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जैश और लश्कर के 10,000 आतंकियों को तालिबान में भर्ती कर रहा पाक : अफगान अधिकारी

अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख अहमद शुजा जमाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से तालिबान में करीब 10,000 नई भर्तियां कर रहा है.

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Published : Jul 24, 2021, 6:13 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 6:27 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) रोजाना नए इलाकों पर कब्जा करने का दावा कर रहा है. अफगानिस्तान में चल रहे तनाव पर ईटीवी भारत ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से तालिबान में करीब 10,000 नई भर्तियां कर रहा है. अहमद शुजा जमाल से बात की हैं ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी. यहां पर देखें पूरा साक्षात्कार...

अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत

तालिबान पिछले कुछ हफ्तों में पूरे अफगानिस्तान में तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है. अमेरिका ने अपने अधिकांश सुरक्षाबलों को वापस बुला लिया और 31 अगस्त तक शेष बलों को वापस बुलाने का लक्ष्य रखा है.

अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत

इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि प्रधानमंत्री खान और उनके जनरलों ने बार-बार आश्वासन दिया कि आफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान का आना पाकिस्तान के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि तालिबान का समर्थन करने वाले नेटवर्क और संगठन अफगान लोगों और राज्य की संपत्तियों एवं क्षमताओं के नष्ट होने का खुले तौर पर जश्न मना रहे हैं.

कौन है तालिबान
तालिबान का अफगानिस्तान में उदय 90 के दशक में हुआ. सोवियत सैनिकों के लौटने के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हुआ, जिसका फायदा तालिबान ने उठाया. उसने दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान से तालिबान ने जल्द ही अपना प्रभाव बढ़ाया. सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया. 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर लिया था.

इसके बाद तालिबान ने इस्लामिक कानून को सख्ती लागू किया. मसलन मर्दों का दाढ़ी बढाना और महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया. सिनेमा, संगीत और लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बामियान में तालिबान ने यूनेस्को संरक्षित बुद्ध की प्रतिमा तोड़ दी.

2001 में जब 9/11 के हमले हुए तो तालिबान अमेरिका के निशाने पर आया. अलकायदा के ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के आरोप में अमेरिका ने तालिबान पर हमले किए. करीब 20 साल तक अमेरिका तालिबान के साथ लड़ता रहा. 1 मई से वहां से अमेरिकी सैनिकों ने वापसी शुरू कर दी है. 11 सितंबर 2021 तक अमेरिकी सेना पूरी तरह अफगानिस्तान से हट जाएगी. अंदेशा है कि इसके बाद आईएसआई और तालिबान भारत के प्रोजेक्ट को और निशाना बनाएगी.

नई दिल्ली : अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) रोजाना नए इलाकों पर कब्जा करने का दावा कर रहा है. अफगानिस्तान में चल रहे तनाव पर ईटीवी भारत ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से तालिबान में करीब 10,000 नई भर्तियां कर रहा है. अहमद शुजा जमाल से बात की हैं ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी. यहां पर देखें पूरा साक्षात्कार...

अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत

तालिबान पिछले कुछ हफ्तों में पूरे अफगानिस्तान में तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है. अमेरिका ने अपने अधिकांश सुरक्षाबलों को वापस बुला लिया और 31 अगस्त तक शेष बलों को वापस बुलाने का लक्ष्य रखा है.

अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत

इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि प्रधानमंत्री खान और उनके जनरलों ने बार-बार आश्वासन दिया कि आफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान का आना पाकिस्तान के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि तालिबान का समर्थन करने वाले नेटवर्क और संगठन अफगान लोगों और राज्य की संपत्तियों एवं क्षमताओं के नष्ट होने का खुले तौर पर जश्न मना रहे हैं.

कौन है तालिबान
तालिबान का अफगानिस्तान में उदय 90 के दशक में हुआ. सोवियत सैनिकों के लौटने के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हुआ, जिसका फायदा तालिबान ने उठाया. उसने दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान से तालिबान ने जल्द ही अपना प्रभाव बढ़ाया. सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया. 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर लिया था.

इसके बाद तालिबान ने इस्लामिक कानून को सख्ती लागू किया. मसलन मर्दों का दाढ़ी बढाना और महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया. सिनेमा, संगीत और लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बामियान में तालिबान ने यूनेस्को संरक्षित बुद्ध की प्रतिमा तोड़ दी.

2001 में जब 9/11 के हमले हुए तो तालिबान अमेरिका के निशाने पर आया. अलकायदा के ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के आरोप में अमेरिका ने तालिबान पर हमले किए. करीब 20 साल तक अमेरिका तालिबान के साथ लड़ता रहा. 1 मई से वहां से अमेरिकी सैनिकों ने वापसी शुरू कर दी है. 11 सितंबर 2021 तक अमेरिकी सेना पूरी तरह अफगानिस्तान से हट जाएगी. अंदेशा है कि इसके बाद आईएसआई और तालिबान भारत के प्रोजेक्ट को और निशाना बनाएगी.

Last Updated : Jul 24, 2021, 6:27 PM IST
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