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Generic Medicine Survey : केवल 7 प्रतिशत नागरिक डॉक्टरों के जेनेरिक दवाएं लिखे जाने वाले आदेश से सहमत : सर्वे

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखें. हालांकि एक सर्वे में सामने आया है कि केवल सात फीसदी लोग ही जेनेरिक दवाएं लिखे जाने के पक्ष में हैं (Generic Medicine Survey).

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 22, 2023, 9:16 PM IST

नई दिल्ली: जेनेरिक दवा के संबंध में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नियमों पर बड़े विवाद के बीच एक सर्वे से पता चला है कि केवल 7 प्रतिशत नागरिक डॉक्टरों के जेनरिक दवाओं के नाम लिखने से सहमत हैं (Generic Medicine Survey).

समुदाय आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, ये भले ही सस्ती हों फिर भी कई लोग अधिक महंगी ब्रांडेड दवाएं या डॉक्टरों द्वारा लिखी गई जेनेरिक ब्रांडेड दवाएं खरीदते हैं.

सर्वेक्षण में बताया गया है, 'जेनेरिक दवा के उपयोग पर 20,706 प्रतिक्रियाओं में से सर्वेक्षण में शामिल केवल 7 प्रतिशत नागरिकों ने एनएमसी के नए विनियमन कि डॉक्टरों को दवाएं लिखते समय केवल सॉल्ट या जेनेरिक दवा का नाम देना चाहिए. जबकि इस प्रश्न के शेष उत्तरदाताओं में से 60 प्रतिशत ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके डॉक्टर ब्रांडेड दवाओं के नाम लिखें.'

जबकि 22 प्रतिशत ने इस बात का समर्थन किया कि डॉक्टरों को सॉल्ट का नाम बताना चाहिए और उदाहरण के तौर पर किसी ब्रांडेड दवा का नाम बताना चाहिए. सर्वेक्षण में कहा गया है कि 7 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि डॉक्टर केवल ब्रांडेड दवा लिखें और इसके अलावा, 4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सर्वेक्षण में पाया गया है कि 85 प्रतिशत नागरिकों ने एनएमसी दिशानिर्देशों का समर्थन किया है जो डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी प्रकार के कमीशन या और लाभ प्राप्त करने से प्रतिबंधित करते हैं.

सर्वे में कहा गया है कि 'इस प्रश्न का उत्तर देने वाले 12,393 नागरिकों में से 85 प्रतिशत ने एनएमसी दिशानिर्देशों के लिए समर्थन का संकेत दिया जो डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को फार्मा, चिकित्सा उपकरण कंपनियों या पैथोलॉजी/डायग्नोस्टिक लैब, अस्पतालों या अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से किसी भी प्रकार का कमीशन या संतुष्टि प्राप्त करने से प्रतिबंधित करता है. सर्वेक्षण में शामिल शेष 15 प्रतिशत नागरिक इस मुद्दे पर एनएमसी के दिशानिर्देशों से सहमत नहीं थे.'

सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि 72 प्रतिशत नागरिकों का मानना ​​है कि उनके डॉक्टर अपने उत्पादों या सेवाओं के उपयोग के लिए प्रयोगशालाओं, नर्सिंग होम और अस्पतालों, फार्मास्युटिकल कंपनियों, केमिस्टों आदि जैसे कई स्रोतों से कमीशन और अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं.

सर्वेक्षण को भारत के 326 जिलों में स्थित नागरिकों से 43,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. 65 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे जबकि 35 प्रतिशत उत्तरदाता महिलाएं थीं. 44 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 1 से, 35 प्रतिशत टियर 2 से और 21 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.

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समुदाय आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, ये भले ही सस्ती हों फिर भी कई लोग अधिक महंगी ब्रांडेड दवाएं या डॉक्टरों द्वारा लिखी गई जेनेरिक ब्रांडेड दवाएं खरीदते हैं.

सर्वेक्षण में बताया गया है, 'जेनेरिक दवा के उपयोग पर 20,706 प्रतिक्रियाओं में से सर्वेक्षण में शामिल केवल 7 प्रतिशत नागरिकों ने एनएमसी के नए विनियमन कि डॉक्टरों को दवाएं लिखते समय केवल सॉल्ट या जेनेरिक दवा का नाम देना चाहिए. जबकि इस प्रश्न के शेष उत्तरदाताओं में से 60 प्रतिशत ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके डॉक्टर ब्रांडेड दवाओं के नाम लिखें.'

जबकि 22 प्रतिशत ने इस बात का समर्थन किया कि डॉक्टरों को सॉल्ट का नाम बताना चाहिए और उदाहरण के तौर पर किसी ब्रांडेड दवा का नाम बताना चाहिए. सर्वेक्षण में कहा गया है कि 7 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि डॉक्टर केवल ब्रांडेड दवा लिखें और इसके अलावा, 4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सर्वेक्षण में पाया गया है कि 85 प्रतिशत नागरिकों ने एनएमसी दिशानिर्देशों का समर्थन किया है जो डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी प्रकार के कमीशन या और लाभ प्राप्त करने से प्रतिबंधित करते हैं.

सर्वे में कहा गया है कि 'इस प्रश्न का उत्तर देने वाले 12,393 नागरिकों में से 85 प्रतिशत ने एनएमसी दिशानिर्देशों के लिए समर्थन का संकेत दिया जो डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को फार्मा, चिकित्सा उपकरण कंपनियों या पैथोलॉजी/डायग्नोस्टिक लैब, अस्पतालों या अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से किसी भी प्रकार का कमीशन या संतुष्टि प्राप्त करने से प्रतिबंधित करता है. सर्वेक्षण में शामिल शेष 15 प्रतिशत नागरिक इस मुद्दे पर एनएमसी के दिशानिर्देशों से सहमत नहीं थे.'

सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि 72 प्रतिशत नागरिकों का मानना ​​है कि उनके डॉक्टर अपने उत्पादों या सेवाओं के उपयोग के लिए प्रयोगशालाओं, नर्सिंग होम और अस्पतालों, फार्मास्युटिकल कंपनियों, केमिस्टों आदि जैसे कई स्रोतों से कमीशन और अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं.

सर्वेक्षण को भारत के 326 जिलों में स्थित नागरिकों से 43,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. 65 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे जबकि 35 प्रतिशत उत्तरदाता महिलाएं थीं. 44 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 1 से, 35 प्रतिशत टियर 2 से और 21 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.

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