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Kuno से भागकर रिहायशी इलाकों में पहुंचा ओवान चीता, वीरपुर के जंगलों में मिली आशा की लोकेशन

मध्यप्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क से कुछ दिनों पहले ओवान नर चीता भाग गया था, जो अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है. वहीं ओवान के बाद मादा आशा भी कूनो से भाग गई है. बता दें ओवान चीता रिहायशी इलाकों में और आशा बीरपुर इलाके में देखी गई है. वन अमला दोनों चीतों को पकड़ने की कोशिश में लगा हुआ है.

Ovan and Asha cheetah location found
ओवान चीता
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Published : Apr 6, 2023, 5:47 PM IST

ओवान और आशा चीता की मिली लोकेशन

श्योपुर। पांच दिन पहले कूनो नेशनल पार्क से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंचा नर चीता ओवान अभी तक कूनों के रिजर्व जोन में वापस नहीं लौटा है. इसके अलावा पीएम मोदी ने जिस मादा चीता का नामकरण किया था. वहां मादा चीता आशा भी पिछले चार दिनों से कूनों से बाहर है. जिस पर वन विभाग अमला निगरानी बनाए हुए है. गुरुवार को आशा वीरपुर इलाके के प्रसिद्ध धोरेट सरकार मंदिर के जंगल में सैर बाबा के स्थान के आसपास देखी गई है.

हर दिन नई जगहों पर देखा जा रहा ओवान चीता: आशा पिछले 3 दिनों से इसी इलाके में है. यह इलाका कूनो के बफर जोन के अंतर्गत आता है. घना जंगल भी है और आसपास पानी के प्राकृतिक झरने हैं, दूसरे वन्यजीव भी यहां भारी तादाद में है, शायद इसलिए यह इलाका आशा को खूब रास आ रहा है. वह लगातार इसी इलाके में देखी जा रही है, उधर नर चीता ओवान हर दिन नई जगह पर पहुंच जाता है. सबसे पहले पिछले रविवार को वह विजयपुर इलाके के झार बड़ोदा के पास फिर सोमवार को पार्वती बड़ोंदा, मंगलवार को नहाड़ शिलपुरा, बुधवार को सुमेड बैचाई और अब गुरुवार को बैराड़ से सटे हुए जंगल में उसकी लोकेशन बताई गई. यह लगातार अलग-अलग जगह जा रहा है. जिसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो वह पूरे एरिया को देखने और उसकी पहचान करने के लिए कूनो से निकला हो.

तेंदुओं से टकराव का खतरा: मादा चीता आशा जिस धौरेट सरकार के जंगल में पिछले 3-4 दिनों से रह रही है. वहां का जंगल बेहद घना है और वहां कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर लोझर क्षेत्र में भारी संख्या में तेंदुआ, लकड़बग्घा और भालू सहित दूसरे खतरनाक वन्यजीव हैं. यानी यह कहा जा सकता है कि, सबसे ज्यादा तेंदुआ इसी क्षेत्र में नजर आते हैं, ऐसी स्थिति में आशा के साथ तेंदुआ से टकराव की स्थिति भी बन सकती है.

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इस इलाके में शिकारी भी रहते हैं सक्रिय: धौरेट सरकार के जंगल के आसपास अभी भी कई बस्तियां मौजूद है. वीरपुर इलाके का मोगियापुरा सहित आसपास के इलाके के कई गांव हैं, जहां शिकारी रहते हैं, जो वन्य जीवों का शिकार करके अपनी आजीविका चलाते हैं. इन पर कई अवैध बंदूकें भी है. जो मौका मिलने पर चीते को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. चीता मित्र बने पूर्व दस्यु रमेश सिंह सिकरवार ने भी वन्यजीवों के शिकार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने और इनके अवैध हथियारों को जब्त करने की मांग की है. उनका खुले तौर पर कहना है कि, आज भी जंगल से शिकार हो रहा है, जिसे रोका जाना चाहिए.

ओवान और आशा चीता की मिली लोकेशन

श्योपुर। पांच दिन पहले कूनो नेशनल पार्क से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंचा नर चीता ओवान अभी तक कूनों के रिजर्व जोन में वापस नहीं लौटा है. इसके अलावा पीएम मोदी ने जिस मादा चीता का नामकरण किया था. वहां मादा चीता आशा भी पिछले चार दिनों से कूनों से बाहर है. जिस पर वन विभाग अमला निगरानी बनाए हुए है. गुरुवार को आशा वीरपुर इलाके के प्रसिद्ध धोरेट सरकार मंदिर के जंगल में सैर बाबा के स्थान के आसपास देखी गई है.

हर दिन नई जगहों पर देखा जा रहा ओवान चीता: आशा पिछले 3 दिनों से इसी इलाके में है. यह इलाका कूनो के बफर जोन के अंतर्गत आता है. घना जंगल भी है और आसपास पानी के प्राकृतिक झरने हैं, दूसरे वन्यजीव भी यहां भारी तादाद में है, शायद इसलिए यह इलाका आशा को खूब रास आ रहा है. वह लगातार इसी इलाके में देखी जा रही है, उधर नर चीता ओवान हर दिन नई जगह पर पहुंच जाता है. सबसे पहले पिछले रविवार को वह विजयपुर इलाके के झार बड़ोदा के पास फिर सोमवार को पार्वती बड़ोंदा, मंगलवार को नहाड़ शिलपुरा, बुधवार को सुमेड बैचाई और अब गुरुवार को बैराड़ से सटे हुए जंगल में उसकी लोकेशन बताई गई. यह लगातार अलग-अलग जगह जा रहा है. जिसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो वह पूरे एरिया को देखने और उसकी पहचान करने के लिए कूनो से निकला हो.

तेंदुओं से टकराव का खतरा: मादा चीता आशा जिस धौरेट सरकार के जंगल में पिछले 3-4 दिनों से रह रही है. वहां का जंगल बेहद घना है और वहां कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर लोझर क्षेत्र में भारी संख्या में तेंदुआ, लकड़बग्घा और भालू सहित दूसरे खतरनाक वन्यजीव हैं. यानी यह कहा जा सकता है कि, सबसे ज्यादा तेंदुआ इसी क्षेत्र में नजर आते हैं, ऐसी स्थिति में आशा के साथ तेंदुआ से टकराव की स्थिति भी बन सकती है.

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इस इलाके में शिकारी भी रहते हैं सक्रिय: धौरेट सरकार के जंगल के आसपास अभी भी कई बस्तियां मौजूद है. वीरपुर इलाके का मोगियापुरा सहित आसपास के इलाके के कई गांव हैं, जहां शिकारी रहते हैं, जो वन्य जीवों का शिकार करके अपनी आजीविका चलाते हैं. इन पर कई अवैध बंदूकें भी है. जो मौका मिलने पर चीते को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. चीता मित्र बने पूर्व दस्यु रमेश सिंह सिकरवार ने भी वन्यजीवों के शिकार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने और इनके अवैध हथियारों को जब्त करने की मांग की है. उनका खुले तौर पर कहना है कि, आज भी जंगल से शिकार हो रहा है, जिसे रोका जाना चाहिए.

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