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Nipah virus Animal Samples: केरल के पशु नमूनों में निपाह वायरस की कोई मौजूदगी नहीं

केरल में पशु पालकों के लिए अच्छी खबर है. पशुओं के सैंपल में निपाह वायरस नहीं पाए गए. चमगादड़, सूअर, बकरी, कुत्ते, बिल्ली समेत कई अन्य पशुओं के सैंपल लिए गए थे.

No Nipah virus presence in Animal Samples Kerala Health Department struggling to find actual source
पशु नमूनों में निपाह वायरस की कोई मौजूदगी नहीं, फेसबुक के माध्यम से फैलाया गया गलत प्रचार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Sep 26, 2023, 2:23 PM IST

तिरुवनंतपुरम: भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान कोझिकोड से एकत्र किए गए जानवरों के नमूनों में निपाह वायरस की उपस्थिति का पता लगाने में विफल रहा. नमूने 21 सितंबर को मुख्य रूप से चमगादड़ों और सूअरों से एकत्र किए गए थे. नमूने भोपाल भेजे गए और रिजल्ट नेगेटिव पाए गए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब निपाह फैलने के वास्तविक स्रोत का पता लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

मारुथोंकारा और आसपास के इलाकों में चमगादड़, सूअर, बकरी, कुत्ते, बिल्ली, सुपारी और रामबूटन अभी भी संदेह के घेरे में हैं. भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान के नमूनों के परीक्षण चमगादड़ और सूअर दोनों के लिए आश्वस्त करने वाले हैं. उनके 42 सैंपल के टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव हैं. लेकिन अभी भी बहुत सारे संदेह और सवाल हैं.

क्या किसी क्षेत्र के सभी चमगादड़ वायरस से संक्रमित हो सकते हैं जबकि चमगादड़ मुख्य वायरस वाहक हैं? क्या होगा यदि वायरस चमगादड़ से आया और वह स्तनपायी नमूने एकत्र करने के लिए उपलब्ध नहीं होगा? किसी संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के कुछ दिनों बाद एकत्र किए गए नमूने कितने प्रभावी हैं? अतः अध्ययन एवं परीक्षण सावधानीपूर्वक जारी रखना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह वायरस चमगादड़ से दूसरे जानवरों में या चमगादड़ की लार या मल से फैल सकता है. ऐसे में हमें तब तक सावधानी से इंतजार करना चाहिए जब तक कि अब सामने आई 'नेगेटिव' रिपोर्ट 'पॉजिटिव' न हो जाए.

जब 2018 में केरल में पहली बार निपाह की सूचना मिली, तो अफवाहें लंबे समय तक रही. आखिरकार तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि निपाह का स्रोत फल खाने वाले चमगादड़ हैं. बाहरी दुनिया को इससे ज्यादा कुछ पता नहीं था. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह बीमारी इंसानों में कैसे पहुंची.

ये भी पढ़ें- Kerala Nipah outbreak: ICMR DG ने कहा, निपाह का प्रकोप केरल के कोझिकोड जिले तक ही सीमित

प्रभावी रोकथाम तभी की जा सकती है जब संक्रमण का कारण स्पष्ट हो. यदि नहीं, तो निपाह आने वाले वर्षों तक चिंता का विषय बना रहेगा. आस-पास के क्षेत्रों से अधिक जानवरों के नमूने के साथ परीक्षण प्रक्रिया वर्तमान में जारी है. निपाह से मरने वाले मारुथोंकारा कल्लाडू निवासी मुहम्मदाली कहां से संक्रमित हुए, इस सवाल का अभी तक जवाब नहीं मिला है. जो लोग निपाह के बारे में कुछ भी प्रामाणिक नहीं समझते, वे फिर से गलत प्रचार कर रहे हैं.

तिरुवनंतपुरम: भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान कोझिकोड से एकत्र किए गए जानवरों के नमूनों में निपाह वायरस की उपस्थिति का पता लगाने में विफल रहा. नमूने 21 सितंबर को मुख्य रूप से चमगादड़ों और सूअरों से एकत्र किए गए थे. नमूने भोपाल भेजे गए और रिजल्ट नेगेटिव पाए गए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब निपाह फैलने के वास्तविक स्रोत का पता लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

मारुथोंकारा और आसपास के इलाकों में चमगादड़, सूअर, बकरी, कुत्ते, बिल्ली, सुपारी और रामबूटन अभी भी संदेह के घेरे में हैं. भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान के नमूनों के परीक्षण चमगादड़ और सूअर दोनों के लिए आश्वस्त करने वाले हैं. उनके 42 सैंपल के टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव हैं. लेकिन अभी भी बहुत सारे संदेह और सवाल हैं.

क्या किसी क्षेत्र के सभी चमगादड़ वायरस से संक्रमित हो सकते हैं जबकि चमगादड़ मुख्य वायरस वाहक हैं? क्या होगा यदि वायरस चमगादड़ से आया और वह स्तनपायी नमूने एकत्र करने के लिए उपलब्ध नहीं होगा? किसी संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के कुछ दिनों बाद एकत्र किए गए नमूने कितने प्रभावी हैं? अतः अध्ययन एवं परीक्षण सावधानीपूर्वक जारी रखना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह वायरस चमगादड़ से दूसरे जानवरों में या चमगादड़ की लार या मल से फैल सकता है. ऐसे में हमें तब तक सावधानी से इंतजार करना चाहिए जब तक कि अब सामने आई 'नेगेटिव' रिपोर्ट 'पॉजिटिव' न हो जाए.

जब 2018 में केरल में पहली बार निपाह की सूचना मिली, तो अफवाहें लंबे समय तक रही. आखिरकार तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि निपाह का स्रोत फल खाने वाले चमगादड़ हैं. बाहरी दुनिया को इससे ज्यादा कुछ पता नहीं था. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह बीमारी इंसानों में कैसे पहुंची.

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प्रभावी रोकथाम तभी की जा सकती है जब संक्रमण का कारण स्पष्ट हो. यदि नहीं, तो निपाह आने वाले वर्षों तक चिंता का विषय बना रहेगा. आस-पास के क्षेत्रों से अधिक जानवरों के नमूने के साथ परीक्षण प्रक्रिया वर्तमान में जारी है. निपाह से मरने वाले मारुथोंकारा कल्लाडू निवासी मुहम्मदाली कहां से संक्रमित हुए, इस सवाल का अभी तक जवाब नहीं मिला है. जो लोग निपाह के बारे में कुछ भी प्रामाणिक नहीं समझते, वे फिर से गलत प्रचार कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 26, 2023, 2:23 PM IST
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