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कोविड टीका लगने के बाद ओमीक्रोन संक्रमित लोगों का इम्यून बूस्टर डोज से बेहतर : रिसर्च

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Published : May 16, 2022, 12:22 PM IST

Updated : May 16, 2022, 12:59 PM IST

प्रारंभिक शोध से पता चला है कि जिन लोगों को टीका लगा और फिर ओमीक्रोन से संक्रमित हुए वे कोरोनो वायरस वेरिएंट की एक विस्तृत श्रृंखला को दूर करने में सक्षम हैं.

ओमीक्रोन संक्रमित
ओमीक्रोन संक्रमित

नई दिल्ली : हाल के दो अध्ययनों में पता चला है कि ओमीक्रोन संक्रमण ने टीकाकरण वाले रोगियों में बूस्टर शॉट की तुलना में बेहतर इम्यून रेस्पांस दिया. COVID-19 वैक्सीन निर्माता BioNTech SE और वाशिंगटन विश्वविद्यालय की टीमों ने हाल के सप्ताहों में प्रीप्रिंट सर्वर बायोरेक्सिव पर परिणाम पोस्ट किए. उनके शोधों के रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि टीका लगाए लाखों लोग जिन्हें ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. वे शायद जल्द ही किसी अन्य प्रकार से गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे. हालांकि अभी शोध में मिले परिणामों की बडे़ पैमाने पर पुष्टि होनी बाकी है.

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में इम्यूनोलॉजी संस्थान के प्रोफेसर और निदेशक जॉन वेरी ने कहा, "हमें अनिवार्य रूप से वैक्सीन की एक और खुराक के बराबर संक्रमण से बचाव के बारे में सोचना चाहिए. जो शोध में शामिल नहीं थे, लेकिन बायोएनटेक अध्ययन ने इसकी समीक्षा की. इसका मतलब यह है कि अगर किसी को हाल ही में कोविड हुआ था, तो वे एक और बूस्टर शॉट लेने से पहले इंतजार कर सकते थे. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक प्रमुख वैज्ञानिक एलेक्जेंड्रा वॉल्स ने लोगों को आगाह किया कि वे परिणामों के जवाब में संक्रमण की तलाश न करें.

आंकड़े आ रहे हैं क्योंकि ओमीक्रॉन का संक्रमण दुनिया भर में जारी है, विशेष रूप से चीन में जहां शंघाई में छह सप्ताह का लॉकडाउन लगा था. एक शोधकर्ता ने कहा कि नए वेरिएंट की लहरें अधिक तेज है क्योंकि ओमीक्रोन काफी संक्रामक है. जैसे ही लोग कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हैं तो इसको म्यूटेट करने का अवसर मिलता है. हालांकि रेगुलेटर इस बात का भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या ओमीक्रोन को नियंत्रित करने के लिए कोविड टीकों को अपग्रेड किया जाना चाहिए.

बायोएनटेक की टीम ने तर्क दिया कि आंकड़े बताते हैं कि लोगों को एक ओमीक्रोन-अनुकूलित बूस्टर शॉट मूल टीकों के साथ अधिक फायदेमंद हो सकती है. विर बायोटेक्नोलॉजी इंक के साथ किए गए शोध में उन लोगों के ब्लड सैंपलों को देखा जो संक्रमित थे. जिसको चार भाग में बांटा था. पहला- टीके की दो या तीन खुराकें लगी थीं. दूसरा- दो या तीन खुराक के बाद डेल्टा और ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. तीसरा- जिन्हें टीका लगा था परंतु कभी कोविड का संक्रमण नहीं हुआ था. चौथा- ओमीक्रोन से संक्रमित था परंतु कभी टीका नहीं लगाया था.

नाक की सुरक्षा : अध्ययन का एक हिस्सा एंटीबॉडी पर आधारित था. सुरक्षात्मक प्रोटीन अटैक को पहचानने और बेअसर करने के लिए तैयार किए थे. इसमें पाया कि जिन्हें टीका लगाने के बाद ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. उनमें मिले एंटीबॉडी अन्य सैंपलों से बेहतर थे. वे बहुत अलग डेल्टा संस्करण को पहचानने और उस पर हमला करने में भी सक्षम थे.

