लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने का दुष्परिणाम सामने आया है. पिछले एक महीने के अंदर प्रदेश में कोरोना की रफ्तार 120% तेजी से बढ़ी है. आसान तरीके से समझें तो 4 अप्रैल तक यूपी में 6 लाख 30 हजार लोग संक्रमित थे.
मतलब पिछले साल 30 जनवरी से लेकर इस साल 4 अप्रैल तक प्रदेश में इतने मरीज मिले थे. लेकिन, इसके बाद जब पंचायती चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार शुरू हुआ तो संक्रमितों का आंकड़ा महज एक महीने के अंदर बढ़कर 14 लाख पहुंच गया. इस तरह पंचायत चुनाव के दौरान मौत के मामलों में 59.10 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
मौतों की संख्या में भी हुआ इजाफा
पंचायत चुनाव के दौरान संक्रमण के चलते मौत के मामलों में भी इजाफा हुआ है. 5 अप्रैल से 5 मई तक के सरकारी आंकड़ों को देखें तो इस दौरान सरकारी आंकड़ों में कुल 5257 लोगों ने जान गंवाई है. इसके पहले 4 अप्रैल तक 8894 मौतें हुईं थीं. इस तरह से पंचायत चुनाव के दौरान मौत के मामलों में 59.10% वृद्धि हुई है.
यूपी के 706 बेसिक शिक्षक-कर्मचारियों की मौत
उत्तर प्रदेश से 706 शिक्षकों-कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है. यह दावा उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया. संघ ने चुनाव आयोग से मांग की कि यूपी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पंचायत चुनाव की मतगणना को स्थगित किया जाए. लेकिन, सरकार और चुनाव आयोग ने शिक्षक संघ की बात नहीं मानीं.
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उधर, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की इस लिस्ट के बाद पूरे प्रदेश में सियासत गरमाई है.