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प्रख्यात कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल का 83 वर्ष की आयु में निधन - karnataka university Chandrashekar Patil

प्रख्यात कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल (Kannada writer Chandrashekar Patil) का 83 वर्ष की आयु में देहांत हो गया है. पाटिल को उनकी उल्लेखनीय साहित्यिक कृतियों के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका था.

Chandrashekar Patil
कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल
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Published : Jan 10, 2022, 10:26 AM IST

Updated : Jan 10, 2022, 11:31 AM IST

बेंगलुरु: वयोवृद्ध कन्नड़ कवि, नाटककार और बुद्धिजीवी प्रोफेसर चंद्रशेखर पाटिल (Kannada litterateur Chandrashekar Patil) का आज निधन हो गया. पाटिल उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे. कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल (prof Chandrashekar Patil) ने सोमवार सुबह करीब 6.30 बजे बेंगलुरु के एक अस्पताल में 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.

चंद्रशेखर पाटिल का जन्म 1939 को हावेरी जिले के हट्टीमट्टुरु में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हावेरी में पूरी की और 1956 में कर्नाटक कॉलेज में पढ़ाई की. उन्होंने 1960 में स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की. पाटिल ने 1962 में कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की और 1969 में कर्नाटक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर बने. उन्होंने विभागाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.

किसानों के समर्थन में भी उतरे
कर्नाटक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, पाटिल ने कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष और कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. एक कार्यकर्ता के रूप में, चंद्रशेखर पाटिल ने कई कन्नड़ सामाजिक और साहित्यिक आंदोलनों का नेतृत्व किया. इनमें गोकक आंदोलन, बंदया आंदोलन, आपातकाल विरोधी आंदोलन, मंडल रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए आंदोलन, किसान आंदोलन प्रमुख हैं.

Chandrashekar Patil
प्रख्यात कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल (फाइल फोटो)

मित्र की हत्या पर लौटाया सर्वोच्च सम्मान
चंद्रशेखर पाटिल ने अपने दो मित्रों के साथ प्रभावशाली साहित्यिक पत्रिका 'संक्रमण' (Sankramana) की शुरुआत की थी. पाटिल इसके संपादक थे. अपने मित्र एमएम कलबुर्गी की हत्या (karnataka kalburgi murder) का विरोध करते हुए उन्होंने कर्नाटक सरकार की ओर से दिए गए सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'पम्पा पुरस्कार' लौटा दिया था.

कलबुर्गी का परिचय
बता दें कि अगस्त, 2015 में कर्नाटक के धारवाड़ में एमएम कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी. कलबुर्गी हम्पी विश्वविद्यालय के कुलपति और जानेमाने पुरावेत्ता थे. 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित उनके आवास में घुसकर उन्हें गोली मार दी गई थी. वह कन्नड़ भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता साहित्यकार भी थे.

यह भी पढ़ें- जाने-माने फिल्मकार केएस सेतुमाधवन का निधन

कन्नड़ भाषा में चंद्रकांत पाटिल के नाम कई साहित्यिक कृतियां लोकप्रिय हैं. इनमें 'अर्ध सत्यदा हुदुगी' (Ardha Satyada Hudugi) साल 1989 में प्रकाशित हुई. यह एक काव्य संग्रह है, जिसके लिए उन्हें काव्य क्षेत्र में कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. पाटिल की अन्य उल्लेखनीय कृतियों में 'बनुली' (Banuli), 'मध्यबिंदु' (Madhyabindu), 'गांधी स्मरण' (Gandhi Smarane), 'हुवु हेन्नू तारे' (Hoovu Hennu Taare), 'शालमाला नन्ना शालमाला' (Shalmala Nanna Shalmala) और 'गुंडम्मना गजलागल'(Gundammana Gazhalagal) शामिल हैं.

बेंगलुरु: वयोवृद्ध कन्नड़ कवि, नाटककार और बुद्धिजीवी प्रोफेसर चंद्रशेखर पाटिल (Kannada litterateur Chandrashekar Patil) का आज निधन हो गया. पाटिल उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे. कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल (prof Chandrashekar Patil) ने सोमवार सुबह करीब 6.30 बजे बेंगलुरु के एक अस्पताल में 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.

चंद्रशेखर पाटिल का जन्म 1939 को हावेरी जिले के हट्टीमट्टुरु में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हावेरी में पूरी की और 1956 में कर्नाटक कॉलेज में पढ़ाई की. उन्होंने 1960 में स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की. पाटिल ने 1962 में कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की और 1969 में कर्नाटक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर बने. उन्होंने विभागाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.

किसानों के समर्थन में भी उतरे
कर्नाटक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, पाटिल ने कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष और कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. एक कार्यकर्ता के रूप में, चंद्रशेखर पाटिल ने कई कन्नड़ सामाजिक और साहित्यिक आंदोलनों का नेतृत्व किया. इनमें गोकक आंदोलन, बंदया आंदोलन, आपातकाल विरोधी आंदोलन, मंडल रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए आंदोलन, किसान आंदोलन प्रमुख हैं.

Chandrashekar Patil
प्रख्यात कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर पाटिल (फाइल फोटो)

मित्र की हत्या पर लौटाया सर्वोच्च सम्मान
चंद्रशेखर पाटिल ने अपने दो मित्रों के साथ प्रभावशाली साहित्यिक पत्रिका 'संक्रमण' (Sankramana) की शुरुआत की थी. पाटिल इसके संपादक थे. अपने मित्र एमएम कलबुर्गी की हत्या (karnataka kalburgi murder) का विरोध करते हुए उन्होंने कर्नाटक सरकार की ओर से दिए गए सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'पम्पा पुरस्कार' लौटा दिया था.

कलबुर्गी का परिचय
बता दें कि अगस्त, 2015 में कर्नाटक के धारवाड़ में एमएम कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी. कलबुर्गी हम्पी विश्वविद्यालय के कुलपति और जानेमाने पुरावेत्ता थे. 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित उनके आवास में घुसकर उन्हें गोली मार दी गई थी. वह कन्नड़ भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता साहित्यकार भी थे.

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कन्नड़ भाषा में चंद्रकांत पाटिल के नाम कई साहित्यिक कृतियां लोकप्रिय हैं. इनमें 'अर्ध सत्यदा हुदुगी' (Ardha Satyada Hudugi) साल 1989 में प्रकाशित हुई. यह एक काव्य संग्रह है, जिसके लिए उन्हें काव्य क्षेत्र में कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. पाटिल की अन्य उल्लेखनीय कृतियों में 'बनुली' (Banuli), 'मध्यबिंदु' (Madhyabindu), 'गांधी स्मरण' (Gandhi Smarane), 'हुवु हेन्नू तारे' (Hoovu Hennu Taare), 'शालमाला नन्ना शालमाला' (Shalmala Nanna Shalmala) और 'गुंडम्मना गजलागल'(Gundammana Gazhalagal) शामिल हैं.

Last Updated : Jan 10, 2022, 11:31 AM IST
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