नई दिल्ली: संसद का विशेष सत्र 2023 आज से शुरू हो गया है. इस विशेष सत्र को सबसे पहले पीएम मोदी ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हम लोग पुराने सदन से विदा ले रहे हैं. यह भावुक पल है. उन्होंने आगे कहा कि हम सभी को नए सदन में प्रवेश करने से पहले पुराने संसद के स्वर्णिम पलों का याद करना चाहिए. आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सभी लोग ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. उन्होंने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले यह भवन काउंसिल की जगह हुआ करती थी. आजादी मिलने के बाद इस भवन को संसद के रूप में नई पहचान मिली.
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#WATCH | Special Session of the Parliament | Prime Minister Narendra Modi says, "...The echoes of Pandit Nehru's "At the stroke of the midnight..." in this House will keep inspiring us. In this House itself, Atal ji had said, "Sarkarein aayegi-jaayegi, partiyan banegi-bigdegi,… pic.twitter.com/MdYI4p6MfC
— ANI (@ANI) September 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 18, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस बिल्डिंग को बनाने का फैसला विदेशी शासकों का था, लेकिन हमको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस भवन के निर्माण में देशवासियों का खून-पसीना लगा था. इसके साथ-साथ हमारे देश का पैसा भी लगा था. लोकसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की 75 साल की यह यात्रा मूल्यवान है. उन्होंने कहा कि हम लोग नए भवन में भले ही चले जाएं, लेकिन इस सदन की यादें हमेशा जहन में याद रहेगी. यह सदन नए संसद भवन को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.
जी20 समिट का किया जिक्र
पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जी20 की अध्यक्षता करना देश के लिए गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर के राजनेताओं को एक छत के नीचे लेकर आना और सबकी सहमति से हस्ताक्षर करना यह हमारे देश की ताकत को प्रदर्शित करता है. आज पूरी दुनिया भारत में अपने मित्र को खोज रहा है.
गरीब मां का बेटा संसद की दहलीज पर पहुंचा
पीएम मोदी ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि एक गरीब मां का बेटा संसद की दहलीज पर कदम रखेगा. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार संसद पहुंचा तो सिर झुकाकर इसको प्रणाम किया. ये हमारे देश के लोकतंत्र की खासियत है. उन्होंने अपना जिक्र करते हुए कहा कि प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक साधारण गरीब बच्चा आज संसद पहुंच गया है. मैंने जीवन में कभी भी इसकी कल्पना नहीं की था. देशवासियों ने मुझे ढेर सारा प्यार दिया, जिसका मैं आजीवन ऋणी रहूंगा.
कोरोना काल को किया याद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना काल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कोरोना में हमने देश को कभी भी रुकने नहीं दिया. सभी लोगों ने मास्क लगाकर देश को गति प्रदान की. सेंट्रल हाल के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि पुराने सदस्य सदन के सेंट्रल हॉल में जरूर आते है. यह इस सदन की खासियत है. उन्होंने आगे कहा कि देश पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसी भवन में 2 साल 11 महीने 18 दिन तक संविधान सभा की बैठकें हुई हैं.
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#WATCH | Special Session of the Parliament | Prime Minister Narendra Modi says "Many MPs attended the session despite health issues. During the COVID-19 crisis, our MPs attended the proceedings of both of the Houses and performed their duties...With the feeling that India's… pic.twitter.com/D61LRCEEXU
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भावुक पल है
सदन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह बहुत भावुक पल है. पीएम ने कहा कि जब कोई परिवार अपना पुराना घर छोड़कर नए घर में प्रवेश करता है तो उसके साथ तमाम यादें जुड़ी रहती हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मन-मस्तिष्क इन तमाम भावनाओं से द्रवित हो रहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह समेत अनेक नेताओं के देश के निर्माण में योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया.
पूर्व पीएम का किया जिक्र
उन्होंने संसद में पिछले 75 वर्षों में अर्जित अनेक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मनमोहन सिंह सरकार में सामने आए 'नोट के बदले वोट' घोटाले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस 75 वर्ष में सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जनमानस का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इस महान संस्था, व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास अटूट रहे. उन्होंने कहा, 'पंडित नेहरू, शास्त्री जी, अटल जी, मनमोहन सिंह जी तक देश का नेतृत्व करने वालों की बड़ी संख्या रही है. उन्होंने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है. देश को नये रंग रूप में ढालने का काम किया है. आज उनके गौरवगान का अवसर है.'
अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद
मोदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया. उन्होंने कहा कि देश को तीन प्रधानमंत्रियों- पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को उनके कार्यकाल के दौरान खोना पड़ा और सदन में उमंग तथा उत्साह के पलों के बीच आंसू भी बहे हैं. मोदी ने कहा कि यह वो सदन है जहां पंडित नेहरू के 'ए स्ट्रोक ऑफ मिडनाइड' भाषण की गूंज हम सभी को प्रेरित करती रहेगी. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था कि, 'सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए.'
