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3 डेडलाइन फेल होने के बाद नौ सेकंड में इतिहास बन गया Twin Towers, जानें A TO Z

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Published : Aug 28, 2022, 4:20 PM IST

भ्रष्टाचार की नींव पर तैयार नोएडा का सुपरटेक ट्वीन टावर जमींदोज हो गया. इस कार्रवाई में आसपास के किसी इमारतों को नुकसान नहीं पहुंचा. मात्र नौ सेकंड में 32 और 29 मंजिले दाेनाें टावर इतिहास के पन्ने में दर्ज हाे गए. noida twin towers demolished

Twin Towers
Twin Towers

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा का ट्विन टावर आखिरकार इतिहास बन गया. रविवार ढाई बजे ध्वस्त कर दिया गया. मात्र नौ सेकंड में 32 और 29 मंजिले दाेनाें टावर इतिहास के पन्ने में दर्ज हाे गया (noida twin towers demolished). नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रीतू महेश्वरी ने बताया कि अभी तक जैसा सोचा था वैसा ही हुआ. अभी स्थिति का आंकलन किया जा रहा है. एक घंटे के बाद ही पता चल सकेगा कि कहीं कुछ नुकसान ताे नहीं हुआ है. टावर ध्वस्त करने वाली कंपनी एडिफिस के अधिकारी अनिल जोसेफ ने कहा कि सब कुछ तय अनुसार ठीक हुआ.

इसे गिराने में 3700 किलो बारूद का प्रयाेग किया गया. इमारत में विस्फोट के दौरान 30 मिनट तक के लिए नजदीकी सभी सड़कों पर ट्रैफिक रोक दिया गया था. ब्लास्ट के बाद आसमान धूल से पट गया था. विस्फोट के बाद मलबे और धूल को एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज परिसर में जाने से रोकने के लिए 30 मीटर ऊंची लोहे की चादर लगाई गई थी. ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल की मॉनिटरिंग स्पेशल डस्ट मशीन से की जा रही है.

बता दें, इससे पहले टावर को जमींदोज़ करने के लिए तय तीन डेडलाइन फेल हो चुका था. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में 28 अगस्त की तिथि तय की गई थी.

वीडियाे में देखिये कैसे ध्वस्त किया गया टावर.

तीन बार हो चुका था डेडलाइन फेल

- 30 नवंबर 2021 सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को तीन महीने के अंदर दोनों टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया, लेकिन इस तारीख तक सुपरटेक बिल्डर टावर ध्वस्त करने के लिए एजेंसी तक का चयन नहीं कर सका. कुछ और दिक्कतों का हवाला देते हुए मोहलत मांगी.

- फिर 22 मई 2022 की तिथि तय हुई. सुपरटेक मामलों में नियुक्त आईआरपी ने कहा कि 10 अप्रैल को हुए टेस्ट ब्लास्ट के बाद डिजाइन में मामूली बदलाव करना होगा. इसलिए समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त से पहले टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया.

- 21 अगस्त 2022 नोएडा प्राधिकरण ने बैठक कर 21 अगस्त की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विस्फोटक दो अगस्त से लगने शुरू हो जाएंगे. इस बीच सुपरटेक बिल्डर ने सीबीआरआई को फीस देने से मना कर दिया। ऐसे में सीबीआरआई ने मामले में कोई राय नहीं दी. नोएडा पुलिस और सीबीआरआई ने विस्फोटक लगाने के लिए देर से एनओसी दी.

ट्विन टावर का इतिहास.
ट्विन टावर का इतिहास.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.

भारत में इससे पहले इस बिल्डिंग को इसी तरह गिराया गया था

2020 में केरल के एर्नाकुलम जिले के मराड़ू में 55 मीटर ऊंचे चार मंजिला टावर को भी कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था. एडिफिस कंपनी, जिसे नोएडा ट्विन टावर को ढहाने का ठेका दिया गया है, इसी ने 11 जनवरी 2020 में चार मल्टीस्टोरी टावर को विस्फोटक लगाकर ढहाया था. मराड़ू के तटीय इलाके में नियमों की अनदेखी कर मल्टीस्टोरी टावर का निर्माण किया गया था. इनमें 356 फ्लैट बनाये गए थे.

ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.

