शिमला: सेब उत्पादन के आंकड़ों को देखें तो कश्मीर देवभूमि हिमाचल से आगे है, लेकिन बात क्वालिटी फ्रूट, प्लांट मैटेरियल, ऑर्चर्ड मैनेजमेंट की आए तो हिमाचल इस मामले में सिरमौर है. खुद कश्मीर के बागवान इस बात को मानते हैं. शिमला जिले की कोटखाई तहसील के बखोल गांव में चर्चित युवा बागवान संजीव चौहान से मिलने और सेब उत्पादन के गुर सीखने के लिए कश्मीर से आए युवा बागवानों ने बताया कि हिमाचल इस मामले में कहीं आगे है. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल के बागवानों ने आर्चर्ड मैनेजमेंट, क्वालिटी फ्रूट प्रोडक्शन और प्रति हैक्टेयर सेब उत्पादन सहित विदेशी किस्मों को सफलता से उगाया है. कश्मीर को अभी हिमाचल से बहुत कुछ सीखना है.
खासकर आर्चर्ड मैनेजमेंट में कश्मीर के बागवान हिमाचल से बहुत पीछे हैं. हिमाचल सहित देश भर में सेब उत्पादन के लिए पुरस्कृत संजीव चौहान का बागीचा कोटखाई तहसील के बखोल गांव में है. यहां एक दशक से कश्मीर, उत्तराखंड व अरुणाचल प्रदेश के बागवान नई-नई सेब किस्मों से बेहतर उत्पादन हासिल करने के गुर सीखने के लिए आ रहे हैं. हाल ही में उनके बागीचे में आए कश्मीर के कुलगाम के तजम्मुल हसन, शोपियां के शब्बीर अहमद डार और आमिर शमीम ने बताया कि कश्मीर की लैंड सेब उत्पादन के लिहाज से हिमाचल से कहीं बेहतर है. हिमाचल में सिंचाई के साधन भी अपेक्षाकृत कम हैं. यहां की भौगोलिक परिस्थितियां भी कश्मीर के मुकाबले कठिन हैं, फिर भी हिमाचल के बागवान अपनी मेहनत और ज्ञान से सेब उत्पादन में सिरमौर हैं. कश्मीर को अभी हिमाचल प्रदेश से बहुत कुछ सीखना है.
वहीं, कश्मीर से आए बागवानों के मेजबान संजीव चौहान का कहना है कि कश्मीर में बेशक हिमाचल से अधिक सेब पैदा होता है, लेकिन बहुत से मामलों में वहां की बागवानी अभी पीछे हैं. संजीव चौहान के अनुसार कश्मीर की बागवानी में अभी बेहतर प्लांट मैटेरियल की कमी है. वहां के बागवानों को अच्छा प्लांट मैटेरियल नहीं मिलता. साथ ही ऑर्चर्ड मैनेजमेंट, सही तरीके से प्रूनिंग, न्यूट्रिएंट्स की अच्छी जानकारी, किस हाइट पर कौन सी सेब की किस्म फलेगी, इन विषयों को लेकर अभी जागरुकता व जानकारी का अभाव है. संजीव चौहान का कहना है कि यह सही है कि कश्मीर में जमीन, सिंचाई की सुविधा आदि हिमाचल से बेहतर है, लेकिन वहां के बागवानों तक सही जानकारियां नहीं पहुंच पाती हैं.
इस मामले में हिमाचल के बागवान जागरूक हैं. यहां सघन बागवानी सफल हो रही है. सेब की कौन सी किस्म कितनी हाइट पर शानदार रिजल्ट देगी, यहां के बागवानों को इसकी बहुत अच्छी जानकारी है. संजीव का कहना है कि कश्मीर के बागवान उन्हें घाटी के दौरे के लिए निमंत्रण देते रहे हैं. शिमला जिला से कुछ बागवान कश्मीर जाकर प्रूनिंग, स्पर किस्मों की बागवानी आदि की जानकारी वहां के बागीचों के मालिकों को देते रहे हैं.
संजीव चौहान का कहना है कि अब समय हाई कलर स्ट्रेन का है. यानी सेब की वो किस्में जिसमें फल का रंग गहरा और गाढ़ा होता है. हाई कलर स्ट्रेन जल्द तैयार होता है और मार्केट में जाने पर इसका शुरुआती रेट ही चार हजार रुपए प्रति पेटी मिलता है. हिमाचल हाई कलर स्ट्रेन के उत्पादन में बहुत आगे है और कश्मीर के बागवान ऐसी ही जानकारियां लेने के लिए यहां आते हैं. हाई कलर स्ट्रेन में रेड विलॉक्स, जेरोमाइन, फेन जेड, एडम स्पर आदि किस्मों का सेब आता है. हिमाचल में ये किस्में बहुतायत में लगाई जाती हैं. कश्मीर के बागवान यहां साइनवुड आर्चर्ड विजिट कर सेब की कलमों की जानकारी लेते हैं.
कश्मीर के मेहमान बोले, मेहनती हैं हिमाचल के बागवान: तजमुल हसन, शब्बीर अहमद व आमिर शमीम का कहना है कि हिमाचल के बागवान मेहनती हैं. कश्मीर के लोग हिमाचल के बागवानों से पीछे हैं. हिमाचल में रॉयल किस्म के सेब बागीचों को हटाकर हाई कलर स्ट्रेन पर जा रहे हैं. हिमाचल के लोग सघन बागवानी में शानदार सफलता हासिल कर रहे हैं. आमिर शमीम ने कश्मीर के बागवानों को वहां की भाषा में आग्रह किया कि उन्हें हिमाचल आकर बागवानी के गुर सीखने चाहिए, ताकि वे भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें. तजमुल हसन का कहना है कि यदि कश्मीर के बागवान हिमाचल जैसी सफलता हासिल कर लें तो भारत में ईरान, अमेरिका आदि देशों से सेब निर्यात की नौबत नहीं आएगी. ये दो राज्य ही भारत की सेब की मांग को पूरा कर सकते हैं.
आंकड़ों की नजर में दोनों राज्य: हिमाचल प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार हैं. यहां सालाना तीन से साढ़े चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल में चालीस से अधिक विदेशी किस्मों का सेब उगाया जाता है. यहां के बागवान सघन बागवानी कर रहे हैं. हाई डेंसिटी आर्चर्ड लगाए जा रहे हैं. स्पर किस्मों को रूट स्टाक पर यहां अधिक उगाया जाता है. ये किस्में तीन साल में फल दे देती हैं. हिमाचल में 1,15,016 हैक्टेयर भूमि में सेब उगाया जाता है. वहीं, कश्मीर में सेब उत्पादन से 40 लाख लोग जुड़े हैं. यहां बारामूला जिला में सबसे अधिक सेब उगाया जाता है. कश्मीर में सालाना 22 से 25 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है.
ये भी पढ़ें- हिमाचल के कुल्लू में बढ़ी विदेशी सेब की प्रजातियों की मांग, इस साल 1 लाख 78 हजार पौधों की डिमांड