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खो गया भिखारी ठाकुर के नाच मंडली का बिदेसिया: पद्म श्री रामचंद्र मांझी का निधन

लौंडा नाच के लिए मशहूर पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन, सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक. बिहार में छपरा जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले रामचंद्र मांझी, भिखारी ठाकुर के शिष्य थे और उनके साथ काम कर चुके जीवित कलाकारों में से एक थे. पढ़ें पूरी खबर

Padma Shri Ramchandra Manjhi Etv Bharat
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Published : Sep 8, 2022, 8:16 PM IST

पटना: प्रसिद्ध कलाकार और भिखारी ठाकुर के शिष्य पद्मश्री रामचंद्र मांझी का का अंतिम संस्कार (Last rites of Padma shri Ramchandra Manjhi) गुरुवार को रिविलगंज के सिमरिया घाट पर किया गया. नगरा प्रखंड के तुजारपुर निवासी रामचंद्र मांझी के शव को अंतिम दर्शन के लिए उनके गांव हजरों की संख्या में लोग मौजूद थे. सारण जिले के रहने वाले रामचंद्र मांझी के निधन से भोजपुरी कला के क्षेत्र में शोक है.

ये भी पढ़ें: भोजपुरी के शेक्सपियर​ भिखारी ठाकुर के शिष्य रामचंद्र मांझी पद्मश्री से सम्मानित

लौंडा नाच के लिए मशहूर पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन: भोजपुरी के 'शेक्सपियर' कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित रामचंद्र मांझी का बुधवार की देर रात निधन (Padma Shri Ramchandra Manjhi passed away ) हो गया. वे 97 वर्ष के थे. भोजपुरी लोकनृत्य 'लौंडा नाच' को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मांझी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बिदेशिया जैसे विश्वप्रसिद्ध नाटक रचने वाले बिहार के लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के शिष्य रामचंद्र मांझी को साल 2021 में पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया था. लौंडा नाच की परंपरा को नई पीढ़ी के अंदर पिरोने में उनका अहम योगदान रहा. पिछले साल ईटीवी भारत से बात करते हुए रामचंद्र मांझी ने कहा था कि उनके जैसे कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया.

Padma Shri Ramchandra Manjhi
पद्मश्री रामचंद्र मांझी (फाइल फोटो)

''मैं जब10 साल का था, तो भिखारी ठाकुर के नाच दल में काम करना शुरू किया. भिखारी ठाकुर के साथ वर्ष 1971 तक काम किया. उनके निधन के बाद गौरीशंकर ठाकुर, रामदास राही, प्रभुनाथ ठाकुर, दिनकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर आदि के साथ काम करता रहा. अब जैनेंद्र दोस्त की रंगमंडली में अभिनय किया करता हूं.'' - रामचंद्र मांझी, कलाकार (6 फरवरी, 2021)

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से मिला सम्मान: केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. उन्हें राष्ट्रपति के हाथों प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई थी. यह अकादमी पुरस्कार 1954 से हर साल रंगमंच, नृत्य, लोक संगीत, ट्राइबल म्यूजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में दिया जाता है.

क्या होता है लौंडा नाच ? : लौंडा नाच बिहार की प्राचीन लोक कलाओं में से एक है. यह नृत्य नाटिका की एक लोकविधा है. जैनेंद्र बताते हैं कि इसमें लड़का, लड़की की तरह कपड़े पहन कर, मेकअप कर उन्हीं की तरह नृत्य करता है. शादी विवाह और अन्य शुभ आयोजनों पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं.

सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक : मांझी के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दुख जताया है. मांझी के परिजनों के मुताबिक, लोक नर्तक मांझी को 2 सितंबर को तबीयत खराब होने के बाद पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. वे दिल से संबंधित समस्याओं और अन्य बीमारियों से परेशान थे. बुधवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली. मांझी के निधन पर बिहार के कला क्षेत्र में मायूसी छा गई.

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पद्मश्री रामचंद्र मांझी ने भोजपुरी नृत्य संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. मांझी को 2017 में संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला था. मांझी को पिछले साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके निधन से नृत्य, कला एवं संस्कृति विशेषकर भोजपुरी नृत्य संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

'सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति' : इधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी लोक कलाकार मांझी के निधन पर शोक जताया है. लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी मांझी के निधन पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि रामचंद्र मांझी का बुधवार रात आईजीआईएमएस में निधन हो गया. पद्मश्री रामचंद्र मांझी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, "लौंडा नाच परंपरा के इस महान संवाहक का चले जाना, जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखरी कड़ी थे, संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति है."

