हैदराबाद : कोरोना की दूसरी लहर देश के स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती लेकर आया है. पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान पीपीई किट से लेकर वेंटिलेटर और जांच किट की कमी सामने आई थी. तो दूसरी लहर ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को उजागर कर दिया है.
दरअसल देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के नए मामले रोज नए-2 रिकॉर्ड बना रहे हैं. बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में अब तक के सर्वाधिक 2,95,041 नए मामले सामने आए जबकि इस दौरान 2023 लोगों की मौत हुई है. संक्रमण बढ़ने के कारण लोग अस्पतालों का रूख करते हैं और अस्पताल बेड और ऑक्सीजन की कमी का रोना रो रहे हैं. जैसा कि हम जानते है कि बेड और ऑक्सीजन अस्पताल की मूलभूत आवश्यकता है. एक रिपोर्ट के जरिये आपको दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता के बारे में आपको बता रहे हैं.
दिल्ली
देशभर में महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में सबसे ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में अस्पतालों में कोरोना मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी है. इसी बीच मंगलवार 20 अप्रैल को दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने की ख़बर से हड़कंप मच गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक की और केंद्र सरकार से मदद की अपील की. जिसके बाद कई अस्पतालों में मंगलवार देर रात और बुधवार तड़के तक ऑक्सीजन की सप्लाई का काम हुआ. अब हम आपको दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के बारे में बताते हैं. बुधवार को सेंट स्टीफन और सर गंगाराम अस्पताल ने तो मीडिया को बताया कि ऑक्सीजन कुछ घंटों के लिए ही शेष है. हालांकि, बुधवार शाम को यहां पर भी फिर से ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित कर दी गई.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में फिलहाल ऑक्सीजन की उपलब्धता 390 मीट्रिक टन है. खपत 374 मीट्रिक टन है. भोपाल से लेकर इंदौर तक के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. जिसकी आपूर्ति के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. निजी अस्पतालों से लेकर सरकारी अस्पतालों तक में मरीजों की भरमार है. कोरोना के कई मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में ऑक्सीजन की खपत बढ़ रही है जिसकी पूर्ति करना फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक एमपी में भर्ती कुल मरीजों में से 40 फीसदी ऑक्सीजन पर हैं. मंगलवार तक ऑक्सीजन की सप्लाई 390 टन के करीब हो पाई. ऑक्सीजन की मांग में रोजाना 75 टन का इजाफा हो रहा है. ऑक्सीजन की मांग और उपलब्धता की एक बानगी इन आंकड़ों में नजर आती है.
गुजरात
गुजरात में भी कोरोना के मरीजों की तादाद में रोज इजाफा हो रहा है. अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की भीड़ के साथ ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ रही है. आलम ये है कि रिफील हो रहा ऑक्सीजन का ज्यादातर हिस्सा रोज इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों तक ने ऑक्सीजन का इंतजाम तो किया है लेकिन जिस हिसाब से ऑक्सीजन की खपत बढ़ रही है उसकी आपूर्ति मुश्किल हो रही है. अहमदाबाद से लेकर भावनगर और सूरत तक कमोबेश यही हाल है. गुजरात के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत और मांग की बानगी अहमदाबाद के अस्पतालों में नजर आती है.
कुल मिलाकर देशभर के सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में इन दिनों ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. दिल्ली की ही तरह कुछ राज्यों के अस्पतालों में कुछ घंटों की ही ऑक्सीजन बची है. दरअसल कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आए मरीजों को सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो रही है. ऐसे में अस्पताल से लेकर घर तक में मौजूद मरीजों की सांसे ऑक्सीजन के सहारे ही टिकी हुई हैं. ऐसे में सरकारों के सामने इन दिनों अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती है.
महाराष्ट्र में क्या है स्थिति
महाराष्ट्र को 1450 मीट्रिक टन की जरूरत है. राज्य सरकार के अनुसार उसके पास 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है. आम तौर पर कर्नाटक और मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र को ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. राज्य सरकार आशंकित है कि कोविड संक्रमितों की संख्या बढ़ी, तो ऑक्सीजन का स्टॉक और अधिक घट जाएगा.
राज्य की चिंताओं को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को 'ऑक्सीजन एक्सप्रेस' के जरिए 110 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई कर दी है.
मुंबई में क्या है स्थिति
जंबो कोविड सेंटर में 28,801 बेड हैं. इनमें से 6,657 बेड अभी खाली हैं. निगम के पास 21,093 बेड हैं. 3600 बेड खाली हैं. 10,511 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है. आईसीयू में 2798 बेड हैं. 50 बेड अभी खाली हैं.
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