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यूपी में पीड़ित किसानों को मुआवजा देने पर छत्तीसगढ़ में सियासत गर्म - Opposition targets

लखीमपुर घटना में मृतक किसानों के परिजनों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के द्वारा 50-50 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है. इस घोषणा के बाद ही छत्तीसगढ़ में सियासत (politics in chhattisgarh) गरमा गई है. इस मामले को लेकर विपक्ष (Opposition) सहित किसान संगठनों (Farmer's Organizations) ने कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है.

छत्तीसगढ़ में सियासत गर्म
छत्तीसगढ़ में सियासत गर्म
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Published : Oct 8, 2021, 6:27 AM IST

रायपुर : लखीमपुर घटना में मृतक किसानों के परिजनों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के द्वारा 50-50 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है. इस घोषणा के बाद ही छत्तीसगढ़ में सियासत (politics in chhattisgarh) गरमा गई है. इस मामले को लेकर विपक्ष (Opposition) सहित किसान संगठनों (Farmer's Organizations) ने कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है.

इनका आरोप है कि छत्तीसगढ़ के किसानों की सुधि ना लेते हुए भूपेश सरकार यूपी के किसानों की मौत पर 50-50 लाख बांट रही है (50-50 lakh is distributing). जबकि छत्तीसगढ़ में भी कई किसानों कि विपरीत परिस्थितियों में मौत हुई, उन्हें सरकार के द्वारा इतनी बड़ी राशि क्यों नहीं दी गई? जितनी उत्तर प्रदेश के किसानों को दी गई. इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Leader of Opposition Dharamlal Kaushik) ने भूपेश सरकार पर जमकर हमला बोला है.

उन्होंने कहा कि सरकार पर हजारों करोड़ों रुपए का कर्ज है. खुद का हाथ नीचे है लेकिन वहां हाथ बढ़ाने गए. मुख्यमंत्री आज मुआवजा दे रहे हैं, तो जितने लोगों की मृत्यु हुई. इतने लोगों को देते आधे लोगों को क्यों दिए, उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मृत किसानों (dead farmers) से मिलने कभी मुख्यमंत्री नहीं गए. मुआवजा तक नहीं दिया आकाओं को खुश करने उत्तर प्रदेश में मुआवजा दिया गया. वहीं, विपक्ष के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने कहा कि इसे किसी अन्य घटनाओं से नहीं जोड़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें - लखीमपुर हिंसा : यूपी पुलिस ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे को किया तलब

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आरोपी को गिरफ्तार किया क्या? बीजेपी नेता क्या गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं? बघेल ने कहा कि इसीलिए हमारे सभी जनप्रतिनिधि गए हुए थे, वहां के पीड़ित परिवारों के साथ क्या रमन सिंह या धर्मलाल कौशिक ने कभी बात की है. जबकि हमारे सरकार और हमने स्वयं सिलगेर के पीड़ितों से बात की है. हम किसी घटना को कम नहीं आंक रहे हैं लेकिन किसानों के साथ जो उनका स्वभाव है उसे भाजपा (BJP) ने प्रदर्शित किया है.

किसान विरोधी रही है भाजपा

इस पूरे मामले को लेकर किसान संगठनों ने भी आपत्ति जताई है. छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसान विरोधी सरकार (BJP Anti-Farmer Government) रही और अब उसी नक्शे-ए-कदम पर कांग्रेस भी चल रही है. ना तो भाजपा सरकार ने किसानों को उचित मुआवजा दिया और ना ही भूपेश सरकार ने किसानों को उचित मुआवजा दिया. आज तक इतनी बड़ी राशि मुआवजे के रूप में कभी छत्तीसगढ़ के किसानों को नहीं दी गई जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश में किसानों को मुआवजा देने की घोषणा (Announcement of compensation to farmers in Uttar Pradesh) की.

इस दौरान अनिल दुबे ने भूपेश सरकार पर यह भी आरोप लगा कि उनके द्वारा यूपी से लोगों को बुलाकर नौकरी दी जा रही है परंतु छत्तीसगढ़ के लोगों को रोजगार मुहैया नहीं कराया जा रहा है. अनिल दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा यह राशि गांधी परिवार के सामने नंबर बढ़ाने के लिए दी गई है. अनिल ने कहा कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नहीं, गांधी परिवार के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Gandhi Family) हैं.

ये भी पढ़ें - लखीमपुर की घटना को कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के मौके के रूप में देख रहे हैं राहुल: भाजपा

भाजपा को मिला बड़ा मुद्दा

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने एक तरह से यह घोषणा कर के छत्तीसगढ़ में एक नया ट्रेंड शुरू (new trend started) कर दिया है कि इस तरह की घटना में अगर किसी की मौत हो जाए तो मुआवजा कितना मिलना चाहिए. लेकिन इस मामले में सियासत इसलिए हो रही है कि सिलगेर मामले में जो मुआवजा दिया गया था और यूपी में जो मुआवजा दिया गया है. उसमें जमीन आसमान का अंतर है. इससे भाजपा को बैठे-बैठाए मुद्दा कांग्रेस ने दे दिया है. वैसे भी संविधान के मुताबिक भारत में एक कानून लागू है. ऐसे में एक ही व्यवस्था के लिए दो अलग-अलग राज्यों में मुआवजे की अलग-अलग राशि की घोषणा मुख्यमंत्री नहीं कर सकते.

