य कार्यवाही संचालन को लेकर सभापति को निर्देश नहीं दे सकता.
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व्यवधान पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों ने कहा कि उन्हें यहां हंगामा करने के लिए नहीं भेजा गया है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हंगामे को 'हिंसक प्रदर्शन' करार देते हुए कहा कि सदन में व्यवधान उत्पन्न किए जाने के रवैये की भर्त्सना की जानी चाहिए.
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गौरतलब है कि मानसून सत्र के दौरान गत चार अगस्त को राज्य सभा के वेल में तख्तियों के साथ घुसे तृणमूल कांग्रेस के सांसदों को कार्यवाही (withdraw from Rajya Sabha proceedings) में भाग लेने से बाहर निकाल दिया गया था.
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मानसून सत्र में अशोभनीय आचरण के लिए राज्य सभा में तृणमूल कांग्रेस (TMC in Rajya Sabha) के कई सांसदों को बाहर निकाला गया था. इन लोगों में तृणमूल सांसद डोला सेन (Dola Sen), नदीमुल हक (Nadimul Haque) अर्पिता घोष (Arpita Ghosh), मौसम नूर (Mausam Noor), शांता छेत्री (Shanta Chhetri) और अबीर रंजन बिस्वास (Abir Ranjan Biswas) थे. सभी लोगों को सभापति के आसन के समक्ष खराब बर्ताव के लिए सदन की कार्यवाही से बाहर किया गया था.
हंगामे के एक ऐसे ही घटनाक्रम में सरकार की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि विपक्ष हंगामा करके आदिवासी महिला मंत्री का अपमान कर रहा है. मंडाविया ने कहा था कि हंगामा कर रहा विपक्ष यह नहीं चाहता कि मातृत्व मृत्यु दर और स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों पर संसद में बात की जाए, इसलिए हंगामा और नारेबाजी की जा रही है. ऐसा करने के कारण आदिवासी महिला मंत्री का अपमान हो रहा है.
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विगत 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान लोक सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई थी. लोक सभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने बताया था कि आज 17वीं लोक सभा का छठा सत्र समाप्त हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस सत्र में लोक सभा का कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा. उन्होंने कहा कि कुल 17 बैठकों में मात्र 21 घंटे 14 मिनट का काम संपादित हुआ.