नई दिल्ली : केंद्र सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीबीएसई 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए ग्रेड/अंक देने के लिए दिए गए मूल्यांकन फॉर्मूले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई है. शिक्षाविदों व छाक्षों ने जहां इसे अच्छा बताया है वहीं अभिभावकों ने इस पर असहमति जताई है.
इस सिलसिले में शिक्षाविदों में अधिकांश ने 12वीं के मूल्यांकन फार्मूले पर सहमति जताई. वहीं कुछ ने कहा कि 10वीं विषय ज्यादा होने से वर्क स्टडी उतनी नहीं होती लेकिन 11वीं-12वीं में फोकस कैरियर ओरियंटेड होते हैं. साथ ही 12वीं में बच्चों के प्रतिशत से ही यूनिवर्सिटी में एडमिशन होता है. एग्जाम नहीं होने से बच्चों की सालभर की मेहनत का अच्छा परिणाम मिलता.
इसी तरह 12वीं के छात्रों ने फार्मूला को वर्तमान स्थिति में बेहतर बताया. उन्होंने कहा कि हर एग्जाम को गंभीरता से लेना चाहिए. लेकिन 11वीं में नया माहौल मिलने से थोड़ा प्रतिशत कम करना चाहिए था. छात्र पीयूष ने कहा कि 11वीं में 30 की जगह 20 प्रतिशत होना चाहिए था.
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हालांकि छात्रों के अभिभावकों में से अधिकांश ने इस पर अपनी असहमति जताई. अभिभावक संजीव ने निर्णय को गलत बताया. उन्होंने कहा कि 12वीं के आधार पर नंबर दिए जाने चाहिए. वहीं एक अन्य अभिभावक आशू ने भी 12वीं के दिए गए फार्मूले पर असहमति जताई.
बता दें कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीबीएसई 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए ग्रेड/अंक देने के लिए अपना मूल्यांकन फॉर्मूला पेश किया. केंद्र ने बताया कि 12वीं कक्षा के परिणाम कक्षा 10 (30% वेटेज), कक्षा 11 (30% वेटेज) और कक्षा 12 (40% वेटेज) में प्रदर्शन के आधार पर तय किए जाएंगे. तथा परिणाम की घोषणा 31 जुलाई 2021 तक की जाएगी.
इस दौरान बताया गया कि जहां तक 12वीं कक्षा के लिए अंतिम अंक प्रदान करने का संबंध है, इसके लिए विभिन्न स्कूलों द्वारा अपनाए गए मार्किंग मैकेनिज्म (अंक देने की प्रणाली) में अंतर को देखने के लिए एक मॉडरेशन कमेटी हो सकती है. वहीं कोर्ट को बताया कि प्रत्येक स्कूल को तीन परीक्षाओं में प्राप्त छात्रों के अंकों पर विचार करने के लिए एक परिणाम समिति बनानी होगी, जिसे सीबीएसई की मॉडरेशन कमेटी द्वारा जांचा जाएगा.
सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट का मूल्यांकन फॉर्मूला तय करने के लिए एक कमेटी बनाई थी. 12 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट के आधार पर मूल्यांकन फॉर्मूला बनाया गया है.