नई दिल्ली : संसद में गुरुवार को भी पिछले दिनों की तरह मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध बरकरार रहा. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी. हंगामे के बीच सरकार ने कारोबार सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य वाले विधेयक सहित दो विधेयक पारित कराए. वहीं, राज्यसभा में फिल्म उद्योग में पायरेसी मुद्दों को नियंत्रित करने पर केन्द्रित चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित किया गया.
जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2023 : लोकसभा ने 'जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2023' को मंजूरी दे दी जिसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से स्वीकृति दी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. इसमें कारोबार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल 22 दिसंबर को लोकसभा में ‘जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक’ पेश किया था. इसके बाद विधेयक को विचार के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था. संयुक्त समिति की अनुशंसाओं को इस विधेयक में समाहित किया गया है. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस सरकार ने अपने कार्यों से 140 करोड़ नागरिकों पर अपना विश्वास कायम किया है.
अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक, 2023 : लोकसभा में ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक, 2023’ पेश किया गया. इसके माध्यम से ‘अपटत क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002’ में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन में कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उक्त विधेयक पेश किया. इस दौरान मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्य शोर-शराबा कर रहे थे. जब पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से विधेयक पर बात रखने को कहा, तो उन्होंने अपनी पार्टी के सांसद गौरव गोगोई द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा उठाना चाहा. पीठासीन सभापति ने हालांकि इसे अस्वीकार कर दिया. तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी मणिपुर के मुद्दे को उठाने का प्रयास किया. वहीं, कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस विधेयक को पेश करना संसद के विधायी क्षेत्राधिकार में आता है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक’ को पेश करने को स्वीकृति दी.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारत, नौ तटीय राज्यों और चार संघ राज्य क्षेत्रों की लंबी तटरेखा और वृहद आर्थिक क्षेत्र एवं समुद्री स्थिति में होने के बावजूद अपनी विकास संबंधी जरूरतों के लिए अपतटीय खनिज संसाधनों का दोहन नहीं कर पा रहा है. वर्तमान कानून में परिचालन अधिकारों को आवंटित करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र के विधि ढांचे की कमी और ब्लाकों के आवंटन पर लंबित मुकदमों के गतिरोध के कारण अपतटीय ब्लाकों के आवंटन के पिछले प्रयासों के वांछित परिणाम नहीं मिले. ऐसे में यह विधेयक लाया गया है. इसमें कहा गया कि इसके माध्यम से प्रतियोगी बोली द्वारा केवल नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्रों के लिए उत्पादन पट्टे को प्रदान करने का उपबंध किया गया है. इसमें केंद्र सरकार द्वारा आरक्षित किए गए खनिज संबंधी क्षेत्रों में सरकार या सरकारी कंपनी या निगम को प्रतियोगी बोली के बिना संक्रिया अधिकार देने का उपबंध किया गया है.
निरसन एवं संशोधन विधेयक, 2022 : लोकसभा ने 'निरसन एवं संशोधन विधेयक 2022' को मंजूरी दी जिसके माध्यम से वर्षों पुराने एवं अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है जिनमें एक कानून 138 वर्ष पुराना है. सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई. संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक ‘कारोबार सुगमता’ और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के सरकार के सिद्धांत के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जबकि इस सरकार में बड़ी संख्या में अनुपयोगी कानूनों को निरस्त किया गया है. मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में निरस्त किए गए अनुपयोगी कानूनों की संख्या 1562 है, जबकि संप्रग सरकार में एक भी ऐसा अधिनियम निरस्त नहीं किया गया. यह विधेयक लोकसभा में पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने पेश किया था. इस विधेयक में भूमि अधिग्रहण (खनन) अधिनियम 1885 को भी निरस्त करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक के माध्यम से टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी ढंग से रखने) संबंधी अधिनियम 1950 को भी निरस्त करने की बात कही गई है.
पढ़ें : Parliament Monsoon Session 2023 : संसद में गतिरोध जारी, हंगामे के बीच पेश हुए ये विधेयक
चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023 : फिल्म उद्योग में पायरेसी मुद्दों को नियंत्रित करने पर केन्द्रित चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023 को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को काफी नुकसान होता है और यह विधेयक इसके कारण फिल्मों को होने वाले नुकसान से बचाएगा. यह विधेयक चलचित्र अधिनियम 1952 को संशोधित करेगा. इससे पहले विधेयक पर चर्चा करते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने फिल्मों की 'पायरेसी' को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनाने वाले इस देश के मनोरंजन उद्योग की एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए. साथ ही उन्होंने सेंसर बोर्ड की प्रमाणन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने की वकालत की ताकि फिल्मों में भारतीय संस्कृति का समुचित चित्रण हो सके.
(पीटीआई-भाषा)