नवरात्रि पांचवा दिन : संपूर्ण जगत में शारदीय नवरात्रि का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. जैसा कि हम सब जानते हैं नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. भगवान कार्तिकेय अर्थात स्कंद की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा आराधना करने से मां दुर्गा के साथ ही भगवान स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय का भी आशीर्वाद स्वत: ही प्राप्त हो जाता है.
![skandamata goddess . goddess skandamata navratri day 5 navratri 5th day 19 october](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/19-10-2023/19803841_7653719o.jpg)
यदि माता के स्वरूप की बात करें तो वह मां स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं तथा उनके गोद में भगवान स्कंद विराजमान रहते हैं. इसके साथ ही माता का आसन कमल का फूल है इसलिए उनकी पूजा कमल के फूल, लाल गुलाब और लाल गुड़हल के फूलों से की जाती है. उनकी पूजा में लाल गुलाब के पुष्पों की माला भी उन्हें अर्पित करें साथ ही माता की पूजा में भोग के रूप में केले का प्रसाद अवश्य ही अर्पित करें.
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मिलता है संतान सुख व साहस, होता है शत्रुओं का नाश
जिन लोगों को संतान का सुख नहीं मिल पा रहा है अथवा नहीं संतान है उन्हें मां स्कंदमाता की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए. भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और उनकी माता स्कंदमाता है इसलिए उनकी पूजा-आराधना से शत्रुओं का नाश होता है तथा मन में धैर्य एवं साहस का विकास होता है. माता पूजा की आराधना से 16 कलाओं और 16 विभूतियों का जागरण होता है. माता भगवान सूर्य की अधिष्ठात्री देवी है, उनकी कृपा से विशुद्धि चक्र का जागरण होता है.