नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) के द्वारा रविवार देर रात शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) को गिरफ्तार गया, वहीं सोमवार सुबह से ही संसद में इस मुद्दे पर बवाल शुरू हो गया. विपक्षी सांसदों ने सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर एक बार फिर आरोप दोहराया. साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि जहां पर भाजपा की सरकार नहीं है अब उन सभी राज्यों में भाजपा सरकार गिराना चाहती है या उन नेताओं को किसी न किसी आरोप में फंसाना चाहते हैं.
भले ही विपक्षी पार्टी लोकसभा में महंगाई के मुद्दे पर बहस कराने को तैयार हो गई, लेकिन राज्यसभा में ईडी और सरकारी एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल को लेकर सरकार पर विपक्षी गंभीर आरोप लगाते रहे है और संसद में नारेबाजी होती रही. दोनों सदनों के अंदर ही नहीं बाहर भी लगातार कोलकाता के पार्थ चटर्जी का मामला हो या फिर संजय राऊत का मामला, इन मुद्दों पर विपक्ष सरकार को लगातार घेर रहा है और सीधे-सीधे सरकार पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगा रहा है. संजय राउत के गिरफ्तार होते ही शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने यह बयान दिया कि वह किसी भी हालत में झुकेंगे नहीं और संजय राउत पर उन्हें गर्व है, वही संजय राउत भी गिरफ्तार होते हुए जय-जय महाराष्ट्र का नारा लगाते हुए ऐसे गिरफ्तारी दे रहे थे जैसे मानो उन पर भ्रष्टाचार नहीं बल्कि सत्याग्रह करने के बाद गिरफ्तार किया जा रहा हो.
वहीं पूरा का पूरा विपक्ष ऐसे में जब संसद की कार्यवाही चल रही है और संसद के मानसून सत्र से पहले ही महंगाई, रुपए के मुकाबले डॉलर में आई तेजी, सरकार द्वारा सरकारी एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल और शिक्षक भर्ती घोटाला जैसे मुद्दों को पहले से ही उठात रहा है, ऐसे समय में संजय राउत की गिरफ्तारी और ईडी द्वारा की जा रही पूछताछ कहीं ना कहीं नहले पर दहला है. संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद ठाकरे गुट के कई प्रमुख शिवसेना नेताओं ने यह कह कर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया की पार्टी के अधिकृत नेता ही इस मुद्दे पर बोलेंगे. साफ जाहिर है की अब ईडी की कार्रवाई ने कहीं ना कहीं सभी बयानबाजी करने वालों को चुप्पी साधने पर मजबूर कर दिया है.
विपक्षी दल संजय राउत के खिलाफ ईडी की कार्रवाई और उनकी गिरफ्तारी के समय पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दल एनसीपी और कांग्रेस भी जांच एजेंसी की कार्रवाई को राजनीतिक षड़यंत्र बता रही है. जबकि शिवसेना इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बता रही है. संजय राउत लगातार अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार कर रहे हैं, यहां तक कि इस पर उन्होंने बाला साहब ठाकरे की कसम तक खाई. हालांकि ईडी ने पात्रा चाल घोटाले में पहले भी दो बार संजय राउत को समन भेजा गया था मगर वह संसद चलने का हवाला देते हुए उपस्थित नहीं हुए थे, वहीं ईडी ने रविवार की सुबह राउत के घर पर छापा मारा और शाम होते-होते हिरासत में भी ले लिया था.
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देखा जाए तो विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर प्रतिशोध की राजनीति करते हुए ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं. 2019 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में मायावती के समय बने स्मारकों में अनियमितताओं को लेकर की गई कार्रवाई पर आरोप लगाया था, तो वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी समय-समय पर ये आरोप दोहराती रहीं हैं, यूपी चुनाव के समय कानपुर से इत्र व्यापारी के घर पर मिले करोड़ों रुपए के बाद जहां समाजवादी पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार पर ये आरोप दोहराया वहीं पश्चिम बंगाल का पार्थ चटर्जी मामला हो या फिर झारखंड से मिले करोड़ों रुपए के कैश बरामदगी का मुद्दा हो, विपक्षी पार्टी बीजेपी पर गैर शासित प्रदेशों में मौजूद सरकारों को अस्थिर करने का आरोप भी केंद्र पर जड़ रहीं हैं. ऐसे में गौर करने लायक बात ये है कि जहां भी ऐसे मामलों में ईडी ने छापेमारी की है वहां करोड़ों रुपए जनता के सामने मिले हैं इसलिए विपक्षियों की लामबंदी से सरकार जरा भी विचलित नहीं है. सूत्रों की माने तो 2024 से पहले ऐसी कई बड़ी और छापेमारी की तैयारी है.
इस मुद्दे पर बात करते हुए बीजेपी के नेता विनय सहस्त्रबुद्धे (Vinay Sahasrabuddhe) का कहना है की ईडी अपनी कार्रवाई करती है मगर यहां यह देखना भी जरूरी है की जहां भी ईडी ने कार्रवाई की वहां अकूत धन मिले. बावजूद उसके यदि विपक्ष हंगामा करे और सरकार पर आरोप लगाए तो ये सोचने को मजबूर करता है की ये किस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिसमें भ्रष्टाचारियों को बचाने की वकालत करनी पड़ रही है. इस सरकार ने पहले ही कहा था कि भ्रष्टाचार में ये जीरो टॉलरेंस बरतेगी और वही हो रहा है.
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