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ओडिशा : स्नान उत्सव से पहले पुरी पहुंचा श्रद्धालुओं का हुजूम

कोरोना के कारण दो साल से बंद स्नान उत्सव के साक्षी बनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूरी पहुंचे हैं. उनका उत्साह देखते ही बनता है क्योंकि वे नाचते गाते मंदिर परिसर की ओर बढ़ रहे हैं.

स्नान उत्सव
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Published : Jun 14, 2022, 6:59 AM IST

Updated : Jun 14, 2022, 7:26 AM IST

पुरी (ओडिशा) : देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों तीर्थयात्री 'स्नाना उत्सव' के लिए पुरी पहुंचे. कोरोना के कारण तकरीबन दो साल से भक्तों को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं थी. परंतु इस साल यानी 2022 में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ से मंदिर में स्नान मंडप पर सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करने की अनुमति है. इसलिए देश भर से श्रद्धालु देवताओं- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के औपचारिक स्नान अनुष्ठान 'स्नाना उत्सव' के लिए पहुंचे हैं.

भीड़ को देखते हुए यातायात प्रबंधन और सुरक्षा के लिए प्रशासन द्वारा इलाके में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है. धार्मिक गीत गाकर और मंत्रों का जाप करते हुए भक्तों ने अधिक उत्साह दिखाया. कुछ उत्साही दर्शकों को भी नाचते हुए देखा गया. इस्कॉन के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के प्रकट होने के दिन को मनाने के लिए स्नान उत्सव भगवान जगन्नाथ का एक विशेष स्नान है जो ज्येष्ठ महीने (देवसन पूर्णिमा) की पूर्णिमा पर होता है.

कोरोना के कारण तकरीबन दो साल से भक्तों को इसका सुनहरा अवसर नहीं मिला था. परंतु इस साल यानी 2022 में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ से मंदिर में स्नान मंडप पर सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करने का अवसर मिलेगा. यह निर्णय पुरी के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब की अध्यक्षता में श्री जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया. अब भक्तों को स्नान मंडप पर नजदीक से दर्शन की अनुमति दी जाएगी. बता दें कि स्नान यात्रा (Snan Yatra) को देव स्नान पूर्णिमा (Snan Purnima) भी कहा जाता है जो इस वर्ष 14 जून को पड़ रही है. स्नान यात्रा (Puri Snan Yatra) का लाइव प्रसारण भी होगा. प्रबंध समिति के सदस्य दुर्गा दास महापात्र ने कहा कि भक्त भगवान के हाती बेशा (हाथी अत्रे) के पूरा होने के बाद स्नान बेदी पर तीन घंटे तक देवताओं के दर्शन कर सकते हैं. स्नान अनुष्ठान के दौरान देवताओं पर पवित्र जल के कम से कम 108 घड़े डाले जाएंगे.

स्नान यात्रा के लिए अनुष्ठान के अनुसार, देवताओं की पहंडी (जुलूस) सुबह 4 बजे शुरू होगी और सुबह 6 बजे तक समाप्त होगी. वहीं जला बीज की रस्म सुबह 9.30 से 11.30 बजे के बीच होगी. इसके अलावा चेरा पहाड़ा अनुष्ठान दोपहर 12.15 बजे जबकि हाती बेशा अनुष्ठान दोपहर 12.30 से 2.30 बजे के बीच होगा. बता दें कि कोरोना महामारी के मद्देनजर भक्तों को 2020 और 2021 में दो साल के लिए रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति नहीं थी. राज्य सरकार ने इस बार महामारी की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए भक्तों को उत्सव में भाग लेने की अनुमति देने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. बता दें कि साल 2022 जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई से शुरू हो रही है.

यह भी पढ़ें-रथयात्रा विशेष : जानिए भगवान कृष्ण के पूरे शरीर पर क्यों लगाते हैं चंदन का लेप

(एएनआई)

पुरी (ओडिशा) : देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों तीर्थयात्री 'स्नाना उत्सव' के लिए पुरी पहुंचे. कोरोना के कारण तकरीबन दो साल से भक्तों को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं थी. परंतु इस साल यानी 2022 में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ से मंदिर में स्नान मंडप पर सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करने की अनुमति है. इसलिए देश भर से श्रद्धालु देवताओं- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के औपचारिक स्नान अनुष्ठान 'स्नाना उत्सव' के लिए पहुंचे हैं.

भीड़ को देखते हुए यातायात प्रबंधन और सुरक्षा के लिए प्रशासन द्वारा इलाके में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है. धार्मिक गीत गाकर और मंत्रों का जाप करते हुए भक्तों ने अधिक उत्साह दिखाया. कुछ उत्साही दर्शकों को भी नाचते हुए देखा गया. इस्कॉन के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के प्रकट होने के दिन को मनाने के लिए स्नान उत्सव भगवान जगन्नाथ का एक विशेष स्नान है जो ज्येष्ठ महीने (देवसन पूर्णिमा) की पूर्णिमा पर होता है.

कोरोना के कारण तकरीबन दो साल से भक्तों को इसका सुनहरा अवसर नहीं मिला था. परंतु इस साल यानी 2022 में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के भक्तों को मंदिर के बाहर और अंदर दोनों तरफ से मंदिर में स्नान मंडप पर सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करने का अवसर मिलेगा. यह निर्णय पुरी के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब की अध्यक्षता में श्री जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया. अब भक्तों को स्नान मंडप पर नजदीक से दर्शन की अनुमति दी जाएगी. बता दें कि स्नान यात्रा (Snan Yatra) को देव स्नान पूर्णिमा (Snan Purnima) भी कहा जाता है जो इस वर्ष 14 जून को पड़ रही है. स्नान यात्रा (Puri Snan Yatra) का लाइव प्रसारण भी होगा. प्रबंध समिति के सदस्य दुर्गा दास महापात्र ने कहा कि भक्त भगवान के हाती बेशा (हाथी अत्रे) के पूरा होने के बाद स्नान बेदी पर तीन घंटे तक देवताओं के दर्शन कर सकते हैं. स्नान अनुष्ठान के दौरान देवताओं पर पवित्र जल के कम से कम 108 घड़े डाले जाएंगे.

स्नान यात्रा के लिए अनुष्ठान के अनुसार, देवताओं की पहंडी (जुलूस) सुबह 4 बजे शुरू होगी और सुबह 6 बजे तक समाप्त होगी. वहीं जला बीज की रस्म सुबह 9.30 से 11.30 बजे के बीच होगी. इसके अलावा चेरा पहाड़ा अनुष्ठान दोपहर 12.15 बजे जबकि हाती बेशा अनुष्ठान दोपहर 12.30 से 2.30 बजे के बीच होगा. बता दें कि कोरोना महामारी के मद्देनजर भक्तों को 2020 और 2021 में दो साल के लिए रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति नहीं थी. राज्य सरकार ने इस बार महामारी की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए भक्तों को उत्सव में भाग लेने की अनुमति देने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. बता दें कि साल 2022 जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई से शुरू हो रही है.

यह भी पढ़ें-रथयात्रा विशेष : जानिए भगवान कृष्ण के पूरे शरीर पर क्यों लगाते हैं चंदन का लेप

(एएनआई)

Last Updated : Jun 14, 2022, 7:26 AM IST
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