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नोवावैक्स कोविड वैक्सीन को मंजूरी मिलने वाली है - लेकिन इसका क्या असर होगा?

नोवावैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, और इसलिए मॉडर्न और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाए गए वायरल-वेक्टर टीके और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाए गए निष्क्रिय-वायरस टीके से अलग है. प्रोटीन सबयूनिट टीकों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा वही होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है.

नोवावैक्स
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Published : Nov 19, 2021, 12:54 PM IST

साउथम्प्टन (यूके) : कोविड-19 महामारी पिछले दो साल से हमारे बीच है और आने वाले वर्षों में भी इसकी मौजूदगी शायद बनी रहेगी. कोविड के इलाज के लिए नई दवाएं तैयार होने के उत्साह के बावजूद, इस बात में दो राय नहीं कि यह अभी भी टीके हैं, जो प्रत्येक देश को महामारी से बाहर निकालने में मदद करेंगे. लोगों में कोविड का गंभीर रूप विकसित होने से रोकने के लिए टीकाकरण एक अत्यधिक प्रभावी तरीका साबित हुआ है. लंबी अवधि की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को टीके दिए जा सकते हैं, लेकिन अन्य उपचार, जैसे कि एंटीवायरल ड्रग्स के मामले में ऐसा नहीं कर सकते. टीके संक्रमित होने और वायरस के फैलने के जोखिम को भी कम करते हैं. कई अलग-अलग टीके अब विश्व स्तर पर उपलब्ध हैं, जिनकी अरबों खुराकें दी जा चुकी हैं.

हालांकि, उन्हें असमान रूप से खरीदा गया है, अमीर देशों ने वैक्सीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. यही वजह है कि केवल आधी दुनिया को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक खुराक ही मिली है. ऐसे में यह अच्छा है कि कुछ अन्य वैक्सीन हैं-जैसे कि नोवावैक्स, जिनके आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है.

कैसे काम करता है यह टीका

नोवावैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, और इसलिए मॉडर्न और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाए गए वायरल-वेक्टर टीके और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाए गए निष्क्रिय-वायरस टीके से अलग है.

प्रोटीन सबयूनिट टीकों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा वही होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है. जब भविष्य में वास्तविक वायरस का सामना होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बचाव होते हैं जो वायरस के इन बाहरी हिस्सों पर हमला करने और इसे जल्दी से नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं.

स्पाइक प्रोटीन-अपने आप में हानिरहित, कोविड संक्रमण पैदा करने में असमर्थ होते हैं. यह कीट कोशिकाओं के भीतर, पेचीदा रूप से बनते हैं. फिर प्रोटीन को शुद्ध किया जाता है और एक सहायक घटक में जोड़ा जाता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है. इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सहायक घटक को एक पेड़ के अर्क से बनाया गया है.

यह सब यूनिट दृष्टिकोण नया नहीं है. पेपिलोमावायरस और हेपेटाइटिस बी के लिए तैयार किए गए टीमों में भी इसी प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है. दोनों सुरक्षित और प्रभावी हैं.

नोवावैक्स कोविड वैक्सीन भी ऐसा लगता है कि अच्छा प्रदर्शन करता है. चरण 3 के परीक्षणों में (मनुष्यों में परीक्षण का अंतिम चरण) यह लक्षणों वाला कोविड विकसित करने के खिलाफ 90 प्रतिशत सुरक्षात्मक था, जिसमें टीका प्राप्त करने वालों में बीमारी का कोई गंभीर मामला दर्ज नहीं किया गया था (और इस प्रकार, संक्षेप में, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के खिलाफ सौ प्रतिशत सुरक्षा देखी गई थी). यदि इसे फाइजर और मॉडर्न टीकों से बेहतर नहीं भी कहा जाए तो इसकी सुरक्षा प्रोफ़ाइल कम से कम तुलनीय प्रतीत होती है.

इन प्रकाशित विश्लेषणों ने वैक्सीन को अल्फा और बीटा वेरिएंट के खिलाफ खड़ा कर दिया, लेकिन डेल्टा के खिलाफ नहीं. हालांकि, बूस्टर के रूप में नोवावैक्स के उपयोग की जांच करने वाले एक परीक्षण के संबंध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह डेल्टा के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न करने में अत्यधिक प्रभावी है.

इसका क्या असर होगा?

