नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने स्कूली बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को और बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अब 'पीएम पोषण योजना' (PM Poshan Yojana) में शहद को शामिल करने की पहल की है.
शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की संयुक्त सचिव प्राची पांडे ने सभी राज्यों के प्रधान सचिवों (शिक्षा) को छह मार्च को पत्र लिखकर यह आग्रह किया है. संबंधित पत्र में कहा गया है, 'शहद की पोषण संबंधी गुणवत्ता एवं अन्य फायदों पर विचार करते हुए आपको (राज्यों) पीएम पोषण योजना के तहत खाद्य सामग्री में शहद को शामिल करने का सुझाव दिया जाता है.'
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की संयुक्त सचिव के पत्र में कहा गया है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक फरवरी 2023 को पत्र लिखकर यह आग्रह किया था कि मध्याह्न भोजन योजना में शहद को शामिल किया जाए ताकि मधुमक्खी पालन उद्योग को समर्थन मिले और देश में शहद की खपत बढ़े.
इससे पहले, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने एक फरवरी 2023 को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि मधुमक्खी पालन से बागवानी और कृषि फसलों का उत्पादन बढ़ने के साथ ही इससे जुड़े लोगों की आय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों, किसानों के लिए आजीविका के साधन पैदा करने में भी मदद मिलती है.
लिखी ने पत्र में कहा था कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) आत्मनिर्भर भारत के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) को लागू कर रहा है.
पत्र में शिक्षा मंत्रालय से उन्होंने आग्रह किया कि, मधुमक्खी पालन उद्योग को समर्थन देने और देश में शहद की खपत को बढ़ाने के लिए आपसे शहद को मध्याह्न भोजन योजना एवं मानव संसाधन विकास विभाग की अन्य योजनाओं में शामिल करने का आग्रह किया जाता है. वहीं, कृषि मंत्रालय ने कहा कि शहद से बच्चों का आहार पोषक बनेगा और कुपोषण की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पिछले दिनों लोकसभा में सप्तगिरि उलाका के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि मिशन पोषण के निष्पादन की निगरानी करने वाले सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) ऐप 'पोषण ट्रैकर' के अनुसार, फरवरी में करीब 5.6 करोड़ बच्चों में से 7.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषित (मध्यम एवं गंभीर) पाए गए.
जानिए योजना के बारे में : शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की साझेदारी में लागू की जाने वाली केंद्र प्रायोजित योजना है. इसमें बाल बाटिका सहित कक्षा 1-8 तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 12.21 करोड़ बच्चे शामिल हैं.
इसके तहत प्राथमिक स्तर पर खाद्यान्न में चावल/गेहूं/मोटा अनाज 100 ग्राम, दाल 20 ग्राम, सब्जियां 50 ग्राम, तेल एवं वसा 5 ग्राम और नमक, मसाले आवश्यक्तानुसार देने का प्रावधान है.वहीं, उच्च प्राथमिक स्तर पर खाद्यान्न में चावल/गेहूं/मोटा अनाज 150 ग्राम, दाल 30 ग्राम, सब्जियां 75 ग्राम, तेल एवं वसा 7.5 ग्राम तथा नमक, मसाले आवश्यक्तानुसार देने का प्रावधान किया गया है.
लोकसभा में हाल ही में ए एम आरिफ के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया था कि पीएम पोषण योजना (पूर्ववर्ती मध्याह्न भोजन योजना) के तहत केंद्र सरकार ने 2022 में मौजूद सामग्री लागत में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि करके उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर सामग्री लागत में संशोधन किया है.
प्रधान ने बताया कि बाल बाटिका और प्राथमिक कक्षाओं के साथ साथ उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए प्रतिदिन प्रति छात्र संशोधित सामग्री लागत 1 अक्टूबर 2022 से 4.97 रुपया और 7.45 रुपये की पूर्व लागत के स्थान पर क्रमश: 5.45 रुपया और 8.17 रुपया की गई है. सामग्री लागत में सब्जियों, दालों, तेल, मसालों और ईंधन की लागत शामिल है.
(पीटीआई-भाषा)