नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बीच विवादित हिस्से कोरापुट जिले में कोटिया ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर ओडिशा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बता दें कि आंध्र प्रदेश ने कोटिया ग्राम पंचायत के तीन गांवों में पंचायत चुनाव कराने का एलान किया था. इस घोषणा के ओडिशा सरकार ने विरोध किया है, क्योंकि कोरापुट और गजपति जिले को लेकर आंध्र और ओडिशा के बीच विवाद है.
आंध्र प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह चुनाव उन्हीं इलाकों में होने हैं, जिनको लेकर ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद है.
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष आज इस मामले का उल्लेख किया और अदालत को बताया कि ओडिशा ने 1968 में विवादित गांवों से संबंधित मुकदमा दायर किया था और 2006 में फैसला उसके पक्ष में दिया गया था और अब आंध्र राज्य निर्णय का उल्लंघन कर रहा है.
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश कुछ क्षेत्रों को बलपूर्वक निकाल रहा है, उन्होंने क्षेत्रों में चुनाव और इसकी एक बड़ी संवैधानिक समस्या की घोषणा की है.
उन्होंने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की और कल इसकी सूची मांगी, जिस पर अदालत ने सहमति व्यक्त की है.
ओडिशा सरकार के अनुसार, इसने 1968 में शीर्ष अदालत के समक्ष एक मुकदमा दायर किया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि आंध्र प्रदेश ओडिशा के क्षेत्र के साथ छेड़छाड़ कर रहा है. तब अदालत ने यथास्थिति का आदेश दिया था और बाद में 2006 में मुकदमा खारिज कर दिया गया था, लेकिन यथास्थिति बनी हुई थी.
लगभग 21 गांवों को कोटिया समूह कहा जाता है जो विवादित हैं.
अब इतने सालों तक आदेश की पवित्रता बनाए रखने के बाद, आंध्र पर कोटिया समूह से 3 गांवों में रोपिंग करने और उनके नाम बदलने का आरोप है. गबजईपदार गांव का नाम बदलकर गांजिबदरा, फट्टुसेनरी से पट्टुचेनूरु और फागुसेनरी से फगुलुचेनुरु कर दिया गया है.
हालांकि इस संबंध में अधिसूचना 05.03.2020 को जारी की गई थी.
ओडिशा ने आंध्र प्रदेश को नोटिस दिया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए और उन्हें अवमानना के लिए दंडित किया जाए.