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ऑनलाइन खाने का ऑर्डर देना पड़ा महंगा, 250 की जगह गवाएं 50 हजार रुपये - ऑनलाइन खाने का ऑर्डर देना पड़ा महंगा

आज की भागमभाग जीवनशैली में लोग आनलाइन खरीदारी पर इतने आश्रित हो गए हैं कि होटल या रेस्टोरेंट जाकर खाने तक की फुर्सत नहीं है. इसी आरामतलबी का फायदा उठाने के लिए साइबर ठग भी सक्रिय हैं. कभी पेमेंट लिंक के माध्यम से, तो कभी फूड पर आकर्षक आफर देकर साइबर ठग लोगों को शिकार बना रहे हैं.

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Published : Dec 28, 2020, 3:22 PM IST

बेंगलुरु : साइबर अपराधियों ने एक महिला के साथ धोखाधड़ी करके उसके खाते से 50 हजार रुपये गायब कर दिए. दरअसल, इन दिनों साइबर अपराधियों की नजर गूगल पर दिखने वाले होटल व रेस्टोरेंट के कान्टैक्ट नंबर पर भी है. यदि होटल या रेस्टोरेंट का नंबर गूगल पर दिखाई दे रहा है, तो इसे डिलीट कर दें और उनका नंबर अपने पास रख लें, क्योंकि साइबर अपराधी इन नंबरों से ही धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. बेंगलुरु में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.

बेंगलुरु की रहने वाली सविता शर्मा अपने घर आने वाले मेहमान के लिए राजस्थानी लंच मंगाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने गूगल से ऑर्डर देना मुनासिब समझा. गूगल पर उन्हें क्रेसिया होटल का नंबर दिखाई दिया. सविता ने दिए गए नंबर पर काल किया और खाने का ऑर्डर दे दिया. उस समय एक व्यक्ति ने फोन उठाया और बोला कि वह होटल से बोल रहा है. इसके बाद ठग ने कहा कि एक बार के भोजन के लिए 250 रुपये देने पड़ेंगे और दूसरी बार ऑर्डर देने पर कोई पैसा नहीं देना होगा. साथ ही उसने पेमेंट के लिए एक लिंक भी शेयर किया. सविता ने इस बात पर विश्वास कर लिया और दिए गए लिंक के माध्यम से पेमेंट भी कर दिया. इसके आधे घंटे बाद तक जब काेई फूड डिलीवर नहीं हुआ, तो सविता ने उस नंबर पर दोबारा फोन किया. लेकिन वह नंबर स्विच ऑफ मिला. घबराई सविता ने उसी समय अपना एकाउंट चेक किया, तो उसके खाते से 50 हजार रुपये गायब मिले. सविता ने तुरंत इसकी शिकायत साइबर पुलिस से की.

अलग-अलग तरीके से ठगी

लॉकडाउन के दौरान ठगों ने अलग-अलग तरीकों से लोगों के साथ ठगी की. कहीं ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर, तो कहीं नौकरी के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी की जा रही है. कुछ लोगों को वॉट्सएप लिंक के जरिए ठगा गया. आगरा की एक महिला से एप डाउनलोड कराकर 40 हजार की ठगी की गई. अकेले राजधानी दिल्ली में हर महीने तीन से चार हजार साइबर अपराध के मामले दर्ज किए जा रहे हैं.

ज्यादातर मामले आर्थिक ठगी के

हाल ही में दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि साइबर अपराध में 62 फीसदी अपराध आर्थिक धोखाधड़ी के हैं. दूसरे नंबर पर 24 फीसदी साइबर अपराध सोशल मीडिया से संबंधित हैं, जबकि अन्य मामले जैसे हैकिंग, डाटा चोरी करने के मामले 14 फीसदी हैं. साइबर अपराधी सिर्फ मेट्रो शहरों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गांवों तक उनका जाल फैला हुआ है. सोशल मीडिया साइबर ठगों के लिए अपराध का नया अड्डा बन गया है.

पढ़ें-62 फीसदी साइबर अपराध फाइनेंसियल फ्रॉड, जानिए कहां बैठे हैं जालसाज

बचाव के लिए रहें सतर्क

साइबर विशेषज्ञों की मानें, तो साइबर क्राइम से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. अगर मोबाइल पर कोई ऐसा मैसेज आता है तो उसे अच्छे से पढ़ने के बाद ही किसी लिंक पर क्लिक करना चाहिए. कोई भी बैंकिंग या इंश्योरेंस कंपनी कभी डायरेक्ट अपने कस्टमर से कॉल या मैसेज के जरिए बात नहीं करती है. आनलाइन पेमेंट करने से पहले पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए. किसी भी हाल में एटीएम पिन या मोबाइल ओटीपी शेयर नहीं करना चाहिए.

