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राजद्रोह कानून को रद्द करने का कोई प्रस्ताव नहीं: मंत्री किरेन रिजिजू

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister kiren rijiju) ने लोकसभा को बताया है कि गृह मंत्रालय के पास राजद्रोह से निपटने वाली आईपीसी (IPC) की धारा 124ए को खत्म करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

Union Minister kiren rijiju
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो)
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Published : Dec 11, 2021, 5:51 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister kiren rijiju) ने लोकसभा को बताया है कि गृह मंत्रालय के पास राजद्रोह से निपटने वाली आईपीसी (IPC) की धारा 124ए को खत्म करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. धारा 124 ए के संबंध में 'कानून का प्रश्न' सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है.

इस बारे में उन्होंने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि गृह मंत्रालय ने जानकारी है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124ए को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. रिजिजू ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

ये भी पढ़ें - लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन पर हुई चर्चा

वहीं एआईयूडीएफ (AIUDF) के नेता बदरुद्दीन अमजल (M Badaruddin Ajmal) ने सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? क्या कोर्ट ने सरकार से इस कानून की जरूरत और वैधता को लेकर सरकार से जवाब मांगा है? इसके उत्तर में विधि मंत्री ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है.'

नई दिल्ली: केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister kiren rijiju) ने लोकसभा को बताया है कि गृह मंत्रालय के पास राजद्रोह से निपटने वाली आईपीसी (IPC) की धारा 124ए को खत्म करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. धारा 124 ए के संबंध में 'कानून का प्रश्न' सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है.

इस बारे में उन्होंने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि गृह मंत्रालय ने जानकारी है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124ए को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. रिजिजू ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

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वहीं एआईयूडीएफ (AIUDF) के नेता बदरुद्दीन अमजल (M Badaruddin Ajmal) ने सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? क्या कोर्ट ने सरकार से इस कानून की जरूरत और वैधता को लेकर सरकार से जवाब मांगा है? इसके उत्तर में विधि मंत्री ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है.'

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