लखनऊ: एनआईए के विशेष जज विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने आंतकी गतिविधियों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद सलीम खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अभियुक्त पर भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश में शामिल होने का भी आरोप है.
अभियोजन के मुताबिक इस मामले की एफआईआर थाना एटीएस में दर्ज हुई थी. 16 जुलाई, 2017 को इसे अबु धाबी से डिपोर्ट किया गया था, यह फतेहपुर का रहने वाला है. आरोप है कि वर्ष 1993 में अभियुक्त मुम्बई गया था, दो साल बाद सउदी अरब चला गया और वहां से पाकिस्तान गया. वर्ष 2001 में पाकिस्तान के मुज्जफराबाद में लश्कर-ए-तैयबा के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्र दौरा-ए-आम, दौरा-ए-खास, दौरा-ए-सुफा व दौरा-ए-रिवायत में युद्ध तथा इंटेलीजेंस का प्रशिक्षण प्राप्त किया, वहां अभियुक्त ने एके-47, पिस्टल, राकेट लॉचर व बम आदि बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया.
करीब डेढ़ वर्ष तक पाकिस्तान में रहकर भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करता रहा. वर्ष 2003 में बनवाए गए पासपोर्ट की सूचनाओं को छिपाकर नया पासपोर्ट बनवाया. लश्कर-ए-तैयबा के निर्देश पर कई बार भारत व सउदी अरब की या़त्रा कर देशद्रोही गतिविधियों में शामिल रहा. इसे लश्कर-ए-तैयबा के कंमाडरों द्वारा विभिन्न माध्यमों से धन मुहैया कराया गया. कोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान भारत के अभिन्न अंग जम्मू कश्मीर को अपने में मिलाने के लिए भारत वर्ष के ख़िलाफ़ आतंकी अभियान छेड़े हुए है. लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान स्थित एक कट्टर जेहादी इस्लामिक संगठन है, यह संगठन भी जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहता है और उसके द्वारा संचालित मिलेट्री कैम्पो में सलीम को एके 47, मशीनगन जैसे घातक हथियार, बम बनाने और विस्फोट करने,इंटेलिजेंस से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है. कहा गया कि ट्रेनिंग के बाद सलीम जेहाद करने के लिए भारत वापस आया.
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