बहरहाल कारण जो भी हो, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों को 50-50 लाख रुपए दिए जाने का मामला अब छत्तीसगढ़ में तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले को लेकर विपक्ष सहित किसान संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ आपत्ति जताई है और छत्तीसगढ़ के मृतक किसानों के परिजनों को भी 50 50 लाख रुपए देने सहित रोजगार देने की मांग की है. अब देखने वाली बात है कि सरकार इस मामले को किस तरह से सुलझाती है.

रायपुर : लखीमपुर घटना में मृतक किसानों के परिजनों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के द्वारा 50-50 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है. इस घोषणा के बाद ही छत्तीसगढ़ में सियासत (politics in chhattisgarh) गरमा गई है. इस मामले को लेकर विपक्ष (Opposition) सहित किसान संगठनों (Farmer's Organizations) ने कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है.

इनका आरोप है कि छत्तीसगढ़ के किसानों की सुधि ना लेते हुए भूपेश सरकार यूपी के किसानों की मौत पर 50-50 लाख बांट रही है (50-50 lakh is distributing). जबकि छत्तीसगढ़ में भी कई किसानों कि विपरीत परिस्थितियों में मौत हुई, उन्हें सरकार के द्वारा इतनी बड़ी राशि क्यों नहीं दी गई? जितनी उत्तर प्रदेश के किसानों को दी गई. इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Leader of Opposition Dharamlal Kaushik) ने भूपेश सरकार पर जमकर हमला बोला है.

उन्होंने कहा कि सरकार पर हजारों करोड़ों रुपए का कर्ज है. खुद का हाथ नीचे है लेकिन वहां हाथ बढ़ाने गए. मुख्यमंत्री आज मुआवजा दे रहे हैं, तो जितने लोगों की मृत्यु हुई. इतने लोगों को देते आधे लोगों को क्यों दिए, उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मृत किसानों (dead farmers) से मिलने कभी मुख्यमंत्री नहीं गए. मुआवजा तक नहीं दिया आकाओं को खुश करने उत्तर प्रदेश में मुआवजा दिया गया. वहीं, विपक्ष के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने कहा कि इसे किसी अन्य घटनाओं से नहीं जोड़ सकते हैं.

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योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आरोपी को गिरफ्तार किया क्या? बीजेपी नेता क्या गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं? बघेल ने कहा कि इसीलिए हमारे सभी जनप्रतिनिधि गए हुए थे, वहां के पीड़ित परिवारों के साथ क्या रमन सिंह या धर्मलाल कौशिक ने कभी बात की है. जबकि हमारे सरकार और हमने स्वयं सिलगेर के पीड़ितों से बात की है. हम किसी घटना को कम नहीं आंक रहे हैं लेकिन किसानों के साथ जो उनका स्वभाव है उसे भाजपा (BJP) ने प्रदर्शित किया है.

किसान विरोधी रही है भाजपा

इस पूरे मामले को लेकर किसान संगठनों ने भी आपत्ति जताई है. छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसान विरोधी सरकार (BJP Anti-Farmer Government) रही और अब उसी नक्शे-ए-कदम पर कांग्रेस भी चल रही है. ना तो भाजपा सरकार ने किसानों को उचित मुआवजा दिया और ना ही भूपेश सरकार ने किसानों को उचित मुआवजा दिया. आज तक इतनी बड़ी राशि मुआवजे के रूप में कभी छत्तीसगढ़ के किसानों को नहीं दी गई जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश में किसानों को मुआवजा देने की घोषणा (Announcement of compensation to farmers in Uttar Pradesh) की.

इस दौरान अनिल दुबे ने भूपेश सरकार पर यह भी आरोप लगा कि उनके द्वारा यूपी से लोगों को बुलाकर नौकरी दी जा रही है परंतु छत्तीसगढ़ के लोगों को रोजगार मुहैया नहीं कराया जा रहा है. अनिल दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा यह राशि गांधी परिवार के सामने नंबर बढ़ाने के लिए दी गई है. अनिल ने कहा कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नहीं, गांधी परिवार के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Gandhi Family) हैं.

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भाजपा को मिला बड़ा मुद्दा

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने एक तरह से यह घोषणा कर के छत्तीसगढ़ में एक नया ट्रेंड शुरू (new trend started) कर दिया है कि इस तरह की घटना में अगर किसी की मौत हो जाए तो मुआवजा कितना मिलना चाहिए. लेकिन इस मामले में सियासत इसलिए हो रही है कि सिलगेर मामले में जो मुआवजा दिया गया था और यूपी में जो मुआवजा दिया गया है. उसमें जमीन आसमान का अंतर है. इससे भाजपा को बैठे-बैठाए मुद्दा कांग्रेस ने दे दिया है. वैसे भी संविधान के मुताबिक भारत में एक कानून लागू है. ऐसे में एक ही व्यवस्था के लिए दो अलग-अलग राज्यों में मुआवजे की अलग-अलग राशि की घोषणा मुख्यमंत्री नहीं कर सकते.

बहरहाल कारण जो भी हो, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों को 50-50 लाख रुपए दिए जाने का मामला अब छत्तीसगढ़ में तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले को लेकर विपक्ष सहित किसान संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ आपत्ति जताई है और छत्तीसगढ़ के मृतक किसानों के परिजनों को भी 50 50 लाख रुपए देने सहित रोजगार देने की मांग की है. अब देखने वाली बात है कि सरकार इस मामले को किस तरह से सुलझाती है.

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