भोपाल/इंदौर : कोरोना से लड़ने में ऑक्सीजन एक बड़ा हथियार है. गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे की जीवित रखा जाता है. जहां जितने गंभीर मरीज, वहां उतनी ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत.
कोरोना संक्रमण के मामले में MP टॉप राज्यों में है. ऐसे में ये खबर आई कि महाराष्ट्र और गुजरात ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी है. ये राज्य के लिए खतरे की घंटी थी, क्योंकि मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन का इतना उत्पादन नहीं होता कि वो राज्य की जरूरत को पूरा कर सके.
'ऑक्सीजन की कमी नहीं आने दी जाएगी'
बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक पहुंची, मुख्यमंत्री ने कहा कि मरीज की जान बचाना सरकार का पहली प्राथमिकता है. सरकार मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी नहीं आने देगी. सरकार से जो भी बन पड़ेगा, सरकारी करेगी.
पहले मेडिकल इस्तेमाल के लिए मिलेगी ऑक्सीजन
कोरोना के बढ़ते संकट के बीच ऑक्सीजन की कमी को रोकने के लिए भोपाल कलेक्टर ने नए आदेश जारी किए हैं. प्रदेश में ऑक्सीजन की जितना भी उत्पादन होगा, सबसे पहले उसका मेडिकल में इस्तेमाल होगा. उसके बाद ही उद्योगों का नंबर आएगा.
'फिलहाल नहीं रोकी ऑक्सीजन सप्लाई'
कलेक्टर ने ऑक्सीजन प्लांट्स को पूरी क्षमता के साथ चलाने के निर्देश दिए हैं. खबरें हैं कि गुजरात और महाराष्ट्र ने मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी है. लेकिन भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना है कि फिलहाल किसी भी राज्य से सप्लाई नहीं रोकी है. उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं नए सिरे से तय की है. फिर भी हम अपनी तरफ से पूरे इंतजाम कर रहे हैं.
24 घंटे चालू रहेंगे ऑक्सीजन प्लांट्स
भोपाल में भी गोविंदपुरा इंडस्ट्रीयल एरिया मे तीनों प्लांट्स को 24 घंटे चलाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. यहीं से कोरोना का इलाज कर रहे एक दर्जन अस्पतालों को ऑक्सीजन भेजी जा रही है.
उद्योगों को सप्लाई नहीं, पहले मेडिकल में होगा इस्तेमाल
महाराष्ट्र से इंदौर में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई भी रुक गई है. लिहाजा बड़ी संख्या में कोरोना के गंभीर मरीजों के प्रेशर से जूझ रहे अस्पतालों में भी ऑक्सीजन का संकट गहरा गया है. जिला प्रशासन ने आदेश दिया है कि ऑक्सीजन प्लांट औद्योगिक सप्लाई नहीं करें. पहले अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करें. लिहाजा प्रशासन ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 और एपिडेमिक डिजीज 1897 के तहत उक्त आदेश जारी किए हैं. लेकिन शहर के ऑक्सीजन प्लांट के पास इतनी क्षमता नहीं है, कि डिमांड पूरी कर सकें.
नियम तोड़ने वालों पर होगा एक्शन
अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि कोई भी प्लांट औद्योगिक उपयोग के लिए लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं कर पाए. इसके बावजूद अगर ऐसी स्थिति पाई जाती है, तो आदेश का उल्लंघन करने पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत संबंधित प्लांट संचालक के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाएगा.
ऑक्सीजन की खपत 150 टन तक पहुंचने की संभावना
मध्यप्रदेश में अचानक मेडिकल ऑक्सीजन की कमी ने सरकार की नींद उड़ा दी है. अभी करीब 130 टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है. आने वाले समय में इसकी खपत बढ़कर 150 टन पहुंचने की संभावना है. महाराष्ट्र और गुजरात से ऑक्सीजन सप्लाई रुक गई, तो इसकी भारी किल्लत होने वाली है.
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20 फीसदी मरीजों को पड़ रही है ऑक्सीजन की जरूरत
एक अनुमान के मुताबिक रोजाना करीब 20 फीसदी कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना हजारों में है.
पहले भी महाराष्ट्र से सप्लाई बंद होने पर आई थी समस्या
पिछले साल भी अगस्त और सितंबर की शुरुआत में मध्य प्रदेश के कई जिलों में अचानक मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत सामने आई थी. महाराष्ट्र ने मध्यप्रदेश में सप्लाई की जाने वाली ऑक्सीजन पर रोक लगा दी थी. हालांकि मुख्यमंत्रियों के बीच हुई चर्चा और केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद महाराष्ट्र से दोबारा सप्लाई शुरू हो गई थी.
किल्लत के बाद बनाई टास्क फोर्स
राज्य सरकार ने सभी जिलों में ऑक्सीजन की डिमांड सप्लाई और खपत की निगरानी करने जिला स्तर पर एक समिति बनाई है. ये समिति ऑक्सीजन सप्लायर्स के प्लांट हॉस्पिटल्स की ऑक्सीजन डिमांड और स्टॉक की रोजाना निगरानी करती है. इसके अलावा प्रदेश स्तर पर भी रोजाना ऑक्सीजन की निगरानी करने के लिए स्टेट टास्क फोर्स बनाई गई है. इस टास्क फोर्स में आठ अधिकारियों को शामिल किया गया है. प्रदेश में रोजाना मेडिकल ऑक्सीजन की क्या स्थिति है.
एक मरीज को 24 घंटे में लगते हैं तीन-चार सिलेंडर
प्रदेश के कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती एक मरीज को 24 घंटे में औसतन तीन से चार सिलेंडर लगते हैं. इस अनुमान के अनुसार 300 भर्ती मरीजों को कोविड-19 अस्पतालों में रोजाना 1000 सिलेंडर लगेंगे. अभी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ गई है. इसकी पूर्ति के लिए सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया से भी अनुबंध किया है.