श्रीनगर : नवजात बच्ची की बरामदगी के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले की तात्कालिकता पर बल देते हुए पुलिस को बच्चे को शीघ्र बरामद करने का निर्देश दिया था. जिसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए नवजात बच्ची को उसकी मां से मिलाने का काम किया.
बच्ची की मां ने बताया कि जब मैं नौ महीने की गर्भवती थी, मेरे पति और सास का मेरे प्रति रवैया बदल गया. मेरे पति ने मुझसे बात करना बंद कर दिया और हमारे कमरे अलग हो गए. यह कुछ बाहरी लोगों के कहने पर किया गया.
उन्होंने कहा कि जब मेरी बेटी का जन्म हुआ तो मेरी सास ने अस्पताल में हंगामा किया और यहां तक कि मेरे चरित्र पर भी सवाल उठाए. उसने यह भी कहा कि मैं उसे पालने के योग्य नहीं हूं. बच्चे की मां के मुताबिक उनकी शादी पिछले साल हुई थी और पहली सालगिरह से पहले ही रिश्ता टूट गया.
हम पहले दोस्त थे फिर प्यार हुआ और शादी कर ली. यह सब जल्दी हो गया लेकिन हमारा रिश्ता खूबसूरत था. मुझे नहीं पता कि फिर सब कुछ कैसे बदल गया. अपने ससुराल वालों द्वारा किए गए बर्ताव के बारे में उन्होंने कहा कि जब मेरे ससुर अस्पताल आए, मैंने उनकी बातों का सम्मान किया और उनके साथ ससुराल गई.
वहां मुझे लगा कि मेरा स्वागत नहीं किया गया. बाद में मुझे एक कमरे में बंद कर दिया गया और मेरी बेटी को जबरन मुझसे छीन लिया गया. जिसके बाद मुझे मजबूर होकर पुलिस और अदालत का रुख करना पड़ा.
अदालत में मामले की पहली सुनवाई के दौरान मेरे ससुर जहूर अहमद शाह ने घाटी के अन्य वरिष्ठ वकीलों के साथ अदालत को आश्वासन दिया कि मेरी बेटी को मुझे सौंप दिया जाएगा. लेकिन अगली सुनवाई में उन्होंने दावा किया कि उसका बेटा और पत्नी उसकी बात नहीं सुन रहे हैं. बच्ची की मां का दावा है कि उसके ससुर ही इस मामले के मास्टरमाइंड हैं.
शिशु की मां ने कहा कि उसने मुझे कई बार धमकी दी कि वह मेरे साथ वैसा ही करेगा जैसा उसने अपनी पहली पत्नी के साथ किया था. उसकी पत्नी राबिया शाह और मेरा पति अपनी नौकरानी और मेरी बेटी के साथ भाग गए.
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आप भविष्य के बारे में क्या सोचती हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं अभी उस स्थिति में नहीं हूं. इसलिए अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. मामले की सुनवाई हो रही है, जिसके बाद मेरा इरादा जम्मू में अपने घर लौटने का है.