अयोध्या : लावारिस लाशों के वारिस के रूप में मशहूर अयोध्या के समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को सोमवार की शाम दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा. यह सम्मान उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए मिला है. दरअसल, इस सम्मान की घोषणा 25 जनवरी, 2020 को ही हो गई थी. लेकिन, कोरोना काल के कारण उस समय पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सका था. वहीं, करीब डेढ़ साल बाद उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है. मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री सम्मान मिलने पर जिले के लोगों में खुशी की लहर है.
बीते 40 वर्षों से समाजसेवा कर रहे हैं शरीफ चाचा
बता दें कि मोहम्मद शरीफ जिले में लावारिस लाशों के वारिस के रूप में जाने जाते हैं. पेशे से साइकिल मिस्त्री मोहम्मद शरीफ अयोध्या की जिला अस्पताल में लावारिस लोगों की सेवा करते हैं. वहीं, बीमार और दुर्घटना में मारे गए लावारिस लोगों के शव को अंतिम संस्कार करने का काम भी लंबे समय से करते चले आ रहे हैं.
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'दुनिया से कोई लावारिस रुखसत न होगा'
बताया जाता है कि करीब 25 साल पहले मोहम्मद शरीफ के बेटे की सुलतानपुर में मौत हो गई थी. उनके बेटे के शव का लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था. मोहम्मद शरीफ अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए थे. इस घटना से वह इतना आहत हुए कि उन्होंने कसम खा ली कि आज के बाद उनकी जानकारी में किसी व्यक्ति की लाश लावारिस होकर इस दुनिया से रुखसत नहीं होगा. तब से वह जिला अस्पताल में मौजूद रहते हैं. जैसे ही किसी लावारिस लाश की खबर उन्हें मिलती है तो वे अपना ठेला लेकर पहुंच जाते हैं और उसे उसकी आखिरी मंजिल तक पूरे सम्मान के साथ पहुंचाते हैं.
क्रिया कर्म में धार्मिक परंपराओं को निभाते हैं शरीफ चाचा
वैसे तो समाजसेवी मोहम्मद शरीफ मुस्लिम समुदाय से हैं और शहर के रिकाबगंज क्षेत्र स्थित ताड़ की तकिया कब्रिस्तान में एक कमरे में रहते हैं. लेकिन शरीफ चाचा के जेहन में सभी धर्मों के लिए पूरा सम्मान है. यही वजह है कि अगर उन्हें जानकारी मिलती है कि किसी व्यक्ति का लावारिस शव पाया गया है तो वह उस शव का अंतिम संस्कार उसी रीति-रिवाज से करते हैं, जिस धर्म से मृत व्यक्ति जुड़ा होता है.
वहीं, हिंदू होने पर पूरी परंपराओं को निभाते हुए सरयू घाट के किनारे उसका अंतिम संस्कार करते हैं और मुस्लिम होने पर उन्हें कब्र में दफना देते हैं. अभी तक शरीफ चाचा ने सैकड़ों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया है. जिसके कारण उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. उन्हें यह सम्मान मिलने पर उनके परिजन बेहद खुश हैं.