नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए मार्च 2020 में लगाए गए लॉकडाउन के चलते पैदा हुआ आजीविका का संकट आज एक साल बाद भी बरकरार है. देश एक साल बाद भी लॉकडाउन से पैदा बेरोजगारी से उबर नहीं पाया है. सरकार ने कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया था, लेकिन इससे आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियां पूरी तरह थम गईं. बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई. इससे भी पीड़ादायक प्रवासी मजदूरों का पलायन रहा, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.
डेटा से पता चला कि बेरोजगारी दर अप्रैल में 23.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. वहीं, मई में यह 21.7 प्रतिशत थी.
कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए पिछले साल 25 मार्च को लागू किए गए लॉकडाउन के चलते पैदा हुआ आजीविका का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. एक साल बाद भी भारत बेरोजगारी की समस्या से उबर नहीं पाया है.
सरकार ने महामारी के घातक प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाया था, लेकिन इससे आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों पर असर काफी असर पड़ा और परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा. वहीं, प्रवासी श्रमिकों के पलायन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2021 में बेरोजगारी की दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई, जो पिछले साल इसी महीने में 7.8 प्रतिशत और मार्च 2020 में 8.8 प्रतिशत थी, इस दौरान लॉकडाउन लगाया गया था.
आंकड़ों से पता चलता कि अप्रैल में बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी और मई में यह 21.7 प्रतिशत पर रही
आंकड़ों से पता चला है कि अप्रैल में बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी और मई में यह 21.7 प्रतिशत पर रही. हालांकि, इसके बाद थोड़ी राहत मिली, जब जून में यह 10.2 प्रतिशत और जुलाई में 7.4 प्रतिशत दर्ज किया गया था.
सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की दर पिछले साल अगस्त में फिर बढ़कर 8.3 प्रतिशत और सितंबर में सुधार दर्शाते हुए 6.7 फीसदी हो गई. वहीं अक्टूबर में एक बार फिर बेरोजगारी बढ़कर सात प्रतिशत हो गई और फिर पिछले साल नवंबर में 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गई. सीएमआईई के आंकड़ों से पता चलता है कि बेरोजगारी दर दिसंबर 2020 में बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गई और जनवरी में 6.5 प्रतिशत दर्ज की गई.
विशेषज्ञों के मुताबिक सीएमआईई के आंकड़ों में जुलाई के बाद से बेरोजगारी के परिदृश्य में सुधार के संकेत हैं, लेकिन इसमें स्थायित्व केवल विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में सुधार के बाद आएगा. रोजगार की दृष्टि से इस दौरान कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है.
उनका विचार था कि कृषि क्षेत्र ने अच्छा काम किया है, जो देश की 55 प्रतिशत से अधिक आबादी को शामिल करता है, लेकिन शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में काम पर रखने में सुधार की आवश्यकता है.
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार ने देश में नए सिरे से रोजगार पैदा करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन रोजगार के परिदृश्य में लगातार सुधार के लिए बार-बार नीतिगत हस्तक्षेप और मौजूदा योजनाओं और जमीनी स्तर पर पहल की आवश्यकता है.
जमीनी स्तर पर पहल की जरूरत है. श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 16.5 लाख लोगों ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) से लाभ उठाया है. यह योजना अक्टूबर में शुरू की गई थी.
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 16.5 लाख लोगों ने आत्मानिर्भर भारत रोज़गार योजना (ABRY) से लाभ उठाया है, जो नौ मार्च, 2021 को COVID-19 महामारी के बीच देश में नौकरी भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए अक्टूबर में शुरू की गई थी.
महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा लाभ और रोजगार के नुकसान की बहाली के साथ नए रोजगार के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए एक अक्टूबर 2020 को योजना शुरू की गई थी.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही यह योजना विभिन्न क्षेत्रों/उद्योगों के नियोक्ताओं के वित्तीय बोझ को कम करती है और उन्हें और अधिक श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है. आत्मानिर्भर भारत रोज़गार योजना (ABRY) के तहत, भारत सरकार दो वर्षों की अवधि के लिए दोनों कर्मचारियों के हिस्से (मजदूरी का 12 प्रतिशत) और नियोक्ताओं के हिस्से (मजदूरी का 12 प्रतिशत) का अंशदान देय है.
आत्मानिर्भर भारत रोज़गार योजना (ABRY) के तहत, लगभग 16.5 लाख लाभार्थियों ने एक अक्टूबर 2020 से इस योजना के साथ खुद को पंजीकृत कर जोड़ा और इसमें से लगभग 13.64 लाख यूएएन (सार्वभौमिक खाता संख्या) के साथ नए लोग जुड़े, जो एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद सामने आये, यह लगभग 2.86 लाख हैं. एक मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020 तक महामारी के दौरान बिना नियोजित किए गए पुन: जुड़ने वाले लोग, एक अक्टूबर 2020 से फिर से जुड़े.
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार दो साल के समय में आत्मानिर्भर भारत रोज़गार योजना (ABRY) के माध्यम से 50 लाख से 60 लाख नौकरियां निकालने पर विचार कर रही है, लेकिन इस उद्देश्य तक पहुंचने के लिए इस पर निगरानी और सुनियोजित कार्यान्वयन की आवश्यकता पड़ेगी.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) व भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के तहत 12 प्रतिशत कर्मचारियों की हिस्सेदारी का योगदान दिया है, जो मार्च से अगस्त तक कुल 24 प्रतिशत है.
2020 में ऐसे कर्मचारियों के लिए (जिनके कर्मचारियों में 90 प्रतिशत ऐसे कर्मचारी हैं, जो the 15,000 से कम कमाते हैं) प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत 38.82 लाख पात्र कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में 2,567.66 करोड़ जमा किए गए हैं.
ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान लगभग 62.49 लाख ग्राहक जोड़े हैं.