शोध का नेतृत्व कर रहे वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर डेविड वेस्लर ने कहा, "यह सावित करता है कि हम उस प्वाइंट पर हैं जहां हम लोगों को एक बुस्टर शॉट लगाने पर विचार कर सकते हैं." वैज्ञानिक इन रोगियों के नाक के म्यूकस में एंटीबॉडी की पहचान करने में भी सक्षम थे. जो शरीर में प्रवेश करते ही वायरस को बेअसर करने में सक्षम थे.

वाशिंगटन और बायोएनटेक दोनों अध्ययनों ने प्रतिरक्षा प्रणाली के दौरान एस बी-कोशिका के अंश को भी देखा. एक प्रकार की व्हाइट ब्ल़ड सेल्स जो एक रोग को पहचानने पर ताजा एंटीबॉडी बनाना शुरू कर सकती हैं. बायोएनटेक टीम ने पाया कि जिन लोगों को ओमीक्रोन ब्रेकथ्रू संक्रमण हुआ था, उन्हें इन उपयोगी सेल से उन लोगों की तुलना में व्यापक प्रतिक्रिया मिली, जिनके पास बूस्टर शॉट था, लेकिन कोई संक्रमण नहीं था.

हालांकि वाशिंगटन की टीम ने यह भी पाया कि ओमीक्रोन संक्रमित और बिना वैक्सीन वाले सैंपलों में व्यापक प्रतिक्रिया गायब थी. हालांकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य के म्यूटेशन ओमीक्रोन की तरह ही हल्के होंगे. साथ ही महामारी के भविष्य की भविष्यवाणी करना भी कठिन है क्योंकि यह न केवल आबादी में प्रतिरक्षा पर निर्भर करता है, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि वायरस कितना म्यूटेट करता है.

अध्ययनों का विश्लेषण करने वाले अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि टीकाकरण और संक्रमण के माध्यम से विभिन्न वायरस रूपों के संपर्क से प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए साक्ष्य शरीर के साथ मेल खाते हैं. वैज्ञानिकों को उन लोगों में भी वृहद इम्युन रेसपांस मिला जिन्हें टीका लगने के बाद डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण हुआ था.द रॉकफेलर विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट थियोडोरा हट्ज़ियोआनो ने कहा कि यह इस बात का एक संकेत है कि एक मॉडर्न बूस्टर बेहतर विचार हो सकता है.

यह भी पढ़ें-ओमिक्रॉन के दो-तिहाई मामले दोबारा संक्रमण के हैं : अध्ययन

नई दिल्ली : हाल के दो अध्ययनों में पता चला है कि ओमीक्रोन संक्रमण ने टीकाकरण वाले रोगियों में बूस्टर शॉट की तुलना में बेहतर इम्यून रेस्पांस दिया. COVID-19 वैक्सीन निर्माता BioNTech SE और वाशिंगटन विश्वविद्यालय की टीमों ने हाल के सप्ताहों में प्रीप्रिंट सर्वर बायोरेक्सिव पर परिणाम पोस्ट किए. उनके शोधों के रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि टीका लगाए लाखों लोग जिन्हें ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. वे शायद जल्द ही किसी अन्य प्रकार से गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे. हालांकि अभी शोध में मिले परिणामों की बडे़ पैमाने पर पुष्टि होनी बाकी है.

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में इम्यूनोलॉजी संस्थान के प्रोफेसर और निदेशक जॉन वेरी ने कहा, "हमें अनिवार्य रूप से वैक्सीन की एक और खुराक के बराबर संक्रमण से बचाव के बारे में सोचना चाहिए. जो शोध में शामिल नहीं थे, लेकिन बायोएनटेक अध्ययन ने इसकी समीक्षा की. इसका मतलब यह है कि अगर किसी को हाल ही में कोविड हुआ था, तो वे एक और बूस्टर शॉट लेने से पहले इंतजार कर सकते थे. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक प्रमुख वैज्ञानिक एलेक्जेंड्रा वॉल्स ने लोगों को आगाह किया कि वे परिणामों के जवाब में संक्रमण की तलाश न करें.

