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अनुच्छेद 370 के फैसले पर चीन का विवादित बयान, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी जाएगी

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चीन ने विवादित बयान दिया है. कहा, 'भारत द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी जाएगी.'China said UT Ladakh not recognized

China said- Union Territory Ladakh will not be recognized
अनुच्छेद 370 के फैसले पर चीन ने कहा- केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी जाएगी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 14, 2023, 2:23 PM IST

नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक और प्रतिक्रिया में चीन ने कहा कि उसने तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को कभी मान्यता नहीं दी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन ने कभी भी भारत द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है. भारत का घरेलू न्यायिक फैसला इस तथ्य को नहीं बदलता है कि चीन-भारत सीमा का पश्चिमी खंड हमेशा चीन का रहा है. माओ निंग ने बीजिंग में बुधवार को फैसले पर एक सवाल के जवाब में कहा.

इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवाद है. इसे यूएनएससी प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से उचित रूप से संबोधित किया जाना चाहिए.'

प्रवक्ता ने कहा, 'प्रासंगिक पक्षों को बातचीत और परामर्श के माध्यम से विवाद को सुलझाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने की जरूरत है.' भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार( 11 दिसंबर) को सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.

इस बीच पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने फैसले की आलोचना की और कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय कानून 5 अगस्त 2019 के भारत के एकतरफा और अवैध कार्यों को मान्यता नहीं देता है. न्यायिक समर्थन का कोई कानूनी मूल्य नहीं है.' इससे पहले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई थी.

विदेश मंत्रालय ने ओआईसी के बयान को खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'ओआईसी मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के एक बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर ऐसा करता है. इससे उसकी कार्रवाई और भी संदिग्ध हो जाती है. हालाँकि, उसने चीन की टिप्पणियों पर कोई प्रतक्रिया नहीं दी.

ये भी पढ़ें- अनुच्छेद 370 पर फैसले को लेकर अलर्ट रहे सुरक्षा बल, लोगों को जश्न मनाने से रोका

नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक और प्रतिक्रिया में चीन ने कहा कि उसने तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को कभी मान्यता नहीं दी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन ने कभी भी भारत द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है. भारत का घरेलू न्यायिक फैसला इस तथ्य को नहीं बदलता है कि चीन-भारत सीमा का पश्चिमी खंड हमेशा चीन का रहा है. माओ निंग ने बीजिंग में बुधवार को फैसले पर एक सवाल के जवाब में कहा.

इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवाद है. इसे यूएनएससी प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से उचित रूप से संबोधित किया जाना चाहिए.'

प्रवक्ता ने कहा, 'प्रासंगिक पक्षों को बातचीत और परामर्श के माध्यम से विवाद को सुलझाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने की जरूरत है.' भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार( 11 दिसंबर) को सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.

इस बीच पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने फैसले की आलोचना की और कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय कानून 5 अगस्त 2019 के भारत के एकतरफा और अवैध कार्यों को मान्यता नहीं देता है. न्यायिक समर्थन का कोई कानूनी मूल्य नहीं है.' इससे पहले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई थी.

विदेश मंत्रालय ने ओआईसी के बयान को खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'ओआईसी मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के एक बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर ऐसा करता है. इससे उसकी कार्रवाई और भी संदिग्ध हो जाती है. हालाँकि, उसने चीन की टिप्पणियों पर कोई प्रतक्रिया नहीं दी.

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