नई दिल्ली : संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध खत्म करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से रविवार को फोन पर बात की, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले मणिपुर पर सदन के अंदर प्रधानमंत्री के बयान की शर्त रखी. सूत्रों ने कहा कि संसद में जारी गतिरोध पर चर्चा के लिए राजनाथ सिंह ने एक दिन पहले रात को खड़गे से बात की थी.
उन्होंने कहा, "खड़गे ने सिंह से कहा कि मणिपुर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती और प्रधानमंत्री को सदन के अंदर बयान देना चाहिए." इससे पहले सोमवार सुबह खड़गे ने मणिपुर हिंसा पर विस्तृत चर्चा की मांग को लेकर संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध-प्रदर्शन करते हुए कहा था कि राजनाथ सिंह ने उनसे और कई अन्य विपक्षी सांसदों से बात की.
खड़गे ने कहा, “यह शर्मनाक है कि पीएम मोदी ने सदन के बाहर बात की. हम सभी विपक्षी दल राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष से मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री को सदन के अंदर आना चाहिए और मणिपुर की वास्तविक स्थिति के बारे में बयान देना चाहिए.''
उन्होंने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा है तो प्रधानमंत्री सदन के बाहर बयान दे रहे हैं जबकि मणिपुर हिंसा पर सदन के अंदर व्यापक बयान देना उनका कर्तव्य है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दल मणिपुर हिंसा पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री से बयान की मांग कर रहे हैं.
मानसून सत्र के पहले दिन गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री ने मणिपुर की घटना पर अपना 'दर्द' और 'गुस्सा' व्यक्त किया और कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं के साथ वीभत्स घटना बहुत शर्मनाक है, और इसे कभी माफ नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा था, ''यह घटना पूरे देश का अपमान है क्योंकि इसने 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार किया है. मणिपुर में महिलाओं के साथ जो घटना हुई उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता. मैं देशवासियों को आश्वस्त करता हूं कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.'' हालाँकि, उन्होंने अपने बयान में राजस्थान और छत्तीसगढ़ (दोनों कांग्रेस शासित राज्य) में हिंसा की घटनाओं को भी शामिल किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, ''घटना राजस्थान, छत्तीसगढ़ या मणिपुर की हो, देश के किसी भी कोने में अपराधी छूटने नहीं चाहिए.'' मणिपुर में 3 मई को जातीय झड़पें भड़क उठीं और तब से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का 4 मई का एक वीडियो 19 जुलाई को वायरल हो गया, जिसकी पूरे देश में व्यापक निंदा हुई.
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(आईएएनएस)