नोवावैक्स का टीका एक बहुत ही रोमांचक उत्पाद की तरह दिखता है, लेकिन इसका भविष्य दुनिया के कुछ प्रमुख नियामकों द्वारा इसे अधिकृत होने पर निर्भर करता है. इसे इंडोनेशिया और फिलीपींस में आपातकालीन उपयोग अनुमति प्राप्त हुई, और यूके, यूरोपीय संघ के नियामक, कनाडा और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से नियामक अनुमोदन के लिए सबमिशन की औपचारिकतओं को पूरा कर लिया है, जो कम आय वाले देशों के लिए सिफारिशें देता है. न्यूजीलैंड और अमेरिका सहित अन्य देशों में भी सबमिशन की औपचारिकताएं जल्द पूरी होने की उम्मीद है.

फिलहाल, अधिकांश अमीर देशों के पास मौजूदा टीकों का पर्याप्त भंडार है, जिसका अर्थ है कि वह तत्काल टीकाकरण और बूस्टर की मांग को पूरा कर सकते हैं. इन देशों में आगे की खुराक की लंबी अवधि की आवश्यकता अनिश्चित है.

हालांकि, अगर टीका अमीर देशों में उपलब्ध हो जाता है, तो यह टीका उन लोगों तक पहुंचने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, जो हिचकिचाहट के कारण अभी टीका नहीं लगवा रहे हैं. कुछ लोग हैं जिन्होंने सुरक्षा चिंताओं के कारण नए विकसित एमआरएनए और वायरल-वेक्टर उत्पादों से परहेज किया है, उन्होंने कहा है कि वे नोवावैक्स की तरह एक टीका लेंगे जो कि अधिक पारंपरिक पद्धति पर आधारित है.

पढ़ें : नोवावैक्स ने WHO के साथ कोविड टीके के आपातकालीन उपयोग की प्रक्रिया पूरी की

लेकिन अगले एक या दो साल में नोवावैक्स का सबसे उपयुक्त उपयोग कोविड वैक्सीन की उपलब्धता की मौजूदा असमानता को कम करने में मदद करना होगा. उप-सहारा अफ्रीका की केवल छह प्रतिशत आबादी को किसी भी कोविड वैक्सीन की दो खुराक मिली है. कम आय वाले देशों में, 5% से कम को मात्र एक खुराक ही मिली है.

नोवावैक्स वैक्सीन को भी भंडारण के लिए फ्रीज करने के बजाय केवल रेफ्रिजरेट करने की आवश्यकता होती है, जिससे यह कम आय वाले देशों के लिए एक आकर्षक उत्पाद बन जाता है. फिर भी इन देशों तक पहुंचने के लिए इसे वैश्विक वैक्सीन-साझाकरण योजना, कोवैक्स के माध्यम से वितरित करने की आवश्यकता होगी, और उससे भी पहले इसे डब्ल्यूएचओ से अधिकृत वैक्सीन के रूप में मान्यता मिलना जरूरी है.

वैसे इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि अमीर देश अधिकांश खुराक खरीद लेंगे, चाहे उनकी आवश्यकता कुछ भी हो. उदाहरण के लिए, यूके के पास छह करोड़ खुराक हैं, और उसने 10 करोड़ और 20 करोड़ टीकों के लिए क्रमश: अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ सौदा किया है. यह संभावना नहीं है कि इन देशों को इतनी मात्रा में वैक्सीन की वास्तविक आवश्यकता होगी. ऐसे में उपलब्ध आपूर्ति के वैश्विक बंटवारे में सुधार करना होगा.

इसके अलावा एक और मुद्दा भी है. दरअसल ऐसा कहा जा रहा है कि दवा बनाने वाली कंपनी की निर्माण प्रक्रिया प्रश्नों के घेरे में है, जिससे बड़ी मात्रा में वैक्सीन का उत्पादन करने की क्षमता के बारे में संदेह पैदा हो गया है. यह माना जाता है कि नियामक अनुमोदन के लिए इसके प्रस्तुतीकरण में देरी का मुख्य कारण यही है. इसने 2021 की पहली छमाही में मान्यता के लिए प्रस्ताव दाखिल करने की उम्मीद की थी.

भारत, हालांकि, यहां बचाव के लिए आ सकता है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया नोवावैक्स की खुराक बनाएगा जो इंडोनेशिया को आपूर्ति की जाएगी, और इसने उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त अन्य टीकों का उत्पादन पहले ही बढ़ा दिया है - विशेष रूप से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन. संस्थान कथित तौर पर हर महीने कोविड टीकों की 24 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रहा है.

