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असमः सीएम सरमा की अपील के बाद उल्फा (आई) ने ओएनजीसी कर्मचारी को किया रिहा - ONGC employee Ritul Saikia

प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) की ओर से अपहृत ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया अपने घर जोरहाट जिले में टीटाबार के बोरहोल्ला गांव में पहुंच गए हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अपील के बाद उल्फा (आई) ने उन्हें रिहा कर दिया.

उल्फा (आई) के चंगुल से ओएनजीसी कर्मचारी रिहा
उल्फा (आई) के चंगुल से ओएनजीसी कर्मचारी रिहा
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Published : May 23, 2021, 2:11 PM IST

गुवाहाटीः प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) की ओर से अपहृत ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया वापस अपने घर पहुंच गए हैं. करीब एक महीने पहले उन्हें उल्फा (आई) ने अपहरण कर लिया था. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अपील के बाद उल्फा (आई) ने उन्हें रिहा कर दिया.

असम पुलिस मुख्यालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सैकिया का 21 अप्रैल को अपहरण किया गया था. यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) उग्रवादियों ने उन्हें नगालैंड के मोन जिले में लोंगवा गांव में म्यांमा सीमा के पास छोड़ दिया. वह शनिवार की शाम में अपने घर पहुंच गए.

असम के नए मुख्यमंत्री सरमा ने ओएनजीसी कर्मचारी की रिहाई का स्वागत किया. वह 18 मई को सैकिया के घर गए थे और उनकी पत्नी तथा माता-पिता को उन्हें वापस लाने के सरकार के प्रयासों को लेकर आश्वस्त किया था.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सैकिया को म्यांमा सीमा क्षेत्र में सुबह करीब सात बजे रिहा किया गया और वह भारतीय राज्य में प्रवेश करने के लिए करीब 40 मिनट तक पैदल चले.

उन्होंने कहा कि सेना और नगालैंड पुलिस सैकिया को मोन पुलिस थाने लेकर गईं. असम पुलिस की एक टीम उन्हें घर वापस लाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए वहां मौजूद थी.

पढ़ेंः असम में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में छह उग्रवादी ढेर

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रिहा किए गए ओएनजीसी कर्मचारी सैकिया चुस्त और तंदुरुस्त दिख रहे हैं. उन्हें असम के जोरहाट जिले में टीटाबार स्थित उनके घर छोड़ने से पहले उनकी चिकित्सा जांच की गई थी.

ओएनजीसी कर्मचारी की रिहाई के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि उन्हें हर किसी के सहयोग से राज्य में शांति एवं विकास का युग कायम होने की उम्मीद है.

सरमा ने ट्वीट किया कि उल्फा द्वारा अगवा किए गए ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया को आज सुबह रिहा किए जाने का दिल से स्वागत करता हूं. लगातार मार्गदर्शन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभारी हूं. उम्मीद है कि हर किसी के सहयोग से राज्य में शांति एवं विकास का युग कायम होगा.

बता दें कि, सरमा ने 20 मई को एक संवाददाता सम्मेलन में बरुआ से ओएनजीसी कर्मचारी को रिहा करने की अपील की थी और कहा था कि असम सरकार राज्य की प्रगति के लिए तथा निवेश करने के वास्ते तेल कंपनियों पर दबाव बनाएगी.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़: 'थप्पड़बाज' सूरजपुर कलेक्टर रणबीर शर्मा पर एक्शन, तत्काल प्रभाव से हटाए गए

जब उनका आधिकारिक संवाददाता सम्मेलन चल रहा था तो तभी बरुआ ने स्थानीय टीवी चैनलों को फोन किया था और सात दिनों से भी कम समय में सैकिया को रिहा करने की घोषणा की थी.

फोन पर बरुआ ने सरमा की तारीफ की और कहा कि असम में दशकों बाद ऐसा ‘‘ऊर्जावान’’ मुख्यमंत्री बना है. वहीं, मुख्यमंत्री ने उल्फा द्वारा घोषित तीन महीने के संघर्षविराम का स्वागत किया और बरुआ से वार्ता की मेज पर आने का अनुरोध किया.