कौन थे भिखारी ठाकुर : भिखारी ठाकुर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है, खास कर बिहार और भोजपुरी समाज में. वे बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे. वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे. उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाई थी.

पटना: प्रसिद्ध कलाकार और भिखारी ठाकुर के शिष्य पद्मश्री रामचंद्र मांझी का का अंतिम संस्कार (Last rites of Padma shri Ramchandra Manjhi) गुरुवार को रिविलगंज के सिमरिया घाट पर किया गया. नगरा प्रखंड के तुजारपुर निवासी रामचंद्र मांझी के शव को अंतिम दर्शन के लिए उनके गांव हजरों की संख्या में लोग मौजूद थे. सारण जिले के रहने वाले रामचंद्र मांझी के निधन से भोजपुरी कला के क्षेत्र में शोक है.

ये भी पढ़ें: भोजपुरी के शेक्सपियर​ भिखारी ठाकुर के शिष्य रामचंद्र मांझी पद्मश्री से सम्मानित

लौंडा नाच के लिए मशहूर पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन: भोजपुरी के 'शेक्सपियर' कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित रामचंद्र मांझी का बुधवार की देर रात निधन (Padma Shri Ramchandra Manjhi passed away ) हो गया. वे 97 वर्ष के थे. भोजपुरी लोकनृत्य 'लौंडा नाच' को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मांझी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बिदेशिया जैसे विश्वप्रसिद्ध नाटक रचने वाले बिहार के लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के शिष्य रामचंद्र मांझी को साल 2021 में पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया था. लौंडा नाच की परंपरा को नई पीढ़ी के अंदर पिरोने में उनका अहम योगदान रहा. पिछले साल ईटीवी भारत से बात करते हुए रामचंद्र मांझी ने कहा था कि उनके जैसे कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया.

Padma Shri Ramchandra Manjhi
पद्मश्री रामचंद्र मांझी (फाइल फोटो)

''मैं जब10 साल का था, तो भिखारी ठाकुर के नाच दल में काम करना शुरू किया. भिखारी ठाकुर के साथ वर्ष 1971 तक काम किया. उनके निधन के बाद गौरीशंकर ठाकुर, रामदास राही, प्रभुनाथ ठाकुर, दिनकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर आदि के साथ काम करता रहा. अब जैनेंद्र दोस्त की रंगमंडली में अभिनय किया करता हूं.'' - रामचंद्र मांझी, कलाकार (6 फरवरी, 2021)

संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से मिला सम्मान: केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. उन्हें राष्ट्रपति के हाथों प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई थी. यह अकादमी पुरस्कार 1954 से हर साल रंगमंच, नृत्य, लोक संगीत, ट्राइबल म्यूजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में दिया जाता है.

क्या होता है लौंडा नाच ? : लौंडा नाच बिहार की प्राचीन लोक कलाओं में से एक है. यह नृत्य नाटिका की एक लोकविधा है. जैनेंद्र बताते हैं कि इसमें लड़का, लड़की की तरह कपड़े पहन कर, मेकअप कर उन्हीं की तरह नृत्य करता है. शादी विवाह और अन्य शुभ आयोजनों पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं.

सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक : मांझी के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दुख जताया है. मांझी के परिजनों के मुताबिक, लोक नर्तक मांझी को 2 सितंबर को तबीयत खराब होने के बाद पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. वे दिल से संबंधित समस्याओं और अन्य बीमारियों से परेशान थे. बुधवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली. मांझी के निधन पर बिहार के कला क्षेत्र में मायूसी छा गई.

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पद्मश्री रामचंद्र मांझी ने भोजपुरी नृत्य संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. मांझी को 2017 में संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला था. मांझी को पिछले साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके निधन से नृत्य, कला एवं संस्कृति विशेषकर भोजपुरी नृत्य संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

'सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति' : इधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी लोक कलाकार मांझी के निधन पर शोक जताया है. लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी मांझी के निधन पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि रामचंद्र मांझी का बुधवार रात आईजीआईएमएस में निधन हो गया. पद्मश्री रामचंद्र मांझी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, "लौंडा नाच परंपरा के इस महान संवाहक का चले जाना, जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखरी कड़ी थे, संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति है."

कौन थे भिखारी ठाकुर : भिखारी ठाकुर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है, खास कर बिहार और भोजपुरी समाज में. वे बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे. वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे. उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाई थी.

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