बेंगलुरु : साइबर अपराधियों ने एक महिला के साथ धोखाधड़ी करके उसके खाते से 50 हजार रुपये गायब कर दिए. दरअसल, इन दिनों साइबर अपराधियों की नजर गूगल पर दिखने वाले होटल व रेस्टोरेंट के कान्टैक्ट नंबर पर भी है. यदि होटल या रेस्टोरेंट का नंबर गूगल पर दिखाई दे रहा है, तो इसे डिलीट कर दें और उनका नंबर अपने पास रख लें, क्योंकि साइबर अपराधी इन नंबरों से ही धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. बेंगलुरु में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.

बेंगलुरु की रहने वाली सविता शर्मा अपने घर आने वाले मेहमान के लिए राजस्थानी लंच मंगाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने गूगल से ऑर्डर देना मुनासिब समझा. गूगल पर उन्हें क्रेसिया होटल का नंबर दिखाई दिया. सविता ने दिए गए नंबर पर काल किया और खाने का ऑर्डर दे दिया. उस समय एक व्यक्ति ने फोन उठाया और बोला कि वह होटल से बोल रहा है. इसके बाद ठग ने कहा कि एक बार के भोजन के लिए 250 रुपये देने पड़ेंगे और दूसरी बार ऑर्डर देने पर कोई पैसा नहीं देना होगा. साथ ही उसने पेमेंट के लिए एक लिंक भी शेयर किया. सविता ने इस बात पर विश्वास कर लिया और दिए गए लिंक के माध्यम से पेमेंट भी कर दिया. इसके आधे घंटे बाद तक जब काेई फूड डिलीवर नहीं हुआ, तो सविता ने उस नंबर पर दोबारा फोन किया. लेकिन वह नंबर स्विच ऑफ मिला. घबराई सविता ने उसी समय अपना एकाउंट चेक किया, तो उसके खाते से 50 हजार रुपये गायब मिले. सविता ने तुरंत इसकी शिकायत साइबर पुलिस से की.

अलग-अलग तरीके से ठगी

लॉकडाउन के दौरान ठगों ने अलग-अलग तरीकों से लोगों के साथ ठगी की. कहीं ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर, तो कहीं नौकरी के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी की जा रही है. कुछ लोगों को वॉट्सएप लिंक के जरिए ठगा गया. आगरा की एक महिला से एप डाउनलोड कराकर 40 हजार की ठगी की गई. अकेले राजधानी दिल्ली में हर महीने तीन से चार हजार साइबर अपराध के मामले दर्ज किए जा रहे हैं.

ज्यादातर मामले आर्थिक ठगी के

हाल ही में दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि साइबर अपराध में 62 फीसदी अपराध आर्थिक धोखाधड़ी के हैं. दूसरे नंबर पर 24 फीसदी साइबर अपराध सोशल मीडिया से संबंधित हैं, जबकि अन्य मामले जैसे हैकिंग, डाटा चोरी करने के मामले 14 फीसदी हैं. साइबर अपराधी सिर्फ मेट्रो शहरों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गांवों तक उनका जाल फैला हुआ है. सोशल मीडिया साइबर ठगों के लिए अपराध का नया अड्डा बन गया है.

पढ़ें-62 फीसदी साइबर अपराध फाइनेंसियल फ्रॉड, जानिए कहां बैठे हैं जालसाज

बचाव के लिए रहें सतर्क

साइबर विशेषज्ञों की मानें, तो साइबर क्राइम से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. अगर मोबाइल पर कोई ऐसा मैसेज आता है तो उसे अच्छे से पढ़ने के बाद ही किसी लिंक पर क्लिक करना चाहिए. कोई भी बैंकिंग या इंश्योरेंस कंपनी कभी डायरेक्ट अपने कस्टमर से कॉल या मैसेज के जरिए बात नहीं करती है. आनलाइन पेमेंट करने से पहले पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए. किसी भी हाल में एटीएम पिन या मोबाइल ओटीपी शेयर नहीं करना चाहिए.

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