भुवनेश्वर : ओडिशा में लिंगानुपात (Sex Ratio in Odisha) बेहतर बनाने और कन्या भ्रूण के 'जीवन के अधिकार' की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने मुखबिर प्रोत्साहन योजना को व्यापक स्तर पर लागू करने के दिशानिर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, शालिनी पंडित ने कहा, "भ्रूण के लिंग का निर्धारण और लिंग चयन उपलब्ध तकनीक का दुरुपयोग है और लिंगानुपात में गिरावट के मुख्य कारणों में से एक है." स्वास्थ्य सचिव ने कहा, "जनता के बीच मौजूद सूत्रों से मिलने वाली जानकारी इसे रोकने में काफी मददगार साबित होगी. इसलिए, पूरे राज्य में पीसी और पीएनडीटी अधिनियम को गहन रूप से लागू करने के लिए जिला कलेक्टरों और प्रवर्तन अधिकारियों को सरल दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं."
दिशा-निर्देशों के अनुसार, अवैध लिंग निर्धारण (sex determination test) के बारे में मुखबिर से मिली जानकारी की पुष्टि होने के बाद तीन किस्तों में 25,000 रुपये नकद पुरस्कार दी जाएगी. सूचना देने वाले को सूचना की पुष्टि होने पर 10,000 रुपये, अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने और अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद 10,000 रुपये और अंत में अदालत में अभियुक्त के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर 5,000 रुपये दिए जाएंगे. पंडित ने यह भी कहा कि योजना में लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन को समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा, "जिला स्तर पर अलग से गोपनीय फाइल और शिकायत रजिस्टर होगा। लिंग निर्धारण से संबंधित सूचनाओं के समय पर प्रसारण के लिए जिले विश्वसनीय मुखबिर नेटवर्क भी स्थापित करेंगे."
पंडित ने दिशा-निर्देश के हवाले से कहा, "शिकायत के लिए एक फोन नंबर होगा और एक अधिकारी को इस उद्देश्य के लिए नामित किया जाएगा. सूचना और शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारी जिला टास्क फोर्स के सदस्यों की मदद से तथ्यान्वेषी दौरा करेंगे." आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि बाल लिंगानुपात लड़कियों के प्रतिकूल है. रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (2019 और 2021 के बीच आयोजित) ओडिशा में जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) 894 है. पंडित ने कहा, "इस संदर्भ में, यह अनुभव किया गया कि लोगों की जानकारी और समुदाय की भागीदारी प्रवर्तन को तेज करेगी और लिंग चयन की घिनौनी प्रथा पर अंकुश लगाएगी."
(पीटीआई-भाषा)