नई दिल्ली : चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 100 सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पिछले महीने उत्तराखंड के बाड़ाहोती सेक्टर में घुस आए थे. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि यह घटना 30 अगस्त की है और चीनी सैनिक कुछ घंटे बाद वापस लौट गए.
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ( ITBP) के जवान इस क्षेत्र में तैनात हैं. सूत्रों ने बताया कि जवाबी रणनीति के तहत भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में गश्त की. चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में आने को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. यह घटना ऐसे समय में सामने आयी है जब पूर्वी लद्दाख के कई बिंदुओं पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है.
इस संबंध में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पूछा गया तो उन्होंने इस प्रकार की कोई भी आधिकारिक जानकारी उनके संज्ञान में न होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि उनको भी मीडिया के हवाले से ही खबर मिली है. ये एजेंसियों का काम है और वो अपना काम कर रही हैं.
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों द्वारा एलएसी के बारे में अलग-अलग धारणाओं के कारण बाड़ाहोती में मामूली उल्लंघन की घटनाएं हो रही हैं. हालांकि, भारतीय अधिकारियों को 30 अगस्त की घटना के दिन सीमा पार आने वाले चीनी सैनिकों की संख्या को लेकर आश्चर्य हुआ. सूत्रों ने कहा कि 30 अगस्त को बाड़ाहोती सेक्टर में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की घटना सामान्य नहीं है. क्योंकि सीमा पर दोनों देशों के जवान अपने-अपने हिसाब से इलाके में गश्त करते हैं. चूंकि सीमा को लेकर विवाद होने के कारण सीमा गश्ती साइट पर अपने क्षेत्र के निशान होते हैं जिससे यह पता चलता है कि किसका इलाका कहां तक है.
इस बारे में अधिकारी ने बताया कि जब दोनों देशों की गश्त करने वाली टीमें आमने-सामने आता हैं तभी टकराव की स्थिति पैदा होती है लेकिन ऐसी दशा में भी मामले को शांत करने की प्रक्रियाएं होती हैं जिनका पालन किया जाता है.
ये भी पढ़े - एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक हुए आमने-सामने
अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के उत्तर में 80 वर्ग किलोमीटर के ढलान वाला चारागाह बाड़ाहोती स्थित है. यह उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के 'मिडिल सेक्टर' में पड़ने वाली उन तीन सीमा चौकियों में से एक है, जहां आईटीबीपी को हथियार ले जाने की इजाजत नहीं है. वर्ष 1958 में दोनों देशों ने बाड़ाहोती को एक विवादित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया था, जहां कोई भी पक्ष अपने सैनिक नहीं भेजेगा. वर्ष 1962 के युद्ध में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी 545 किलोमीटर के मिडिल सेक्टर में नहीं घुसी. उसने अपना ध्यान पश्चिमी (लद्दाख) और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश) सेक्टरों पर केंद्रित रखा था.
अधिकारी ने कहा कि चीन ने 5 मई 2020 को लद्दाख के पैंगोंग झील के पास हिंसक विवाद को जन्म दिया था. वहां पर भारतीय सैनिकों से चीनी सैनिकों की झड़प के बाद अब उत्तराखंड के बाड़ाहोती में घुसपैठ की गई है. उन्होंने बताया कि बाड़ाहोती में 30 अगस्त को लगभग 55 घोड़ों के साथ करीब 100 चीनी सैनिक टुन जून दर्रे को पार करने के बाद भारतीय सीमा में लगभग 5 किमी तक अंदर घुस आए थे. जबकि आमतौर पर गश्ती दल में 15 से 20 जवान होते हैं.इस दौरान चीन के सैनिकों ने एक पुल को भी नुकसान पहुंचाया और कुछ घंटों के बाद वापस लौट गए.
बता दें कि 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी हिमालय पर दुनिया के सबसे कठिन और चरम इलाकों में से एक है और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (1,597 किमी) और उत्तराखंड (345 किमी), हिमाचल प्रदेश (260 किमी) राज्यों में फैली हुई है. इसके अलावा सिक्किम (198 किमी) और अरुणाचल प्रदेश (1,126 किमी) की सीमा भी चीन से लगती है.
उत्तराखंड में चीनी सेना की घुसपैठ
- 2014 में सीमा क्षेत्र के अंतिम चौकी रिमखिम के पास चीनी हेलीकॉप्टर काफी देर तक मंडराते रहे.
- 2015 में चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर स्थानीय चरवाहों के सामान नष्ट कर दिया था
- 2016 में सीमा के नजदीक इलाकों के निरीक्षण के दौरान चमोली जिला प्रशासन की टीम का चीनी सैनिकों से सामना हुआ था.
- 3 जून वर्ष 2017 को बाड़ाहोती में दो चीनी हेलीकॉप्टर 3 मिनट तक मंडराते रहे.
- 25 जुलाई वर्ष 2017 को सीमा क्षेत्र में चीनी सेना के 200 जवान भारतीय सीमा में एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए.
- 10 मार्च 2018 को बाड़ाहोती में चीनी सेना के तीन हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर अंदर तक घुस आए.
- जुलाई 2018 में चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए थे, तब भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ा था.