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एक दिन इंसान 200-300 साल तक जीवित रहेगा: इसरो अध्यक्ष सोमनाथ - human lifespan

ISRO Chairman Dr. Somnath : इसरो अध्यक्ष डॉ.सोमनाथ ने कहा कि एक दिन हम क्षतिग्रस्त अंगों मृत कोशिकाओं को बदलने के बाद 200 से 300 साल तक जिंदा रह सकेंगे. उक्त बातें उन्होंने जेएनटीयू हैदराबाद के 12वें दीक्षांत समारोह में कहीं. समारोह में उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. पढ़िए पूरी खबर... human lifespan

ISRO Chairman Dr. Somnath
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 6, 2024, 7:43 PM IST

हैदराबाद: इसरो अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ ने कहा है कि शिक्षा, चिकित्सा और फार्मा के क्षेत्र में हो रहे शोध और भविष्य में आने वाले नवीन आविष्कारों से मनुष्य की जीवन अवधि बढ़ने की संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि हम क्षतिग्रस्त अंगों और मृत कोशिकाओं को बदलकर 200 या 300 साल तक जीवित रह सकेंगे. उन्होंने कहा कि आजादी के समय मनुष्य की औसत जीवन आयु 35 वर्ष थी जो अब बढ़कर 70 वर्ष हो गई है.

डॉ. सोमनाथ को शुक्रवार को जेएनटीयू हैदराबाद के 12वें दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. सोमनाथ ने बताया कि कैसे अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर करने के लिए इसरो द्वारा कम लागत पर अनुसंधान गतिविधियां की जा रही हैं. इस साल हम पीएसएलवी और जीएसएलवी को ग्रहों की कक्षाओं में भेज रहे हैं. इनके माध्यम से यह ठीक-ठीक पता चलने की संभावना रहती है कि कब और कहां तूफ़ान और भारी बारिश आएगी. हम इसी साल इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन गगनयान पूरा कर लेंगे.

उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रतिबंधित छोटे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके कुएं के मेंढकों की तरह नहीं रहना चाहिए. इसके बजाय उन्हें अपनी दृष्टि का विस्तार करना चाहिए और महसूस करना चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अध्ययन और अनुसंधान को कैसे प्रभावित कर रही है. सोमनाथ ने कहा कि यदि रोबोटिक प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले छात्र अत्याधुनिक रोबोट बनाते हैं तो इसरो की ओर से मंगल और शुक्र पर भविष्य के प्रयोगों में उनका उपयोग किया जाएगा. छात्रों से विफलता से नहीं डरने का आग्रह करते हुए सोमनाथ ने कहा कि हर किसी को इससे उबरकर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मैं छात्र था तो मैं भी एक या दो परीक्षाओं में असफल हो गया था. यदि कोई व्यक्ति किसी भी विषय में असफल हो जाता है तो उसे माता-पिता और दोस्तों के बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आप सोच सकते हैं कि यह सब कुछ का अंत है, लेकिन असफलता एक बाधा के रूप में आती है.

इसरो चेयरमैन ने कहा कि जीवन में आगे चलकर असफलता को भुला दिया जाता है. छात्रों को असफलता को एक सीढ़ी के रूप में उपयोग करना चाहिए. मैंने भी रॉकेट और उपग्रह बनाते समय गलतियां की हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि गलतियों को ईमानदारी से स्वीकार करें और सोचे कि सफलता प्राप्त करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है. डॉ. सोमनाथ ने कहा कि छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स 'युविका' शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम का विवरण इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है.

इस अवसर पर उन्होंने 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. कट्टा नरसिम्हा रेड्डी, रजिस्ट्रार मंजूर हुसैन, रेक्टर गोवर्धन, शिक्षक, छात्र और अन्य लोगों ने भाग लिया. राज्यपाल और कुलाधिपति डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन ने छात्रों को भेजे एक वीडियो संदेश कहा कि जेएनटीयू देश का सर्वश्रेष्ठ तकनीकी विश्वविद्यालय है.

ये भी पढ़ें - भारत खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए अगले पांच साल में 50 उपग्रह भेजेगा: इसरो प्रमुख

हैदराबाद: इसरो अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ ने कहा है कि शिक्षा, चिकित्सा और फार्मा के क्षेत्र में हो रहे शोध और भविष्य में आने वाले नवीन आविष्कारों से मनुष्य की जीवन अवधि बढ़ने की संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि हम क्षतिग्रस्त अंगों और मृत कोशिकाओं को बदलकर 200 या 300 साल तक जीवित रह सकेंगे. उन्होंने कहा कि आजादी के समय मनुष्य की औसत जीवन आयु 35 वर्ष थी जो अब बढ़कर 70 वर्ष हो गई है.

डॉ. सोमनाथ को शुक्रवार को जेएनटीयू हैदराबाद के 12वें दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. सोमनाथ ने बताया कि कैसे अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर करने के लिए इसरो द्वारा कम लागत पर अनुसंधान गतिविधियां की जा रही हैं. इस साल हम पीएसएलवी और जीएसएलवी को ग्रहों की कक्षाओं में भेज रहे हैं. इनके माध्यम से यह ठीक-ठीक पता चलने की संभावना रहती है कि कब और कहां तूफ़ान और भारी बारिश आएगी. हम इसी साल इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन गगनयान पूरा कर लेंगे.

उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रतिबंधित छोटे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके कुएं के मेंढकों की तरह नहीं रहना चाहिए. इसके बजाय उन्हें अपनी दृष्टि का विस्तार करना चाहिए और महसूस करना चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अध्ययन और अनुसंधान को कैसे प्रभावित कर रही है. सोमनाथ ने कहा कि यदि रोबोटिक प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले छात्र अत्याधुनिक रोबोट बनाते हैं तो इसरो की ओर से मंगल और शुक्र पर भविष्य के प्रयोगों में उनका उपयोग किया जाएगा. छात्रों से विफलता से नहीं डरने का आग्रह करते हुए सोमनाथ ने कहा कि हर किसी को इससे उबरकर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मैं छात्र था तो मैं भी एक या दो परीक्षाओं में असफल हो गया था. यदि कोई व्यक्ति किसी भी विषय में असफल हो जाता है तो उसे माता-पिता और दोस्तों के बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आप सोच सकते हैं कि यह सब कुछ का अंत है, लेकिन असफलता एक बाधा के रूप में आती है.

इसरो चेयरमैन ने कहा कि जीवन में आगे चलकर असफलता को भुला दिया जाता है. छात्रों को असफलता को एक सीढ़ी के रूप में उपयोग करना चाहिए. मैंने भी रॉकेट और उपग्रह बनाते समय गलतियां की हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि गलतियों को ईमानदारी से स्वीकार करें और सोचे कि सफलता प्राप्त करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है. डॉ. सोमनाथ ने कहा कि छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स 'युविका' शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम का विवरण इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है.

इस अवसर पर उन्होंने 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. कट्टा नरसिम्हा रेड्डी, रजिस्ट्रार मंजूर हुसैन, रेक्टर गोवर्धन, शिक्षक, छात्र और अन्य लोगों ने भाग लिया. राज्यपाल और कुलाधिपति डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन ने छात्रों को भेजे एक वीडियो संदेश कहा कि जेएनटीयू देश का सर्वश्रेष्ठ तकनीकी विश्वविद्यालय है.

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