नई दिल्ली: भारत-नगा शांति वार्ता पर दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक सोमवार को बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई. इस पर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-IM) ने गृह मंत्रालय की नगालैंड के पूर्व सीएम एससी जमीर के साथ घनिष्ठता को लेकर आलोचना की. साथ ही संगठन का दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नगालैंड लौट गया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुलाई गई इसलिए भी अहम थी, क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर केंद्र के वार्ताकार एके मिश्रा ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए भारत- नागा शांति वार्ता के सभी हितधारकों को दिल्ली बुलाया था. संगठन ने पूर्व सीएम व महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एससी जमीर पर गंदी राजनीति खेलने का आरोप लगाया. संगठन ने कहा कि कभी न खत्म होने वाली नगा राजनीतिक समस्या की जड़ 16 सूत्री समझौते में निहित है. संगठन का कहना है कि जमीर की वजह से नागाओं को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन दुख की बता है कि केंद्र सरकार भी उसी व्यक्ति से मार्गदर्शन मांग रही है.
बता दें कि 1960 में नागा पीपल्स कन्वेंशन (एनपीसी) और भारत सरकार के बीच 26 सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिससे 1963 में नागालैंड राज्य का गठन हुआ. साथ ही 16 सूत्री समझौते के 21 हस्ताक्षरकर्ताओं में से जमीर एकमात्र जीवित व्यक्ति हैं. नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-IM) ने कहा कि भारत-नागा के राजनीतिक इतिहास में 16 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और नगालैंड राज्य बनाया गया था. इस पर पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लंदन में एजेड फिजो से मिलने के बाद कमी महसूस की थी जिसको लेकर उन्होंने लोक सभा में एक बयान दिया था.
अंगामी ज़ापू फिज़ो एक नागा राष्ट्रवादी नेता थे और उनके निर्देशों के तहत नागा नेशनल काउंसिल (NNC) बनाया गया. पहले NNC की मांग ये थी कि नागा हिल्स भारत में रहें, लेकिन उन्हें स्वायत्ता दे दी जाए. NSCN-IM ने आगे कहा कि नेहरू के फ़िज़ो से मिलने के इरादे ने जमीर के लिए तत्काल घबराहट की प्रतिक्रिया पैदा कर दी थी जो भारत सरकार में तत्कालीन संसदीय सचिव थे.
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संगठन ने कहा कि इसी क्रम में 22 मार्च 1963 को नगालैंड के पहले मुख्यमंत्री शीलू आओ को पत्र लिखकर जमीर ने कहा था कि यदि फिजो के साथ उनकी (नेहरू की) मुलाकात हो जाती है, तो वह (जमीर) घर वापस चले जाएंगे. संगठन ने कहा, आखिरकार, शीलू आओ और नगालैंड में उनके सहयोगी जमीर के धमकी भरे पत्र के अनुरूप हो गए. इस वजह से नागालैंड में शांति कायम नहीं हो सकी.
एनएससीएन-आईएम ने पहले आरोप लगाया था कि जमीर ने 2015 के समझौते के प्रारूप को भी कमजोर किया और अपनी इच्छा के अनुरूप विभिन्न रूपों में इसकी गलत व्याख्या की. संगठन ने कहा कि भारत सरकार इतिहास से भी सीखने के लिए तैयार क्यों नहीं है. बता दें कि भारत-नागा शांति वार्ता की वर्तमान स्थिति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में जमीर के साथ लंबी चर्चा की थी.