आंकड़े आ रहे हैं क्योंकि ओमीक्रॉन का संक्रमण दुनिया भर में जारी है, विशेष रूप से चीन में जहां शंघाई में छह सप्ताह का लॉकडाउन लगा था. एक शोधकर्ता ने कहा कि नए वेरिएंट की लहरें अधिक तेज है क्योंकि ओमीक्रोन काफी संक्रामक है. जैसे ही लोग कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हैं तो इसको म्यूटेट करने का अवसर मिलता है. हालांकि रेगुलेटर इस बात का भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या ओमीक्रोन को नियंत्रित करने के लिए कोविड टीकों को अपग्रेड किया जाना चाहिए.

बायोएनटेक की टीम ने तर्क दिया कि आंकड़े बताते हैं कि लोगों को एक ओमीक्रोन-अनुकूलित बूस्टर शॉट मूल टीकों के साथ अधिक फायदेमंद हो सकती है. विर बायोटेक्नोलॉजी इंक के साथ किए गए शोध में उन लोगों के ब्लड सैंपलों को देखा जो संक्रमित थे. जिसको चार भाग में बांटा था. पहला- टीके की दो या तीन खुराकें लगी थीं. दूसरा- दो या तीन खुराक के बाद डेल्टा और ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. तीसरा- जिन्हें टीका लगा था परंतु कभी कोविड का संक्रमण नहीं हुआ था. चौथा- ओमीक्रोन से संक्रमित था परंतु कभी टीका नहीं लगाया था.

नाक की सुरक्षा : अध्ययन का एक हिस्सा एंटीबॉडी पर आधारित था. सुरक्षात्मक प्रोटीन अटैक को पहचानने और बेअसर करने के लिए तैयार किए थे. इसमें पाया कि जिन्हें टीका लगाने के बाद ओमीक्रोन का संक्रमण हुआ था. उनमें मिले एंटीबॉडी अन्य सैंपलों से बेहतर थे. वे बहुत अलग डेल्टा संस्करण को पहचानने और उस पर हमला करने में भी सक्षम थे.

शोध का नेतृत्व कर रहे वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर डेविड वेस्लर ने कहा, "यह सावित करता है कि हम उस प्वाइंट पर हैं जहां हम लोगों को एक बुस्टर शॉट लगाने पर विचार कर सकते हैं." वैज्ञानिक इन रोगियों के नाक के म्यूकस में एंटीबॉडी की पहचान करने में भी सक्षम थे. जो शरीर में प्रवेश करते ही वायरस को बेअसर करने में सक्षम थे.

वाशिंगटन और बायोएनटेक दोनों अध्ययनों ने प्रतिरक्षा प्रणाली के दौरान एस बी-कोशिका के अंश को भी देखा. एक प्रकार की व्हाइट ब्ल़ड सेल्स जो एक रोग को पहचानने पर ताजा एंटीबॉडी बनाना शुरू कर सकती हैं. बायोएनटेक टीम ने पाया कि जिन लोगों को ओमीक्रोन ब्रेकथ्रू संक्रमण हुआ था, उन्हें इन उपयोगी सेल से उन लोगों की तुलना में व्यापक प्रतिक्रिया मिली, जिनके पास बूस्टर शॉट था, लेकिन कोई संक्रमण नहीं था.

हालांकि वाशिंगटन की टीम ने यह भी पाया कि ओमीक्रोन संक्रमित और बिना वैक्सीन वाले सैंपलों में व्यापक प्रतिक्रिया गायब थी. हालांकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य के म्यूटेशन ओमीक्रोन की तरह ही हल्के होंगे. साथ ही महामारी के भविष्य की भविष्यवाणी करना भी कठिन है क्योंकि यह न केवल आबादी में प्रतिरक्षा पर निर्भर करता है, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि वायरस कितना म्यूटेट करता है.

अध्ययनों का विश्लेषण करने वाले अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि टीकाकरण और संक्रमण के माध्यम से विभिन्न वायरस रूपों के संपर्क से प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए साक्ष्य शरीर के साथ मेल खाते हैं. वैज्ञानिकों को उन लोगों में भी वृहद इम्युन रेसपांस मिला जिन्हें टीका लगने के बाद डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण हुआ था.द रॉकफेलर विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट थियोडोरा हट्ज़ियोआनो ने कहा कि यह इस बात का एक संकेत है कि एक मॉडर्न बूस्टर बेहतर विचार हो सकता है.

यह भी पढ़ें-ओमिक्रॉन के दो-तिहाई मामले दोबारा संक्रमण के हैं : अध्ययन

Last Updated : May 16, 2022, 12:59 PM IST

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