मुंबई: चर्चित लेखक और रंगमंच व्यक्तित्व बलवंत मोरेश्वर उर्फ शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे, जो छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने विद्वतापूर्ण कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं, उन्होंने सोमवार को अंतिम सांस ली. पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक थी. 99 वर्षीय बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज चल रहा था.
कुछ दिनों पहले बाबासाहेब पुरंदरे का पैर घर में फिसल जाने से उन्हें गंभीर चोट लगी थी. बाद में उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गहन चिकित्सा इकाई में उनका इलाज किया जा रहा था, लेकिन रविवार शाम उनकी हालत गंभीर हो गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर ट्वीट कर शोक व्यक्त किया. उन्होंने लिखा कि शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में अपूर्ण क्षति है. उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ सकेंगी. उनके अन्य कार्यों को भी याद किया जाएगा.
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I am pained beyond words. The demise of Shivshahir Babasaheb Purandare leaves a major void in the world of history and culture. It is thanks to him that the coming generations will get further connected to Chhatrapati Shivaji Maharaj. His other works will also be remembered. pic.twitter.com/Ehu4NapPSL
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उल्लेखनीय है कि नौ जुलाई, 1922 को पूना (अब पुणे) के पास सासवड में जन्मे पुरंदरे कम उम्र से ही छत्रपति शिवाजी महाराज पर मोहित हो गए थे. उन्होंने निबंध और कहानियां लिखीं, जिन्हें बाद में एक पुस्तक रूप 'थिनाग्य' (स्पार्क्स) में प्रकाशित किया गया. अपने लेखन और थिएटर करियर के आठ दशकों में, पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर 12,000 से अधिक व्याख्यान दिए, मराठा साम्राज्य के सभी किलों और इतिहास का अध्ययन किया, जिससे उन्हें इस विषय पर अधिकार मिला.
उन्होंने एक ऐतिहासिक नाटक 'जांता राजा' (1985) लिखा और निर्देशित किया, जो 200 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित एक नाटकीय कृति है, जिसका पांच भाषाओं में अनुवाद और अभिनय किया गया है. महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1,250 से अधिक स्टेज शो देखे गए हैं.
उनके प्रमुख कार्यों में स्मारकीय दो खंड 'राजे शिवछत्रपति', 'जांता राजा', 'महाराज', 'शेलारखिंड', 'गडकोट किल्ले', 'आगरा', 'लाल महल', 'पुरंदर', 'राजगढ़', 'पन्हलगढ़', 'सिंहगढ़', 'प्रतापगढ़', 'पुरंदरियांची दौलत', 'मुजयार्चे मंकारी', 'फुलवंती', 'सावित्री', 'कलावंतिनिचा सज्जा' हैं.
उन्हें 2019 में 'महाराष्ट्र भूषण' (2015) और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था.