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All Party Meeting in Jammu : ज्रम्मू-कश्मीर में गैर भाजपा दलों की बैठक, जल्द चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग से मिलने का फैसला

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (National Conference President Farooq Abdullah) ने कहा है कि वह राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर दिल्ली में निर्वाचन आयोग से मिलेंगे. उन्होंने दर्जन पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक के बाद उक्त बातें मीडिया से बातचीत में कहीं.

National Conference President Farooq Abdullah
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला
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Published : Mar 11, 2023, 10:26 PM IST

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जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (National Conference President Farooq Abdullah) ने शनिवार को करीब एक दर्जन पार्टियों के नेताओं के साथ केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव व अन्य मांगों को लेकर बैठक की. बैठक में केंद्र शासित प्रदेश में यथाशीघ्र विधानसभा चुनाव कराने की मांग को लेकर दिल्ली में निर्वाचन आयोग से मुलाकात करने और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग तेज करने का फैसला किया गया. यह बैठक अब्दुल्ला के आवास पर हुई.

बैठक के बाद अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा पूर्ण राज्य से घटाकर केंद्र शासित प्रदेश करना राष्ट्र के लिए त्रासदी है. इस बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम वाई तारिगामी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता अमरिक सिंह रीन, नेशनल पैंथर्स पार्टी नेता हर्ष देव सिंह, आम आदमी पार्टी (आप) नेता और जिला विकास परिषद सदस्य टीएस टोनी सहित अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया.

राजनयिक रिश्तों को फिर से स्थापित करने के ईरान व सऊदी अरब के फैसले का स्वागत किया - श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राजनयिक रिश्तों को फिर से स्थापित करने के ईरान और सऊदी अरब के फैसले का शनिवार को स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह इस्लामी दुनिया में बेहतर सहयोग का संदेशवाहक साबित होगा. ईरान और सऊदी अरब सात साल के तनाव के बाद शुक्रवार को राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने और दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए। चीन की मदद से यह अहम कूटनीतिक कामयाब मिली है.

सऊदी अरब ने 2016 में ईरान के साथ अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ दिए थे. अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा, 'दोनों देशों के बीच रिश्तों की बहाली और राजनयिक मिशनों को फिर से खोलना एक स्वागत योग्य कदम है जिसका मुस्लिम जगत में व्यापक प्रभाव पड़ेगा.' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि यह कदम वैश्विक समुदाय, खासकर इस्लामी दुनिया में बेहतर सहयोग का संदेशवाहक होगा. उन्होंने कहा कि यह तनाव कम करेगा और न सिर्फ खाड़ी क्षेत्र को बल्कि पूरी दुनिया को लाभान्वित करेगा.

ये भी पढ़ें - Farooq Abdullah Interview : फारूक अब्दुल्ला बोले, अब खुद जज बनना चाहती है सरकार

(पीटीआई-भाषा)

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जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (National Conference President Farooq Abdullah) ने शनिवार को करीब एक दर्जन पार्टियों के नेताओं के साथ केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव व अन्य मांगों को लेकर बैठक की. बैठक में केंद्र शासित प्रदेश में यथाशीघ्र विधानसभा चुनाव कराने की मांग को लेकर दिल्ली में निर्वाचन आयोग से मुलाकात करने और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग तेज करने का फैसला किया गया. यह बैठक अब्दुल्ला के आवास पर हुई.

बैठक के बाद अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा पूर्ण राज्य से घटाकर केंद्र शासित प्रदेश करना राष्ट्र के लिए त्रासदी है. इस बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम वाई तारिगामी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता अमरिक सिंह रीन, नेशनल पैंथर्स पार्टी नेता हर्ष देव सिंह, आम आदमी पार्टी (आप) नेता और जिला विकास परिषद सदस्य टीएस टोनी सहित अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया.

राजनयिक रिश्तों को फिर से स्थापित करने के ईरान व सऊदी अरब के फैसले का स्वागत किया - श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राजनयिक रिश्तों को फिर से स्थापित करने के ईरान और सऊदी अरब के फैसले का शनिवार को स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह इस्लामी दुनिया में बेहतर सहयोग का संदेशवाहक साबित होगा. ईरान और सऊदी अरब सात साल के तनाव के बाद शुक्रवार को राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने और दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए। चीन की मदद से यह अहम कूटनीतिक कामयाब मिली है.

सऊदी अरब ने 2016 में ईरान के साथ अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ दिए थे. अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा, 'दोनों देशों के बीच रिश्तों की बहाली और राजनयिक मिशनों को फिर से खोलना एक स्वागत योग्य कदम है जिसका मुस्लिम जगत में व्यापक प्रभाव पड़ेगा.' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि यह कदम वैश्विक समुदाय, खासकर इस्लामी दुनिया में बेहतर सहयोग का संदेशवाहक होगा. उन्होंने कहा कि यह तनाव कम करेगा और न सिर्फ खाड़ी क्षेत्र को बल्कि पूरी दुनिया को लाभान्वित करेगा.

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(पीटीआई-भाषा)

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