हरित क्रांति का किया उल्लेख
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में मंत्री के रूप में डॉ भीमराम आंबेडकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं भारत में लाने में जोर देते थे और इसका परिणाम देश को आज भी लाभ के रूप में मिल रहा है. मोदी ने कहा कि आंबेडकर ने नेहरू सरकार में ‘जल नीति’ दी थी, तो शास्त्री ने 'हरित क्रांति' की नींव रखी थी, चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया तो नरसिंह राव की सरकार ने पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई आर्थिक नीतियों को अपनाने का साहस किया था.
मतदान करने की उम्र घटाई
उन्होंने कहा कि यह सदन इस बात का साक्षी रहेगा कि इसी संसद ने मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष करने का निर्णय लिया. इसी सदन के सामर्थ्य से वाजपेयी ने सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया और आदिवासी कार्य मंत्रालय तथा पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के सृजन जैसे निर्णय लिये. मोदी ने कहा कि वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण करके दुनिया को देश की ताकत भी दिखाई. उन्होंने कहा कि लेकिन इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश ने 'नोट के बदले वोट' कांड को भी देखा.
तीन राज्यों के गठन पर दिया बयान
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के शासनकाल में तीन नये राज्य उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ बनने पर हर तरफ उत्सव का माहौल था, लेकिन तेलंगाना के हक को दबोचने के भारी प्रयास हुए. उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया. मोदी ने कहा, 'अच्छा होता कि उसी उत्सव के साथ तेलंगाना का निर्माण होता जिस तरह छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का हुआ था.' प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के समय हुए कुछ निर्णय गिनाते हुए कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र के साथ इस सदन में अनेक ऐतिहासिक निर्णय हुए और दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ.
वन रैंक वन पेंशन की गिनाई उपलब्धि
उन्होंने इसमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति, एक राष्ट्र एक कर, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जैसे फैसले गिनाए. मोदी ने कहा कि इसी सदन में एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी थी और पूर्व प्रधानमंत्री ने सत्ता गंवाने की चिंता किए बिना लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाया था. उन्होंने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर डॉ अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, इन सभी के संबोधनों का लाभ सदस्यों को मिला है.
सामूहिक प्रयास के परिणाम की गूंज विश्व में सुनाई दे रही
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जीवी मावलंकर से लेकर सुमित्रा महाजन और अब ओम बिरला तक सदन के 17 अध्यक्ष रहे हैं जिन्होंने अनेक चुनौतियों के बावजूद बेहतरीन तरीके से दोनों सदनों को सुचारू रूप से चलाया है. उन्होंने कहा, 'सभी अध्यक्षों की अपनी शैली रही और उन्होंने सभी को साथ लेकर नियमों, कानूनों के बंधन में सदन को ऊर्जावान बनाये रखा. मैं उन सभी का वंदन, अभिनंदन करता हूं.' उन्होंने कहा कि आज दुनिया में चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है और गौरव के साथ हो रही है. उन्होंने कहा कि देश के 75 साल के संसदीय इतिहास में सामूहिक प्रयास के परिणाम की गूंज विश्व में सुनाई दे रही है.
महिला सदस्यों की बढ़ रही संख्या
उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास के प्रारंभ से अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर लगभग 7500 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है जिनमें करीब 600 महिला सदस्य रही हैं. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे महिला सदस्यों की संख्या बढ़ती गयी है. मोदी ने कहा कि इसी सदन की शक्ति है कि इंद्रजीत गुप्ता जैसे सांसद 43 साल तक सदन में रहे तो आज शफीकुर रहमान बर्क 93 वर्ष की आयु में भी सदन में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि 25 साल की चंद्रमणि मुर्मू सदन की सदस्य बनीं.
देश आगे बढ़ता जाएगा
मोदी ने कहा कि इस सदन में हमने वाद-विवाद, कटाक्ष सबकुछ का अनुभव किया है, लेकिन उसके बावजूद हम लोगों के बीच परिवार भाव रहा है और वह लोकतंत्र को एक अलग ही ऊंचाई तक ले जाता है. उन्होंने कहा कि हम यहां से कड़वाहट पालकर नहीं जाते और हम उसी प्यार से सदन छोड़ने के बाद भी मिलते हैं. मोदी ने कहा कि आजादी के बाद बहुत से विद्वानों ने आशंकाएं व्यक्त की थीं कि देश चल पाएगा या नहीं? एक रहेगा या नहीं? लोकतंत्र बना तो रहेगा? लेकिन देश की संसद की ताकत है कि पूरे विश्व की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया और देश पूरे सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ता रहा.
मोदी ने इस अवसर पर पुराने संसद भवन में कार्य करने वाले विभिन्न कर्मियों, सचिवालय के कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों के योगदान का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि अब हम नई संसद में जाएंगे तो नये विश्वास के साथ जाएंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि उससे पहले 'मैं इस धरती को, इस सदन को प्रणाम करता हूं. इसकी एक एक ईंट को प्रणाम करता हूं.'
एकस्ट्रा इनपुट-एजेंसी