आने वाले समय में कोविड के प्रकोप को कम करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षित और प्रभावी टीके होना महत्वपूर्ण होगा. नोवावैक्स एक बहुत ही उपयोगी उत्पाद की तरह दिखता है, लेकिन वैश्विक दृष्टिकोण से, डब्ल्यूएचओ द्वारा इसकी मंजूरी और आपूर्ति उपलब्ध होने पर इससे बीमारी की रोकथाम में मदद मिल सकती है. अन्य देश डब्ल्यूएचओ के निर्णय लेने और इंडोनेशिया और फिलीपींस में टीके के प्रदर्शन पर बड़ी जिज्ञासा के साथ नजर टिकाए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

साउथम्प्टन (यूके) : कोविड-19 महामारी पिछले दो साल से हमारे बीच है और आने वाले वर्षों में भी इसकी मौजूदगी शायद बनी रहेगी. कोविड के इलाज के लिए नई दवाएं तैयार होने के उत्साह के बावजूद, इस बात में दो राय नहीं कि यह अभी भी टीके हैं, जो प्रत्येक देश को महामारी से बाहर निकालने में मदद करेंगे. लोगों में कोविड का गंभीर रूप विकसित होने से रोकने के लिए टीकाकरण एक अत्यधिक प्रभावी तरीका साबित हुआ है. लंबी अवधि की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को टीके दिए जा सकते हैं, लेकिन अन्य उपचार, जैसे कि एंटीवायरल ड्रग्स के मामले में ऐसा नहीं कर सकते. टीके संक्रमित होने और वायरस के फैलने के जोखिम को भी कम करते हैं. कई अलग-अलग टीके अब विश्व स्तर पर उपलब्ध हैं, जिनकी अरबों खुराकें दी जा चुकी हैं.

हालांकि, उन्हें असमान रूप से खरीदा गया है, अमीर देशों ने वैक्सीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. यही वजह है कि केवल आधी दुनिया को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक खुराक ही मिली है. ऐसे में यह अच्छा है कि कुछ अन्य वैक्सीन हैं-जैसे कि नोवावैक्स, जिनके आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है.

कैसे काम करता है यह टीका

नोवावैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, और इसलिए मॉडर्न और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाए गए वायरल-वेक्टर टीके और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाए गए निष्क्रिय-वायरस टीके से अलग है.

प्रोटीन सबयूनिट टीकों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा वही होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है. जब भविष्य में वास्तविक वायरस का सामना होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बचाव होते हैं जो वायरस के इन बाहरी हिस्सों पर हमला करने और इसे जल्दी से नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं.

स्पाइक प्रोटीन-अपने आप में हानिरहित, कोविड संक्रमण पैदा करने में असमर्थ होते हैं. यह कीट कोशिकाओं के भीतर, पेचीदा रूप से बनते हैं. फिर प्रोटीन को शुद्ध किया जाता है और एक सहायक घटक में जोड़ा जाता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है. इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सहायक घटक को एक पेड़ के अर्क से बनाया गया है.

यह सब यूनिट दृष्टिकोण नया नहीं है. पेपिलोमावायरस और हेपेटाइटिस बी के लिए तैयार किए गए टीमों में भी इसी प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है. दोनों सुरक्षित और प्रभावी हैं.

नोवावैक्स कोविड वैक्सीन भी ऐसा लगता है कि अच्छा प्रदर्शन करता है. चरण 3 के परीक्षणों में (मनुष्यों में परीक्षण का अंतिम चरण) यह लक्षणों वाला कोविड विकसित करने के खिलाफ 90 प्रतिशत सुरक्षात्मक था, जिसमें टीका प्राप्त करने वालों में बीमारी का कोई गंभीर मामला दर्ज नहीं किया गया था (और इस प्रकार, संक्षेप में, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के खिलाफ सौ प्रतिशत सुरक्षा देखी गई थी). यदि इसे फाइजर और मॉडर्न टीकों से बेहतर नहीं भी कहा जाए तो इसकी सुरक्षा प्रोफ़ाइल कम से कम तुलनीय प्रतीत होती है.

इन प्रकाशित विश्लेषणों ने वैक्सीन को अल्फा और बीटा वेरिएंट के खिलाफ खड़ा कर दिया, लेकिन डेल्टा के खिलाफ नहीं. हालांकि, बूस्टर के रूप में नोवावैक्स के उपयोग की जांच करने वाले एक परीक्षण के संबंध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह डेल्टा के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न करने में अत्यधिक प्रभावी है.

इसका क्या असर होगा?

नोवावैक्स का टीका एक बहुत ही रोमांचक उत्पाद की तरह दिखता है, लेकिन इसका भविष्य दुनिया के कुछ प्रमुख नियामकों द्वारा इसे अधिकृत होने पर निर्भर करता है. इसे इंडोनेशिया और फिलीपींस में आपातकालीन उपयोग अनुमति प्राप्त हुई, और यूके, यूरोपीय संघ के नियामक, कनाडा और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से नियामक अनुमोदन के लिए सबमिशन की औपचारिकतओं को पूरा कर लिया है, जो कम आय वाले देशों के लिए सिफारिशें देता है. न्यूजीलैंड और अमेरिका सहित अन्य देशों में भी सबमिशन की औपचारिकताएं जल्द पूरी होने की उम्मीद है.

