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एफएटीएफ बैठक : पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से बाहर किए जाने की उम्मीद नहीं - एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला

एफएटीएफ बैठक 22 फरवरी से होनी है जिसमें ये फैसला होगा कि पाकिस्तान 'ग्रे लिस्ट' बाहर आएगा या नहीं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई देश आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने पर पाकिस्तान के रुख से खुश नहीं हैं ऐसे में उसका 'ग्रे लिस्ट' से बाहर निकलना मुश्किल है.

पाकिस्तान
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Published : Feb 21, 2021, 10:28 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कुछ यूरोपीय देशों ने यह रुख अपनाया है कि इस्लामाबाद ने इसके द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के सभी बिंदुओं को पूरी तरह से लागू नहीं किया है. यह जानकारी रविवार को एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई.

एफएटीएफ की धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगरानी के लिए पूर्ण बैठक 22 फरवरी से होने वाली है. पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखा था.

साथ ही इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी.

'डान' समाचारपत्र के अनुसार एफएटीएफ का पूर्ण सत्र 22 फरवरी से 25 फरवरी तक पेरिस में आयोजित होगा जिसमें पाकिस्तान सहित 'ग्रे सूची' के विभिन्न देशों के मामलों पर विचार किया जाएगा और बैठकों के समापन पर इस पर निर्णय लिया जाएगा.

अक्टूबर 2020 में लगा था पाकिस्तान को झटका

अक्टूबर 2020 में आयोजित अंतिम पूर्णसत्र में, एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी 'ग्रे लिस्ट' में जारी रहेगा क्योंकि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है.

उसके अनुसार इसमें भारत के दो सबसे वांछित आतंकवादी जैश-ए मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल है.
अजहर और सईद भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में उनकी संलिप्तता के लिए सबसे वांछित आतंकवादी हैं, जिनमें 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला और पिछले साल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आतंकी हमला शामिल है.
इन घटनाक्रमों से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने शनिवार को अखबार को बताया कि पाकिस्तान ने छह सिफारिशों का अनुपालन किया है और एफएटीएफ सचिवालय को विवरण भी प्रस्तुत कर दिया है.

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का होगा मूल्यांकन
सूत्र ने कहा कि अब सदस्य बैठक के दौरान पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करेंगे. सूत्र ने कहा कि निर्णय सदस्यों के बीच आम सहमति से लिया जाएगा.

अखबार ने एफएटीएफ को कवर करने वाले एक पत्रकार के हवाले से कहा कि कुछ यूरोपीय देशों, विशेष रूप से मेजबान फ्रांस ने, एफएटीएफ से पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में बनाये रखने की सिफारिश की है. अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस का समर्थन कर रहे हैं.

कार्टून मुद्दे पर पाक से नाखुश है फ्रांस

उन्होंने कहा कि कार्टून मुद्दे पर इस्लामाबाद की हालिया प्रतिक्रिया से फ्रांस खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पेरिस में एक नियमित राजदूत भी तैनात नहीं किया है. अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या मामले के आरोपियों को बरी किए जाने को लेकर अमेरिका ने भी चिंता जताई है.

पढ़ें- पाक: मरियम नवाज ने लगाए पंजाब उपचुनाव में धांधली के आरोप लगाए

यह आशंका है कि अमेरिका पाकिस्तान को इस साल कम से कम जून तक 'ग्रे लिस्ट' में जारी रखने की पैरवी भी कर सकता है.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कुछ यूरोपीय देशों ने यह रुख अपनाया है कि इस्लामाबाद ने इसके द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के सभी बिंदुओं को पूरी तरह से लागू नहीं किया है. यह जानकारी रविवार को एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई.

एफएटीएफ की धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगरानी के लिए पूर्ण बैठक 22 फरवरी से होने वाली है. पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखा था.

साथ ही इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी.

'डान' समाचारपत्र के अनुसार एफएटीएफ का पूर्ण सत्र 22 फरवरी से 25 फरवरी तक पेरिस में आयोजित होगा जिसमें पाकिस्तान सहित 'ग्रे सूची' के विभिन्न देशों के मामलों पर विचार किया जाएगा और बैठकों के समापन पर इस पर निर्णय लिया जाएगा.

अक्टूबर 2020 में लगा था पाकिस्तान को झटका

अक्टूबर 2020 में आयोजित अंतिम पूर्णसत्र में, एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी 'ग्रे लिस्ट' में जारी रहेगा क्योंकि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है.

उसके अनुसार इसमें भारत के दो सबसे वांछित आतंकवादी जैश-ए मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल है.
अजहर और सईद भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में उनकी संलिप्तता के लिए सबसे वांछित आतंकवादी हैं, जिनमें 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला और पिछले साल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आतंकी हमला शामिल है.
इन घटनाक्रमों से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने शनिवार को अखबार को बताया कि पाकिस्तान ने छह सिफारिशों का अनुपालन किया है और एफएटीएफ सचिवालय को विवरण भी प्रस्तुत कर दिया है.

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का होगा मूल्यांकन
सूत्र ने कहा कि अब सदस्य बैठक के दौरान पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करेंगे. सूत्र ने कहा कि निर्णय सदस्यों के बीच आम सहमति से लिया जाएगा.

अखबार ने एफएटीएफ को कवर करने वाले एक पत्रकार के हवाले से कहा कि कुछ यूरोपीय देशों, विशेष रूप से मेजबान फ्रांस ने, एफएटीएफ से पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में बनाये रखने की सिफारिश की है. अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस का समर्थन कर रहे हैं.

कार्टून मुद्दे पर पाक से नाखुश है फ्रांस

उन्होंने कहा कि कार्टून मुद्दे पर इस्लामाबाद की हालिया प्रतिक्रिया से फ्रांस खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पेरिस में एक नियमित राजदूत भी तैनात नहीं किया है. अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या मामले के आरोपियों को बरी किए जाने को लेकर अमेरिका ने भी चिंता जताई है.

पढ़ें- पाक: मरियम नवाज ने लगाए पंजाब उपचुनाव में धांधली के आरोप लगाए

यह आशंका है कि अमेरिका पाकिस्तान को इस साल कम से कम जून तक 'ग्रे लिस्ट' में जारी रखने की पैरवी भी कर सकता है.

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