नई दिल्ली : राज्य सभा ने अवसंरचना एवं विकास के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी. इसके तहत देश में विकास वित्त संस्थान के गठन का प्रस्ताव किया गया है, ताकि आधारभूत ढांचे के विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक ऋण देने वाले वित्तीय संस्थान की कमी को दूर किया जा सके.
विधेयक पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विकास और वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर डीएफआई का गठन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके साथ देश में एक संस्थान और संस्थागत व्यवस्था होगी, जिससे दीर्घावधि के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि समय की मांग को देखते हुए अगले 25 साल के दौरान विकास के लिए देश की जरूरतों को ध्यान में रख कर इस तरह के संस्थान का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान पुराने संस्थानों के अनुभवों पर भी विचार किया गया. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित निकाय का संचालन पेशेवरों द्वारा किया जाएगा और सरकार सिर्फ अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी. शेष नियुक्तियां बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) द्वारा किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि हर साल निकाय की ऑडिट रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश की जाएगी.
विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के लिए शुरुआत में 20,000 करोड़ रुपये पूंजी डाली जाएगी जो शेयर पूंजी के रूप में होगी. इसमें 5,000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक अनुदान होगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से देश में आधारभूत ढांचे के विकास में मदद मिलेगी. उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आईपीओ का जिक्र करते हुए कहा कि इसका अर्थ निजीकरण नहीं है, बल्कि आम नागरिक उसमें निवेश कर सकेंगे. वित्त मंत्री के उत्तर के बाद सदन ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी. लोक सभा में यह पहले ही पारित हो चुका है.
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वित्त मंत्री सीतारमण ने इस बार के बजट भाषण में इस प्रकार के विकास वित्तीय संस्थान की स्थापना की घोषणा की थी. इस संस्थान द्वारा निवेशकों से धन जुटाने के संबंध में कर छूट प्रदान करने का प्रावधान भी प्रस्तावित है.