फिलहाल, अधिकांश अमीर देशों के पास मौजूदा टीकों का पर्याप्त भंडार है, जिसका अर्थ है कि वह तत्काल टीकाकरण और बूस्टर की मांग को पूरा कर सकते हैं. इन देशों में आगे की खुराक की लंबी अवधि की आवश्यकता अनिश्चित है.

हालांकि, अगर टीका अमीर देशों में उपलब्ध हो जाता है, तो यह टीका उन लोगों तक पहुंचने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, जो हिचकिचाहट के कारण अभी टीका नहीं लगवा रहे हैं. कुछ लोग हैं जिन्होंने सुरक्षा चिंताओं के कारण नए विकसित एमआरएनए और वायरल-वेक्टर उत्पादों से परहेज किया है, उन्होंने कहा है कि वे नोवावैक्स की तरह एक टीका लेंगे जो कि अधिक पारंपरिक पद्धति पर आधारित है.

पढ़ें : नोवावैक्स ने WHO के साथ कोविड टीके के आपातकालीन उपयोग की प्रक्रिया पूरी की

लेकिन अगले एक या दो साल में नोवावैक्स का सबसे उपयुक्त उपयोग कोविड वैक्सीन की उपलब्धता की मौजूदा असमानता को कम करने में मदद करना होगा. उप-सहारा अफ्रीका की केवल छह प्रतिशत आबादी को किसी भी कोविड वैक्सीन की दो खुराक मिली है. कम आय वाले देशों में, 5% से कम को मात्र एक खुराक ही मिली है.

नोवावैक्स वैक्सीन को भी भंडारण के लिए फ्रीज करने के बजाय केवल रेफ्रिजरेट करने की आवश्यकता होती है, जिससे यह कम आय वाले देशों के लिए एक आकर्षक उत्पाद बन जाता है. फिर भी इन देशों तक पहुंचने के लिए इसे वैश्विक वैक्सीन-साझाकरण योजना, कोवैक्स के माध्यम से वितरित करने की आवश्यकता होगी, और उससे भी पहले इसे डब्ल्यूएचओ से अधिकृत वैक्सीन के रूप में मान्यता मिलना जरूरी है.

वैसे इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि अमीर देश अधिकांश खुराक खरीद लेंगे, चाहे उनकी आवश्यकता कुछ भी हो. उदाहरण के लिए, यूके के पास छह करोड़ खुराक हैं, और उसने 10 करोड़ और 20 करोड़ टीकों के लिए क्रमश: अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ सौदा किया है. यह संभावना नहीं है कि इन देशों को इतनी मात्रा में वैक्सीन की वास्तविक आवश्यकता होगी. ऐसे में उपलब्ध आपूर्ति के वैश्विक बंटवारे में सुधार करना होगा.

इसके अलावा एक और मुद्दा भी है. दरअसल ऐसा कहा जा रहा है कि दवा बनाने वाली कंपनी की निर्माण प्रक्रिया प्रश्नों के घेरे में है, जिससे बड़ी मात्रा में वैक्सीन का उत्पादन करने की क्षमता के बारे में संदेह पैदा हो गया है. यह माना जाता है कि नियामक अनुमोदन के लिए इसके प्रस्तुतीकरण में देरी का मुख्य कारण यही है. इसने 2021 की पहली छमाही में मान्यता के लिए प्रस्ताव दाखिल करने की उम्मीद की थी.

भारत, हालांकि, यहां बचाव के लिए आ सकता है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया नोवावैक्स की खुराक बनाएगा जो इंडोनेशिया को आपूर्ति की जाएगी, और इसने उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त अन्य टीकों का उत्पादन पहले ही बढ़ा दिया है - विशेष रूप से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन. संस्थान कथित तौर पर हर महीने कोविड टीकों की 24 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रहा है.

आने वाले समय में कोविड के प्रकोप को कम करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षित और प्रभावी टीके होना महत्वपूर्ण होगा. नोवावैक्स एक बहुत ही उपयोगी उत्पाद की तरह दिखता है, लेकिन वैश्विक दृष्टिकोण से, डब्ल्यूएचओ द्वारा इसकी मंजूरी और आपूर्ति उपलब्ध होने पर इससे बीमारी की रोकथाम में मदद मिल सकती है. अन्य देश डब्ल्यूएचओ के निर्णय लेने और इंडोनेशिया और फिलीपींस में टीके के प्रदर्शन पर बड़ी जिज्ञासा के साथ नजर टिकाए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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