अप्रैल के पहले हफ्ते में उल्फा (आई) ने क्विप्पो ऑयल एंड गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर के दो कर्मचारियों को रिहा किया था. उन्हें पिछले साल 21 दिसंबर को अपहृत किया गया था.

गुवाहाटीः प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) की ओर से अपहृत ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया वापस अपने घर पहुंच गए हैं. करीब एक महीने पहले उन्हें उल्फा (आई) ने अपहरण कर लिया था. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अपील के बाद उल्फा (आई) ने उन्हें रिहा कर दिया.

असम पुलिस मुख्यालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सैकिया का 21 अप्रैल को अपहरण किया गया था. यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) उग्रवादियों ने उन्हें नगालैंड के मोन जिले में लोंगवा गांव में म्यांमा सीमा के पास छोड़ दिया. वह शनिवार की शाम में अपने घर पहुंच गए.

असम के नए मुख्यमंत्री सरमा ने ओएनजीसी कर्मचारी की रिहाई का स्वागत किया. वह 18 मई को सैकिया के घर गए थे और उनकी पत्नी तथा माता-पिता को उन्हें वापस लाने के सरकार के प्रयासों को लेकर आश्वस्त किया था.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सैकिया को म्यांमा सीमा क्षेत्र में सुबह करीब सात बजे रिहा किया गया और वह भारतीय राज्य में प्रवेश करने के लिए करीब 40 मिनट तक पैदल चले.

उन्होंने कहा कि सेना और नगालैंड पुलिस सैकिया को मोन पुलिस थाने लेकर गईं. असम पुलिस की एक टीम उन्हें घर वापस लाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए वहां मौजूद थी.

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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रिहा किए गए ओएनजीसी कर्मचारी सैकिया चुस्त और तंदुरुस्त दिख रहे हैं. उन्हें असम के जोरहाट जिले में टीटाबार स्थित उनके घर छोड़ने से पहले उनकी चिकित्सा जांच की गई थी.

ओएनजीसी कर्मचारी की रिहाई के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि उन्हें हर किसी के सहयोग से राज्य में शांति एवं विकास का युग कायम होने की उम्मीद है.

सरमा ने ट्वीट किया कि उल्फा द्वारा अगवा किए गए ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया को आज सुबह रिहा किए जाने का दिल से स्वागत करता हूं. लगातार मार्गदर्शन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभारी हूं. उम्मीद है कि हर किसी के सहयोग से राज्य में शांति एवं विकास का युग कायम होगा.

बता दें कि, सरमा ने 20 मई को एक संवाददाता सम्मेलन में बरुआ से ओएनजीसी कर्मचारी को रिहा करने की अपील की थी और कहा था कि असम सरकार राज्य की प्रगति के लिए तथा निवेश करने के वास्ते तेल कंपनियों पर दबाव बनाएगी.

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जब उनका आधिकारिक संवाददाता सम्मेलन चल रहा था तो तभी बरुआ ने स्थानीय टीवी चैनलों को फोन किया था और सात दिनों से भी कम समय में सैकिया को रिहा करने की घोषणा की थी.

फोन पर बरुआ ने सरमा की तारीफ की और कहा कि असम में दशकों बाद ऐसा ‘‘ऊर्जावान’’ मुख्यमंत्री बना है. वहीं, मुख्यमंत्री ने उल्फा द्वारा घोषित तीन महीने के संघर्षविराम का स्वागत किया और बरुआ से वार्ता की मेज पर आने का अनुरोध किया.

अप्रैल के पहले हफ्ते में उल्फा (आई) ने क्विप्पो ऑयल एंड गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर के दो कर्मचारियों को रिहा किया था. उन्हें पिछले साल 21 दिसंबर को अपहृत किया गया था.

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