फ्लैशबैकः क्या है पूरा मामला

नोएडा प्राधिकरण ने 2006 में सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93 ए में 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन आवंटित की थी. इस सेक्टर में एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण कराया गया था. हर टावर में 11 मंजिली इमारत बनाई गई. 2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने एक रिवाइज्ड प्लान जमा कराया और इसी के तहत एपेक्स व सियान नाम से ये ट्विन टावर (जुड़वां टावर) के लिए एफएआर खरीदा. बिल्डर ने दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर कराकर 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बना दिए. 600 फ्लैट की बुकिंग तक हो गई. लेकिन बाद में खरीदारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. टॉवर गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कराई गई थी. हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को दोनो टावरों को गिराने का आदेश दिया. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा का ट्विन टावर आखिरकार इतिहास बन गया. रविवार ढाई बजे ध्वस्त कर दिया गया. मात्र नौ सेकंड में 32 और 29 मंजिले दाेनाें टावर इतिहास के पन्ने में दर्ज हाे गया (noida twin towers demolished). नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रीतू महेश्वरी ने बताया कि अभी तक जैसा सोचा था वैसा ही हुआ. अभी स्थिति का आंकलन किया जा रहा है. एक घंटे के बाद ही पता चल सकेगा कि कहीं कुछ नुकसान ताे नहीं हुआ है. टावर ध्वस्त करने वाली कंपनी एडिफिस के अधिकारी अनिल जोसेफ ने कहा कि सब कुछ तय अनुसार ठीक हुआ.

इसे गिराने में 3700 किलो बारूद का प्रयाेग किया गया. इमारत में विस्फोट के दौरान 30 मिनट तक के लिए नजदीकी सभी सड़कों पर ट्रैफिक रोक दिया गया था. ब्लास्ट के बाद आसमान धूल से पट गया था. विस्फोट के बाद मलबे और धूल को एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज परिसर में जाने से रोकने के लिए 30 मीटर ऊंची लोहे की चादर लगाई गई थी. ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल की मॉनिटरिंग स्पेशल डस्ट मशीन से की जा रही है.

बता दें, इससे पहले टावर को जमींदोज़ करने के लिए तय तीन डेडलाइन फेल हो चुका था. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में 28 अगस्त की तिथि तय की गई थी.

वीडियाे में देखिये कैसे ध्वस्त किया गया टावर.

तीन बार हो चुका था डेडलाइन फेल

- 30 नवंबर 2021 सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को तीन महीने के अंदर दोनों टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया, लेकिन इस तारीख तक सुपरटेक बिल्डर टावर ध्वस्त करने के लिए एजेंसी तक का चयन नहीं कर सका. कुछ और दिक्कतों का हवाला देते हुए मोहलत मांगी.

- फिर 22 मई 2022 की तिथि तय हुई. सुपरटेक मामलों में नियुक्त आईआरपी ने कहा कि 10 अप्रैल को हुए टेस्ट ब्लास्ट के बाद डिजाइन में मामूली बदलाव करना होगा. इसलिए समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त से पहले टावर ध्वस्त करने का आदेश दिया.

- 21 अगस्त 2022 नोएडा प्राधिकरण ने बैठक कर 21 अगस्त की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विस्फोटक दो अगस्त से लगने शुरू हो जाएंगे. इस बीच सुपरटेक बिल्डर ने सीबीआरआई को फीस देने से मना कर दिया। ऐसे में सीबीआरआई ने मामले में कोई राय नहीं दी. नोएडा पुलिस और सीबीआरआई ने विस्फोटक लगाने के लिए देर से एनओसी दी.

ट्विन टावर का इतिहास.
ट्विन टावर का इतिहास.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.

भारत में इससे पहले इस बिल्डिंग को इसी तरह गिराया गया था

2020 में केरल के एर्नाकुलम जिले के मराड़ू में 55 मीटर ऊंचे चार मंजिला टावर को भी कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था. एडिफिस कंपनी, जिसे नोएडा ट्विन टावर को ढहाने का ठेका दिया गया है, इसी ने 11 जनवरी 2020 में चार मल्टीस्टोरी टावर को विस्फोटक लगाकर ढहाया था. मराड़ू के तटीय इलाके में नियमों की अनदेखी कर मल्टीस्टोरी टावर का निर्माण किया गया था. इनमें 356 फ्लैट बनाये गए थे.

ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.
ब्लास्ट की ऐसी की थी तैयारी.

फ्लैशबैकः क्या है पूरा मामला

नोएडा प्राधिकरण ने 2006 में सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93 ए में 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन आवंटित की थी. इस सेक्टर में एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण कराया गया था. हर टावर में 11 मंजिली इमारत बनाई गई. 2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने एक रिवाइज्ड प्लान जमा कराया और इसी के तहत एपेक्स व सियान नाम से ये ट्विन टावर (जुड़वां टावर) के लिए एफएआर खरीदा. बिल्डर ने दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर कराकर 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बना दिए. 600 फ्लैट की बुकिंग तक हो गई. लेकिन बाद में खरीदारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. टॉवर गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कराई गई थी. हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को दोनो टावरों को गिराने का आदेश दिया. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

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