साबरकांठा (गुजरात): साबरकांठा के हिम्मतनगर में एक नवजात बच्ची जमीन में दबी मिली. जब किसानों ने जमीन खोदी और उसे बाहर निकाला तो बच्ची जिंदा थी. उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया. हालांकि पुलिस ने इस संबंध में तलाशी अभियान चलाया. वहीं बच्ची को जमीन में जिंदा दफनाने के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सुबह खेत में पहुंचने पर एक किसान ने कीचड़ के बाहर एक छोटा सा हाथ देखा. उसने दूसरों की मदद से उस जगह की खुदाई की.
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तो उसने देखा कि वह एक नवजात बच्ची का हाथ था. मिट्टी में दफन होने के बाद भी वह जिंदा थी. इसके बाद वे नवजात को हिम्मतनगर सिविल अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज किया जा रहा है. गंभोई पुलिस उपनिरीक्षक सीएफ ठाकोर ने स्थानीय मीडिया को बताया कि हमें सूचना मिली थी कि हितेंद्रसिंह के खेत में एक नवजात को जिंदा दफना दिया गया था. शिशु को बचा लिया गया और अस्पताल ले जाया गया. पुलिस ने हितेंद्र सिंह और अन्य स्थानीय लोगों के बयान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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अधिकारी ने कहा कि, एक बार माता-पिता या मां की पहचान हो जाने के बाद, एक आधिकारिक शिकायत दर्ज की जाएगी और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं पर कार्रवाई की जाएगी. किसान हितेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि गुरुवार की सुबह जब मैं खेत का निरीक्षण कर रहा था, तो मैंने नवजात का हाथ देखा. मैंने बिजली वितरण कंपनी के कार्यालय के कर्मचारियों से मदद मांगी, जो मेरे खेत के ठीक बगल में है. वे सभी दौड़ पड़े और उनमें से एक उन्होंने नवजात को बचाया. गड्ढा गहरा नहीं था और चूंकि नवजात बच्ची जीवित थी तो इसका मतलब है कि किसी ने इसे आज सुबह ही दफनाया होगा.
पुलिस के अनुसार नवजात के माता पिता मूल रूप से गांधीनगर के रहने वाले हैं. माता मंजुबेन के माता-पिता का घर गंभोई में है. वे यहां नवजात को लेकर आए थे. पति-पत्नी पिछले 15 दिनों से गंभोई में थे. गंभोई पुलिस की तीन अलग-अलग टीमों ने जांच शुरू कर मामले को सुलझा लिया है. पूछताछ के दौरान पुलिस नवजात की मां तक पहुंच गई. बताया जा रहा है कि नवजात की गर्भनाल तक नहीं काटी गई थी. संदेह है कि जन्म के तुरंत बाद उसे जमीन में दबा दिया गया था.