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SAARC Summit में भारत डिजिटल माध्यम से हो सकता है शामिल : कुरैशी

पाकिस्तान ने सार्क शिखर सम्मेलन (SAARC Summit) में शामिल होने के लिए भारत को न्योता भेजा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का कहना है कि उसे अभी तक कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है.

SAARC Summit
सार्क शिखर सम्मेलन
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Published : Jan 3, 2022, 3:48 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 3:02 PM IST

नई दिल्ली : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि उनका देश 19वें सार्क शिखर सम्मेलन (SAARC Summit) की मेजबानी करने के लिए तैयार है और भारतीय नेतृत्व यदि इस्लामाबाद आने को इच्छुक नहीं है, तो यह पड़ोसी देश (भारत) इसमें डिजिटल माध्यम से शामिल हो सकता है. विदेश मंत्रालय की 2021 की उपलब्धियों को बयां करने के लिए बुलाए गये संवाददाता सम्मेलन में कुरैशी ने भारत पर शिखर बैठक के लिए इस्लामाबाद आने से इनकार कर अपनी हठधर्मिता के जरिए 'क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संगठन' (SAARC) को निष्क्रिय करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, मैं 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के लिए फिर से न्योता देता हूं. यदि भारत इस्लामाबाद आने को इच्छुक नहीं है तो वह डिजिटल माध्यम से इसमें शामिल हो सकता है ...लेकिन उसे अन्य देशों को इसमें शरीक होने से नहीं रोकना चाहिए.

सार्क, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय संगठन है. यह 2016 से बहुत प्रभावी नहीं रहा है और इसकी शिखर बैठक 2014 (काठमांडू) के बाद नहीं हुई है.

दक्षेस शिखर सम्मेलन पर कुरैशी का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा पिछले महीने यह उम्मीद जताये जाने के बाद आया है कि उनका देश शिखर सम्मेलन की राह में पैदा किये गये कृत्रिम अवरोध को हटाये जाने के बाद इस बैठक की मेजबानी करेगा.

उल्लेखनीय है कि 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन मूल रूप से 15 से 19 नवंबर के बीच इस्लामाबाद में आयोजित किये जाने की योजना थी. लेकिन जम्मू कश्मीर के उरी में उस साल 18 सिंतबर को भारतीय थल सेना के एक शिविर पर आतंकी हमले के बाद भारत ने मौजूदा परिस्थितियों के चलते सम्मेलन में भाग लेने में अपनी असमर्थता जताई थी.

बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान द्वारा इस्लामाबाद सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करने के बाद इसका आयोजन रद्द कर दिया गया था. कुरैशी ने 2021 में भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों में कोई बदलाव नहीं होने का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों की संभावना को बिगाड़ने के लिए भारत में हिंदुत्ववादी सोच के वर्चस्व को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से, भारत के साथ 2021 में संबंधों में कोई प्रगति नहीं हुई. हमारे विचार से, हाल के वर्षों में आक्रामक हिंदुत्व व्यवहार से क्षेत्रीय सहयोग प्रभावित हुआ है.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन संबंधों में सुधार करने की जिम्म्मेदारी भारत की है.

कुरैशी ने कहा कि भारत के साथ शांति कश्मीर मुद्दे का हल किये बगैर संभव नहीं है. चीन और अमेरिका के बीच कथित शीत युद्ध के बारे में एक सवाल के जवाब में कुरैशी ने का कि पाकिस्तान की नीति स्पष्ट है और वह किसी खेमे का हिस्सा नहीं बनेगा.

यह भी पढ़ें- सार्क समिट में विदेश मंत्री जयशंकर ने उठाया सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा

नई दिल्ली : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि उनका देश 19वें सार्क शिखर सम्मेलन (SAARC Summit) की मेजबानी करने के लिए तैयार है और भारतीय नेतृत्व यदि इस्लामाबाद आने को इच्छुक नहीं है, तो यह पड़ोसी देश (भारत) इसमें डिजिटल माध्यम से शामिल हो सकता है. विदेश मंत्रालय की 2021 की उपलब्धियों को बयां करने के लिए बुलाए गये संवाददाता सम्मेलन में कुरैशी ने भारत पर शिखर बैठक के लिए इस्लामाबाद आने से इनकार कर अपनी हठधर्मिता के जरिए 'क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संगठन' (SAARC) को निष्क्रिय करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, मैं 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के लिए फिर से न्योता देता हूं. यदि भारत इस्लामाबाद आने को इच्छुक नहीं है तो वह डिजिटल माध्यम से इसमें शामिल हो सकता है ...लेकिन उसे अन्य देशों को इसमें शरीक होने से नहीं रोकना चाहिए.

सार्क, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय संगठन है. यह 2016 से बहुत प्रभावी नहीं रहा है और इसकी शिखर बैठक 2014 (काठमांडू) के बाद नहीं हुई है.

दक्षेस शिखर सम्मेलन पर कुरैशी का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा पिछले महीने यह उम्मीद जताये जाने के बाद आया है कि उनका देश शिखर सम्मेलन की राह में पैदा किये गये कृत्रिम अवरोध को हटाये जाने के बाद इस बैठक की मेजबानी करेगा.

उल्लेखनीय है कि 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन मूल रूप से 15 से 19 नवंबर के बीच इस्लामाबाद में आयोजित किये जाने की योजना थी. लेकिन जम्मू कश्मीर के उरी में उस साल 18 सिंतबर को भारतीय थल सेना के एक शिविर पर आतंकी हमले के बाद भारत ने मौजूदा परिस्थितियों के चलते सम्मेलन में भाग लेने में अपनी असमर्थता जताई थी.

बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान द्वारा इस्लामाबाद सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करने के बाद इसका आयोजन रद्द कर दिया गया था. कुरैशी ने 2021 में भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों में कोई बदलाव नहीं होने का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों की संभावना को बिगाड़ने के लिए भारत में हिंदुत्ववादी सोच के वर्चस्व को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से, भारत के साथ 2021 में संबंधों में कोई प्रगति नहीं हुई. हमारे विचार से, हाल के वर्षों में आक्रामक हिंदुत्व व्यवहार से क्षेत्रीय सहयोग प्रभावित हुआ है.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन संबंधों में सुधार करने की जिम्म्मेदारी भारत की है.

कुरैशी ने कहा कि भारत के साथ शांति कश्मीर मुद्दे का हल किये बगैर संभव नहीं है. चीन और अमेरिका के बीच कथित शीत युद्ध के बारे में एक सवाल के जवाब में कुरैशी ने का कि पाकिस्तान की नीति स्पष्ट है और वह किसी खेमे का हिस्सा नहीं बनेगा.

यह भी पढ़ें- सार्क समिट में विदेश मंत्री जयशंकर ने उठाया सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा

Last Updated : Jan 6, 2022, 3:02 PM IST
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